परीक्षित मिश्रा-माउण्ट आबू। केरल और हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ की तरह माउण्ट आबू भी आयुर्वेदिक और नुचुरोपेथी के विश्व प्रसिद्ध हो सकता है। इसके लिए बस आयुर्वेद निदेशालय की अनुमति का इंतजार है। आयुर्वेद के अंदर आज दुनिया का सबसे बडा ब्रांड पतंजलि योगपीठ माउण्ट आबू के हर्बल गार्डन को पीपीपी मोड पर आयुर्वेदिक औषधियां उगाने और यहां पर पंचकर्म चिकित्सा, आयुर्वेद, एक्युप्रेशर, एक्युपंक्चर और योग का केन्द्र बनाने का इच्छुक है।
इसके लिए पतंजलि योगपीठ के आयुर्वेदाचार्य बालकृष्ण ने माउण्ट आबू आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी को इसके लिए प्रोजेक्ट रिपोर्ट भेजी है।
-111 करोड का प्रोजेक्ट
पतंजलि योगपीठ ने माउण्ट आबू में हर्बल गार्डन में आयुर्वेदिक औषधियां उगाने और आुयवेर्दिक और प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति शुरू करने के लिए करीब 80 की प्रोजेक्ट रिपोर्ट और करीब बीस से पच्चीस पेज की फायनेंस रिपोर्ट के साथ एक अनुमति पत्र भिजवाया है।
इस अनुमति पत्र समेत प्रोजेक्ट और फाइनेंस रिपोर्ट को राजकीय आयुर्वेद चिकित्सालय के प्रभारी डाॅ अनिल परमार ने राज्य सरकार को भिजवा दी है। इस प्रोजेक्ट पर पतंजलि योगपीठ को 111 करोड रुपये खर्च करने की योजना है। इसे राज्य सरकार के स्तर से अनुमति मिलने के बाद यहां पर संभवतः हरिद्वार और केरला की तरह आयुर्वेदिक और नेचुरोपेथी का हब भी बन जाएगा।
-पीपीपी मोड पर विकसित करना था हर्बल गार्डन
माउण्ट आबू में हर्बल गार्डन विकसित करने का प्रोजेक्ट 2002 का है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के निर्देशानुसार इस हर्बल गार्डन को पीपीपी मोड पर विकसित करना था। इसके लिए नगर पालिका माउण्ट आबू ने 15 दिसम्बर 2016 को आयुर्वेद विभाग को 4.44 बीघा यानि एक लाख 20 हजार वर्ग गज भूमि आवंटित की है।
इसके बाद पीपीपी मोड पर विकसित करने के लिए भूमि उपलब्ध होने और हर्बल गार्डन विकसित करने के लिए चिकित्सालय के प्रभारी डाॅ अनिल परमार ने हरिद्वार के पतंजलि योगपीठ का यहां पर हर्बल गार्डन विकसित करने का प्रस्ताव भेजा। इसके बाद पतंजलि योगपीठ ने यह प्रोजेक्ट और फाइनेंस रिपोर्ट भेजी।
-70 से ज्यादा जडी बूटियां हो सकती हैं विकसित
राज्य सरकार यदि पतंजलि योगपीठ के अनुमति पत्र पर माउण्ट आबू में हर्बल गार्डन, योग, आयुर्वेद और नेचुरोपेथी का केन्द्र विकसित करने की अनुमति देती है तो राजस्थान देश ही नहीं विश्व पटल पर आयुर्वेद और नेचुरोपेथी के लिए मेडीकल टूरिज्म का केन्द्र भी बन सकता है।
डा परमार ने बताया कि माउण्ट आबू की आबो हवा में प्रतिदिन उपयोग में आने वाली करीब 70 से ज्यादा महत्वपूर्ण जडी-बूटियां उगाई जा सकती हैं। इसमें अश्वगंधा, शतावरी, ब्रहमी, शंखपुष्पी, मूसली आदि शामिल हैं।
इनका कहना है…
रोगी कल्याण समिति की बैठक में हर्बल गार्डन को विकसित करने के लिए पतंजलि योगपीठ का पत्र आने की जानकारी सामने आई है। इसे राज्य सरकार के पास भेजा गया है।
सुरेश ओला
उपखण्ड अधिकारी, माउण्ट आबू।
पीपीपी मोड पर हर्बल गार्डन को विकसित करना था। इसके लिए पतंजलि योगपीठ को प्रस्ताव भेजा था। वह इसके लिए तैयार हो गए हैं। उनकी प्रोजेक्ट रिपोर्ट, फाइनेंस रिपोर्ट और अनुमति आया था, जिसे राज्य सरकार को अनुमति के प्रेषित कर दिया गया है।
डाॅ अनिल परमार
प्रभारी, राजकीय आयुर्वेदिक चिकित्सालय, माउण्ट आबू।
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