मेरठ। उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित निठारी काण्ड के दोषी सुरेन्द्र कोली को आगामी 12 सितम्बर को फांसी देने की तैयारी में लगा पवन जल्लाद इतना गरीब है कि उसे अपना परिवार चलाने के लिए फेरी लगानी पड़ती है।…
फेरी में वह कभी सब्जी बेचता है तो कभी फल। कभी कभी वह कपड़े भी बेच लेता है। जल्लाद का काम पवन का पुश्तैनी पेशा है। उसके पिता मम्मू और दादा कल्लू भी यही काम करते थे हालांकि पवन पहली बार किसी को फांसी देगा। उसके परदादा भी जल्लाद थे। मूलरूप से मेरठ का निवासी पवन ने बताया कि दादा कल्लू ने वर्ष1981 में मासूम भाई बहन संजय और गीता चोपडा की हत्या करने वाले रंगा-बिल्ला को फांसी दी थी। इसके अलावा पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी के हत्यारे सतवन्त सिंह और केहर सिंह को भी फांसी दी थी।
मेरठ जेल में आखिरी बार 1975 में गुजफ्फरनगर निवासी कर्णसिंह को फांसी दी गई थी। पवन के पिता मम्मू ने कई कैदियों को फांसी दी दी। मम्मू ने फरवरी 1991 में कैदी जुम्मन पुत्र जफर को फांसी दी थी। पिता के कहने पर वह आगरा जिला जेल पहुंचा था तब उसकी उम्र करीब 22 साल थी। पिता के कहने पर उसने फांसी की रस्सी तैयार कराने में मदद की थी। अब इसी अनुभव के आधार पर 12 सितम्बर को निठारी काण्ड के दोषी सुरेन्द्र कोली को फांसी देने जा रहा है।
करीब 23 साल के बाद उत्तर प्रदेश में किसी कैदी को फांसी दी जा रही है। पवन ने बताया कि मेरठ जिला जेल में 17 कैदियों को फांसी दे गई है जो उसके परिवार के लोगों ने ही दी है। सुरेन्द्र कोली 18वां कैदी होगा। गरीबी के चलते पवन कुमार ने कक्षा आठ तक ही पढ़ाई की है।पवन के दो बेटे और एक बेटी है। केन्द्र सरकार द्वारा मानदेय के नाम पर हर माह तीन हजार रूपए दिए जाते हैं। पवन ने बताया कि बच्चों के अच्छे पालन पोषण के लिए उसे फेरी लगानी पड़ती है।