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सिरोही। चुनाव में ईमानदारी को लेकर एक जुमला चला था। नेताओं के समर्थक अपने नेताओं की ईमानदारी को जेब से तोल रहे थे। इसी दौरान एक पार्टी के समर्थकों का नारा आया कि हमारे नेता की वेशभूषा ही ऐसी है कि इसमें जेब ही नहीं है, ऐसे में वह पैसा कहां से बटोरेंगे? इसी नारे का अब जनता ने पकड़ लिया।
पीडब्ल्यूडी कॉलोनी में शराब की दुकान को शुरू करने के मामले में जब बिना जेब वाले नेता की मिलीभगत की बात सुनी तो उसने तपाक से कहा कि चुनावों में कहते थे इनके कपड़ों में जेब नहीं है, लेकिन यह तो बोरियों में पैसा भरने लग गए हैं। सुनकर लोगों को आश्चर्य तो हुआ, लेकिन नेताजी जिस तरह ईमानदार छवि बनाने का प्रयास में सबको खुश करने में लगे हैं यही प्रयास उनकी छवि अब आम लोगों में भी धूमिल करता जा रहा है।
साहब का दवाब!
पीडब्ल्यूडी कॉलोनी में शराब की दुकान खोलने में नेताजी के साथ-साथ साहब भी काफी रुचि ले रहे हैं। इसके लिए वह बाकायदा दबाव की रणनीति में भी लगे हुए हैं। सुना है कि इसी के तहत वह इस कॉलोनी में रहने वाले सरकारी मुलाजिमों और नेतागिरी करने वाले उनके परिजनों को विरोध नहीं करने के लिए मना रहे हैं। मौहल्ले वालों के अलावा शहरवासियों के लिए भी साहब का शराब की दुकान के लिए यह मोह समझ से परे है।
मत चूके चौहान
शतक पार राजनीतिक पार्टी को जिस तरह से चालीस बसंत देख रही पार्टी ने भ्रष्टाचार का पर्यायवाची बनाकर चुनावों में पटखनी दी है यह सर्वविदित है। सिरोही के परिप्रेक्ष्य में बात करें तो चालीस बसंत देखी पार्टी पर जो आरोप लग रहे हैं उससे यही लगता है कि शतकवीर पार्टी के रेकर्ड को पांच साल में ही पूरा करने पर आमादा है। ऐसे में भ्रष्टाचार के लिए बदनाम हो चुकी पार्टी को सत्तारूढ पार्टी को आइना दिखाने का बेहतरीन मौका है और आरोप भी उन नेताओं पर लग रहे हैं, जिन्होंने शतकवीर पार्टी के दबंग नेता को हराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय लेने में कोई कमी नहीं छोड़ी और यूं कहें कि हार के लिए खुलकर प्रयास करने में भी पीछे नहीं रहे। जिस तरह के भ्रष्टाचार के आरोप प्रभारी मंत्री की जनसुनवाई के दौरान सुनने को मिल रहे थे, उससे यही लगता है कि हार में उत्प्रेरक बनने वाले नेताओं से सलाखें बहुत दूर नहीं हैं। अब देखना है कि हार का दंश झेल रहे ‘चौहानÓ कब इन पर अपना वार करते हैं।