सिरोही। ब्यावर-पिण्डवाडा के बीच नव निर्मित नेशनल हाइवे संख्या-62 की गुणवत्ता पर बनने के साथ ही सवाल उठा दिए गए थे। जिले में 25 जुलाई से शुरू हुए बारिश के दौर ने इस फोर लेन को पूरी तरह से उधेड दिया।
इसके बाद भी टोल वसूली किए जाने को लेकर पालडी एम स्थित टोल बूथ संख्या टी-4 व साडेराव के पास स्थित टोलबूथ टी-3 पर टोल वसूली का विरोध शुरू हो गया। घटिया सडक का निरंतर टोल वसूली किए जाने का विरोध होता रहा और गुरुवार रात को विवाद को देखते हुए टोल बेरियर को स्थायी रूप से खोल दिया गया। टोल वसूली को लेकर विरोध अब भी जारी है।
एनएचएआई की कंसल्टिंग एजेंसी ने सिरोही के किलोमीटर 219 से 224, ब्यावर के किलोमीटर 5 से 10 बर वाली पुलिया समेत कई ऐसे स्थान थे, जिन्हें गुणवत्ता युक्त नहंी मानते हुए इन्हें दुरूस्त किए बिना इस हाइवे को शुरू नहीं करने की राय दी थी। इस रिपोर्ट के बाद एनएचएआई ने कुछ समय तक तो एलएण्डटी को इस मार्ग को शुरू नहीं करने दिया, लेकिन बाद में ना जाने अचानक क्या हुआ कि कंसल्टिंग एजेंसी की राय को दरकिनार करते हुए बिना सुधार किए हुए ही इस मार्ग को शुरू कर दिया गया।
इसकी परिणिति यह हुई कि पहली बारिश में ही यह करीब 240 किलोमीटर लम्बा फोरलेन धराशायी हो गया। बाहरी घाटे की टनल राक स्लाइडिंग के बाद पूरी तरह से बंद कर दी गई। इसके बाद भी टोल वसूली की जा रही थी। इसका पिछले दस दिनों से निरंतर विरोध हो रहा था। इस विरोध को देखते हुए सिरोही और पाली पासिंग के निजी हल्के वाहनेां के पिछले सप्ताह टी-3 और टी-4 पर टोल लेना बंद कर दिया गया, लेकिन बाहरी ट्रक चालक और ट्रक आपरेटर यूनियन घटिया सडक पर सभी वाहनों की टोल वसूली बंद करने की मांग करती रही। घटिया सडक पर टोल वसूली के लिए टोल आपरेटर गुण्डागर्दी पर भी उतर आए। वाहनों के कांच आदि तोडने की शिकायतें भी आती रही थी।
ग्रामीण और ट्रक आपरेटर लामबद्ध
घटिया मार्ग के लिए टोल वसूलने के विरोध में जिला परिषद सदस्य कुलदीपसिंह के नेतृत्व में पालडी एम और इसके आसपास के ग्रामीण लामबद्ध हो रहे हैं तो ट्रक आपरेटर यूनियन भी इसके लिए आरपार की लडाई का मानस बना चुकी है।
अब घटिय फोरलेन का टोल वसूली करना विस्फोटक स्थिति पैदा करता जा रहा है। टोल आपरेटर्स की गुण्डागर्दी का आलम यह था कि आए दिन ट्रक आपरेटर्स के साथ जबरदस्ती करते और विरोध करने पर पुलिस में गिरफतार करवाते।
पुलिस की भूमिका भी संदिग्ध
टोल बूथों पर 25 जुलाई के बाद निरंतर कानून व्यवस्था की समस्या बन रही है। ट्रक चालक फोरलेन पर अबाधित यातायात, वाहनों को बिना नुकसान के सफर और बेहतर सडक के कारण ईंधन में बचत के लिए टोल देते हैं, लेकिन नेशनल हाइवे-62 के टोल बूथों पर प्रदेश का सबसे ज्यादा टोल देने के बाद भी टूटी सडकों पर टोल देने के बाद भी उनका नुकसान हो रहा है, ऐसे में उनका विरोध लाजिमी था।
इस पर भी जिला पुलिस सीसीटीवी कैमरों की फुटेज देखकर किसी विवाद में टोल नाके संचालकों की भूमिका को देखे बिना ही ट्रक चालकों की गिरफतारियां कर रही है। स्थिति यह थी कि जिला पुलिस ने टोल वसूली के लिए वहंा पर आरएसी तैनात कर दी थी। जबकि पुलिस को इसक विवाद की तह में जाकर उसका निस्तारण करने में भूमिका निभानी चाहिए, इसके विपरीत जिला पुलिस वाहन मालिकों के आर्थिक शोषण में भागीदार बनती रही।
हर किलोमीटर का पैसा
बीओटी आधारित मार्ग पर टोल का असेसमेंट प्रति किलोमीटर के आधार पर होता है। वाहनचालकों की मानें तो ब्यावर से पिण्डवाडा के बीच करीब ढाई सौ किलोमीटर के इस मार्ग पर दो सौ किलोमीटर से ज्यादा का मार्ग क्षतिग्रस्त है। सिरोही-पिण्डवाडा के बीच टनल होने से टी-4 पर सर्वाधिक टोल वसूला जाता है। यह सुरंग 28 अप्रेल से ही बंद पडी है, इसके बावजूद इसका टोल वसूला जा रहा था।
इसका विरोध जबरदस्त तरीके से होने लगा था। स्थानीय प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी ने भी इस मामले में दखल किया और एनएचएआई के अंडर सकेट्री ने सिरोही में बैठक के दौरान भी इसे गंभीरता से लिया। दरअसल, हजारों करोड रुपये के इस प्रोजेक्ट के लिए लगाई गई शरूआती राशि का एलएण्डटी ने सही इस्तेमाल नही किया।
घटिया निर्माण सामग्री, गेर तकनीकी लोगों से निर्माण के कारण इस मार्ग पर खामियां प्रथम दृष्टया देखने से ही नजर आ रही थी। इसके लिए स्थानीय नेताओं ने कई बार एनएचएआई से पत्राचार भी किया, लेकिन उसने कोई ध्यान नहीं दिया।
अब ठेकेदार कंपनी का यह विचार है कि उसके पुराने पैसे का कोई हिसाब किताब नहं पूछे और वह टोल के पैसों से ही उसको दुरुस्त करे जिससे उसके मुनाफे में कहीं कमी नहीं हो, जबकि कायदे से कंसल्टिंग कम्पनी की रिपोर्ट के आधार पर बिना इस मार्ग को दुरुस्त किए हुए इस मार्ग को शुरू ही नहीं किया जाना चाहिए था, लेकिन बारिश ने एनएचएआई के इस मार्ग की ऐसी पोल खोली की दिल्ली से एनएचएआई के अधिकारियेां को इस मार्ग के बंद होने की जानकारी करने आना पडा।
देश में ब्यावर-पिण्डवाडा फोरलेन एनएचएआइ्र का एक ऐसा प्रोजेक्ट होगा, जो शुरू होने के महीने भर में ही इस कदर टूटकर इस कदर बर्बाद हुआ कि इस पर यातायात तक रोकना पडा।
हर जगह बचाया पैसा
ऐसा प्रतीत हो रहा है एनएचएआई ने इस मार्ग के निर्माण में हर स्थान पर पैसा बचाने के प्रयास में इस मार्ग की गुणवत्ता से समझौता किया। सूत्रों की मानें तो इस कारण कुछ इंजीनियरों पर इसगी गाज भी गिर चुकी है। कंसल्टिंग एजेंसी ने इसे अपनी रिपोर्ट में भी बता दिया था। ब्यावर से पिण्डवाडा के बीच पुराने नेशनल हाइवे संख्या 14 को फोरलेन निर्माण के पूर्व ही एनएचएआई को हस्तांतरित कर दिया गया, इसके बाद फारलेन निर्माण तथा इस पुराने मार्ग की देखरेख एलएण्डटी को ही करनी थी, लेकिन एलएण्डटी ने ऐसा नहीं किया और एमओयू की शर्तों का उल्लंघन किया। इस मार्ग को दुरुस्त नहीं करने से इस पर गहरे गडढे हैं। यह अब भारी ट्रकों की वजह से ग्रेवल सडकों में तब्दील हो गया है।
इनका कहना है…..
टोल बंद किए जाने की जानकारी मुझे नहीं है। इसके लिए एलएण्डटी से बात करनी पडेगी।
अशोक पारीक, प्रोजेक्ट इंचार्ज, एनएचएआई।