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pakistan High Commissioner to India Abdul Basit rubbishes indian surgical strike claim
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पाकिस्तान की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं अब्दुल बासित जैसे लोग

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पाकिस्तान की बर्बादी के लिए जिम्मेदार हैं अब्दुल बासित जैसे लोग
pakistan High Commissioner to India Abdul Basit
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भारतीय सेना के सर्जिकल स्ट्राइक को अब तक लगातार नकारते आये भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित द्वारा फिर सर्जिकल स्टाइक पर सवाल उठाया गया है।

अब्दुल बासित का कहना है कि भारतीय सेना द्वारा सर्जिकल स्ट्राइक को तो अंजाम दिया ही नहीं गया है और अगर सर्जिकल स्ट्राइक को अंजाम दिया गया होता तो पाकिस्तान उसका मुंहतोड़ जवाब देता। बासित ने यह भी कहा है कि भारत के पास सर्जिकल स्ट्राइक का वीडियो होने की बात भी गलत है। यह भारत की ओर से की गई एक मनगढंत बात है।

बासित का कहना है कि कोई सर्जिकल स्ट्राइक नहीं हुई। 29 सितंबर को एलओसी पर भारत की तरफ से सीज फायर का उल्लंघन हुआ है, जिसमें पाकिस्तान के दो जवान शहीद हो गए। उसके बाद पाकिस्तान ने भारत की गोलीबारी का तत्काल जवाब दिया।

अब बासित को कौन समझाए कि अगर भारत- पाकिस्तान के बीच भिड़ंत होती है तो मुंहतोड़ जवाब देना तो सिर्फ भारत की रगों में है, पाकिस्तान तो हमेशा पराजय का निराशाजनक स्वाद ही चखता आया है।

बासित अपनी और अपने देश के हुक्मरानों की तसल्ली के लिए अगर सर्जिकल स्टाइक पर सवाल उठा रहे हैं तो इससे उनकी कुंठा और हताशा ही झलकती है, जिसमें पराजय का बोध भी छिपा हुआ है और ऐतिहासिक घटनाक्रमों का दर्द भी।

इतिहास गवाह है कि भारत और पाकिस्तान के बीच जब-जब जंग छिड़ी है तब-तब बर्बादी और तबाही का नजारा तो पाकिस्तान में ही देखने को मिला है। भारतीय हुक्मरानों ने तो हमेशा अपना राष्ट्रीय कर्तव्य निभाया है।

चाहे वह 1965 का युद्ध रहा हा या 1971 का। पाकिस्तान ने भारत पर जब-जब घोषित युद्ध थोपा है तब-तब पराजय हमेशा पाकिस्तान की ही हुई है। अभी सोशल मीडिया में भारत के एक जाबांज सैनिक मनोज ठाकुर द्वारा कविता के रूप में बोली गईं कुछ भावपूर्ण व ओजस्वी पंक्तियां वायरल हो रही हैं, जिसके तहत पाकिस्तान की तरफ से मनोज ठाकुर को धमकी मिलने की खबरें भी आ रही हैं।

अब्दुल बासित को ज्ञात होना चाहिए कि हर भारतीय व देश के सैनिकों का राष्ट्र के प्रति मनोभाव मनोज ठाकुर जैसा ही होता है तथा दुश्मन देश से मुकाबला करने के मामले में पूरा देश एक साथ है। कहीं कोई सांप्रदायिक, जातीय, भाषायी या क्षेत्रीय भेद नहीं।

देश पर अगर संकट आया तो सभी भारतीय प्रण-प्राण से सिर्फ एक ही भाषा बोलते हैं कि दुश्मन देश को मुंहतोड़ जवाब दिया जाए, फिर मुहंतोड़ जवाब देने और दुश्मन देश को उसकी औकात बताने वाला पुरुषार्थ का काम तो भारत के हिस्से में आता है। पाकिस्तान तो मुंहतोड़ जवाब दे ही नहीं सकता, बासित को यह बात समझ लेना चाहिए।

बासित अगर सर्जिकल स्ट्राइक पर सवाल उठा रहे हैं तो इससे पाकिस्तान के मानसिक दिवालियेपन की ही पुष्टि होती है। सर्जिकल स्ट्राइक के मुद्दे पर भारतीय राजनीति में खूब बहस और आरोप-प्रत्यारोप, दावों-प्रतिदावों का दौर चल चुका है तथा देश में अब इस मुद्दे को अनावश्यक तूल देने की आवश्यकता नहीं है।

भारत कूटनीतिक व अंतराष्ट्रीय मापदंडों संबंधी विभिन्न पहलुओं से अच्छी तरह वाकिफ है तथा सर्जिकल स्ट्राइक के सबूत पाकिस्तान को उपलब्ध कराना भारत की कोई मजबूरी नहीं है।

2011 में आपरेशन जिंजर के तहत भारत के जाबांज सैनिक जब 3 पाकिस्तान सैनिकों का सिर काट लाए थे तथा पाकिस्तान की सरजमीं पर रहकर लगातार 48 घंटे तक अपने पराक्रम पूर्ण सैन्य अभियान को अंजाम दिया था तो वह दौर भी अब्दुल बासित को याद होना चाहिए। वैसे पाकिस्तान की बर्बादी व तबाही के लिए बासित जैसे लोग ही जिम्मेदार हैं जो आए दिन पाकिस्तान को मुसीबतों के मुंह में धकेलने वाले बयान देते और कारनामों को अंजाम देते चले आ रहे हैं।

वैसे भी सर्जिकल स्ट्राइक को लेकर पाकिस्तान का बौखलाना और हताशायुक्त बयान देना स्वाभाविक है क्यों कि जैसा बताया जा रहा है कि सर्जिकल स्ट्राइक में पाकिस्तान का भारी नुकसान हुआ है। लश्कर के 20 आतंकी मारे गए। तो इस तरह अब पाकिस्तान सरकार और बासित जैसे जिम्मेदार पदों पर बैठे लोगों पर पाकिस्तानी आतंकियों का दबाव भी बढ़ रहा होगा, जिसे कम करने और अपने देश में कोहराम से बचने के लिए बासित इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।

भारतीयों का इरादा तो यही है कि पाकिस्तान अगर फिर आगे कोई हरकत करे तो उसे मुंहतोड़ जवाब देने में कोताही न बरती जाए साथ ही भारतीय सेना भी किसी भी चुनौती से निपटने के लिए हमेशा तैयार है। भारतीय सेना के जवान उत्साहित हैं तथा उनके हौसले बुलंद हैं। वह किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं।

इसलिए बासित जैसे लोगों को गीदड़ भभकी दिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिये। उन्हें सद्बुद्धि मिले कि वह पाकिस्तान की तबाही का षडय़ंत्र न रचें तथा यह भी याद रखें कि भारत की बर्बादी व पराजय का उनका सपना कभी भी पूरा होने वाला नहीं है।

सुधांशु द्विवेदी

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