नई दिल्ली। नोटबंदी के मुद्दे पर विपक्ष पर निशाना साधते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मंगलवार को यहां कहा कि सार्वजनिक जीवन में लोग आज भ्रष्टाचार और कालेधन के पक्ष में खुलेआम मैदान में उतर रहे हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी देश के लिए मूल्यों का पतन सबसे बड़ा नुकसान होता है।
दिल्ली में जनसंघ के बड़े नेता रहे केदारनाथ साहनी के जीवन पर आधारित स्मृति ग्रंथ के लोकार्पण के अवसर पर प्रधानमंत्री ने कहा कि साहनी ऐसे नेताओं में से थे जो देश-समाज को सर्वोपरि मानते थे।
दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कठिन परिस्थिति में वह भी उनसे सलाह लेती थीं। इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में सिखों के खिलाफ हुए दंगों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा कि उस समय केदारनाथ ने किसी का डर न रखते हुए दिल्ली में सिख परिवारों की रक्षा की और कार्यकर्ताओं को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया।
उन्होंने कहा कि केदारनाथ ऐसे लोगों में से थे जो मरने के बाद भी जीवित रहते हैं। दिल्ली में जनसंघ के प्रारंभिक काल में प्रमुख रूप से तीन चेहरे हमें नजर आते हैं- केदारनाथ साहनी, विजय कुमार मल्होत्रा और मदनलाल खुराना।
उन्होंने कहा कि उनके टेबल पर कागज नहीं रहा करते थे और कार्यकर्ताओं को स्वयं चिठ्ठी लिखते थे। उनका मानना था कि संगठन शास्त्र की नींव व्यवस्था पर नहीं अपनत्व पर अधारित होती है।
इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह सुरेश सोनी ने कहा कि केदारनाथ साहनी आदर्श स्वयंसेवक, राजनीतिक कार्यकर्ता, संगठक, मार्ग प्रदर्शक और मर्यादित आदर्श की प्रतिमूर्ति थे। दिल्ली में पार्टी और उसके प्रसार में और उसे जीत के नजदीक ले जाने में उनका बड़ा योगदान था।
इस अवसर पर स्मृति ग्रंथ के संपादक डॉ. महेश चन्द शर्मा ने कहा कि केदारनाथ साहनी सार्वजनिक जीवन में जिस पार्दर्शिता के लिए संघर्षशील थे, उसी तरह से देश में आज आर्थिक पारदर्शिता का उपक्रम चल रहा है।
उल्लेखनीय है कि यह समृति ग्रंथ दो खंडों में प्रकाशित हुआ है जिसमें 300 से अधिक लोगों ने सहयोग किया। इसकी प्रथम प्रति पर मोदी और सोनी ने हस्ताक्षर किए जिसे साहनी की पत्नी को दिया गया।
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