सबगुरु न्यूज-सिरोही। भारत सरकार की ओर से मंगलवार को नोटबंदी के आदेश के बाद 500 और 1000 रुपये के पुराने नोटों को बंद करने के बाद अवैध घोषित कर देने के बाद गुरुवार को बैंक खुलते ही इन नोटों को बदलवाने के लिए बैंकों में भीड उमड पड़ी।
सवेरे से ही जिले भर में सभी बैंक की शाखाओं से पांच सौ और हजार के नोटों को बदलकर आरबीआई की ओर से जारी किए गए दो हजार और पांच सौ के नए नोटों व सौ, पचास तथा दस के नोट लेने के लिए लोगों की भीड टूट पड़ी पूरे 48 घंटे तक नोटों के अभाव में कुछ भी खरीदारी नहीं कर पा रहे लोगों को छोटे नोटों की आवश्यकता को देखते हुए बैंकों में भी शाम तक कतार टूटी नहीं।
-नहीं पहुंचे नए नोट
आदर्श को-ऑपरेटिव बैंक के एमडी नरेन्द्रसिंह डाबी ने बताया कि दो हजार और पांच सौ के नए नोट समुचित संख्या में नहीं पहुंचे हैं। ऐसे में जो भी व्यक्ति पुराने पांच सौ और हजार के नोटों को बदलवाने के लिए आ रहा है उसे सौ, पचास, बीस और दस की नोट दी जा रही हैं।
-एक दिन में बदले सिर्फ चार हजार
आदर्श बैंक के एमडी ने बताया कि आरबीआई के निर्देशानुसार पहले दिन पांच सौ और हजार के चार हजार रुपये तक के नोट बदले गए। उन्होंने बताया कोई भी व्यक्ति किसी भी बैंक में जाकर चार हजार रुपये तक पांच सौ और हजार रुपये के नोट बदलवा सकते हैं।
उन्होंने बताया कि जिस व्यक्ति का बैंक में खाता है वह अपने ही खाते में चाहे जितने भी हजार व पांच सौ के नोट जमा करवा सकता है, लेकिन किसी दूसरे व्यक्ति को हजार और पांच सौ के नोट बदलवाने के लिए एक सहमति पत्र भरकर भेजना होता है।
इसमें खातेदार के हस्ताक्षर जरूरी हैं। बैंक में हजार और पांच सौ के नोट बदलने से पहले एक फॉर्म भरवाया जा रहा है, जिसमें नोटों की डिटेल तथा जमा करवाने वाले का पता व अन्य डिटेल लिखी है। इसके साथ एक फोटो आईडी की फोटो की प्रति भी लगानी आवश्यक है।
-नियत समय के बाद भी चलता रहा काम
सरकार ने बैंकों को हजार और पांच सौ रुपये के नोट बदलने के लिए शाम पांच बजे तक काम करने को कहा था, लेकिन लोगों की आवश्यकता और मजबूरी को ध्यान में रखते हुए बैंकों ने, विशेषकर निजी बैंकों ने, इसके बाद भी काम किया और उनके यहां लगी कतारों को खतम होने तक नोटबंदी से बेकार हुए नोटों को बदलने की प्रक्रिया जारी रखी। आदर्श के एमडी ने बताया कि इतने जरूरतमंद लोग आए थे कि इसके आगे काम को समय पर नहीं बांधा जा सकता था।
आदर्श बैंक पर तो अन्य राज्यों के चालक भी आए थे, जिन्हें छोटे डिनोमिनेशन के नोट इसलिए चाहिए थे, कि वह कल पूरे दिन नाश्ते पर ही गुजारने को मजबूर हुए। यदि आज उन्हें छोटे डिनोमिनेशन के नोट स्थानीय बैंकों से उपलब्ध नहीं होते तो खाना आज भी नसीब नहीं होता। क्योंकि उनकी जेब में भी सौ, पचास, बीस और दस की नोट सिर्फ चाय पानी की आवश्यकता के लिए ही बचे थे।
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