अजमेर। मित्तल हॉस्पिटल एण्ड रिसर्च सेन्टर 23 दिवसीय और ढाई किलो से भी कम वजन वाले विदेशी नवजात शिशु के किडनी फेलियर का पेरिटोनियल डायलिसिस कर उसका कामयाब इलाज किया गया। बच्चा अब मां के दूध का सेवन कर पा रहा है और तेजी से स्वास्थ्य लाभ पा रहा है।
जानकारी के अनुसार नवजात शिशु मजीन को करीब एक पखवाड़े पहले शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. प्रशांत माथुर की देखरेख में मित्तल हाॅस्पिटल में भर्ती किया गया था। नवजात शिशु बहुत ही सुस्त था, मां का दूध नहीं ले रहा था। शिशु की जांच व पेट की सोनोग्राफी करने पर शरीर में संक्रमण व दोनों किडनी फैल होने का पता चला।
खून में यूरिया की मात्रा 253 मिलीग्राम, क्रिएटिनिन की मात्रा 7.3 मिलीग्राम पाई गई। खून में सोडियम 185 मिलीग्राम व पोटेंशियम 7 मिलीग्राम पाया गया। शिशु को मिर्गी के दौरे आ रहे थे व पेशाब भी नहीं आ रहा था। शिशु की इस गंभीर अवस्था को भांपते हुए शिशु को तुरन्त गुर्दारोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीर सिंह चौधरी को दिखाया गया।
उन्होंने बिना कोई देरी करते हुए शिशु के पेट में नली डालकर पेरिटोनियल डायलिसिस चालू किया। सोडियम मैनेजमेंट किया, शिशु को लगातार चार दिन तक पेरिटोनियल डायलिसिस किया गया। अभी शिशु बिल्कुल स्वस्थ है, उसे उसकी मां के पास दे दिया गया है। शिशु मां का दूध पी रहा है। किडनी फेलियर पूरी तरह से ठीक हो चुका है। ऐंटिबायोटिक का कोर्स पूरा होने के बाद शिशु को डिस्चार्ज कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि नवजात शिशु मजीन अजमेर के भगवंत विश्वविद्यालय के पेट्रोलियम इंजीनियरिंग के छात्र अब्दुल्ला का पुत्र है। अरब देश के यमन क्षेत्र निवासी अब्दुल्ला के अनुसार वह मित्तल हाॅस्पिटल के शिशु रोग विशेषज्ञ डाॅ. प्रशांत माथुर और गुर्दा रोग विशेषज्ञ डाॅ रणवीर सिंह चौधरी की चिकित्सा सेवाओं से बेहद खुश एवं प्रभावित हैं। अब्दुल्ला मित्तल हाॅस्पिटल की सुविधा और व्यवस्थाओं से भी पूर्णतया संतुष्ट है।
उल्लेखनीय है कि मित्तल हाॅस्पिटल के नेफ्रोलोजिस्ट डाॅ. रणवीर सिंह चौधरी को बच्चों व नवजात शिशु के किडनी रोगों का अच्छा अनुभव है। डाॅ रणवीर पहले भी कई बार नवजात शिशु व बच्चों के किडनी फेलियर का इलाज मित्तल हाॅस्पिटल में ही कर चुके हैं।
अजमेर संभाग में बच्चों के किडनी की बीमारियों के इलाज की सुविधा केवल मित्तल हाॅस्पिटल में ही उपलब्ध है। किडनी फेल होने पर बच्चों को पूर्व में जयपुर अथवा दिल्ली ले जाना पड़ता था।