नई दिल्ली। पेट्रोलियम कंपनियों के रोज पेट्रोल-डीजल के दाम बदलने के प्रस्ताव के विरोध में डीलरों द्वारा आहूत हड़ताल वापस ले ली गई है। इसके साथ ही 16 जून से पेट्रोल-डीजल की कीमतों में रोज बदलाव का रास्ता साफ हो गया है।
सरकार ने डीलरों की यह मांग मान ली है कि कीमतों की घोषणा आधी रात को करने के बजाए सुबह छह बजे की जाए। केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बुधवार को यहां संवाददाताओं से कहा कि डीलर नए समय और देशव्यापी पेट्रोल और डीजल की कीमतों में संशोधन 16 जून से करने पर राजी हो गए हैं।
वर्तमान में, सरकारी तेल विपणन कंपनियां (ओएमसी) वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों के आधार पर खुदरा ईंधन के मूल्य की हर पखवाड़े समीक्षा करती हैं और उसे संशोधित करती हैं। इसके बाद मध्यरात्रि से संशोधन प्रभावी होता है।
डीलरों का कहना था कि रोज रात में कीमतें बदले के लिए उन्हें अलग से रात में आदमी लगाने पड़ेंगे, इसलिए इसे सुबह से किया जाए।
प्रधान ने कहा कि कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां थीं, जो हमने आज सभी तीन पेट्रोलियम डीलरों एसोसिएशन के नेतृत्व के साथ बैठक के दौरान हल कर ली है। दैनिक कीमतें सुबह छह बजे बदली जाएंगी।
फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया पेट्रोलियम ट्रेडर्स के अध्यक्ष अशोक बधवार ने कहा कि वे शुक्रवार को बंद का आह्वान वापस ले रहे हैं, क्योंकि सरकार ने सार्वजनिक हित में दैनिक मूल्य संशोधन का निर्णय लिया है।
खुदरा बिक्री मूल्य (आरएसपी) में रोज बदलाव पहले ही एक मई से उदयपुर, जमशेदपुर, विशाखापट्टनम, चंडीगढ़ और पुडुचेरी में पायलट आधार पर लागू किया जा चुका है।
पांच शहरों पायलट परियोजना की सफलता के बाद, इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन और भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने अब इसे देश भर में लागू करने का फैसला किया है।
इंडियन ऑयल ने एक बयान में कहा कि यह कदम यह सुनिश्चित करेगा कि अंतर्राष्ट्रीय तेल की कीमतों में भी सबसे छोटे परिवर्तन का लाभ डीलरों और अंत में ग्राहकों को दिया जाए।
दिल्ली पेट्रोल डीलर्स एसोसिएशन ने मंगलवार को कहा कि राजधानी में ज्यादातर पंपों पर तेल कंपनियों द्वारा स्थापित मशीनें ऑटोमेटिक कीमत परिवर्तन का समर्थन नहीं करती हैं। ऐसे में इसे बदलने के लिए कार्यबल की जरूरत होगी।
एसोसिएशन ने कहा कि मैनुअल तरीके से बदलने से गलतियों की संभावना है और पेट्रोल पंप के संचालन में भी देरी होगी।
वैश्विक कच्चे तेल की कीमतों में हाल की अस्थिरता के कारण भारत ने गतिशील मूल्य निर्धारण का विकल्प चुना है, जो कई विकसित देशों में प्रचलित है।