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फाल्गुुनी कांवड़ मेला की शुरूआत, हर-हर महादेव से गूंजा हरिद्वार - Sabguru News
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फाल्गुुनी कांवड़ मेला की शुरूआत, हर-हर महादेव से गूंजा हरिद्वार

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फाल्गुुनी कांवड़ मेला की शुरूआत, हर-हर महादेव से गूंजा हरिद्वार
Phalgun Kanwar Fair starts in Haridwar
Phalgun Kanwar Fair starts in Haridwar
Phalgun Kanwar Fair starts in Haridwar

हरिद्वार। उत्तराखंड में विश्वप्रसिद्ध तीर्थ नगरी हरिद्वार में फाल्गुनी कांवड़ मेला की शुरूआत के साथ ही दूसरे राज्यों तथा आसपास के क्षेत्रों से शिवभक्त कांवडियों के यहां पहुंचने का सिलसिला शुरू हो गया।

हरिद्वार में हर साल दो चरणों में कांवडा यात्रा निकलती हैं। पहले चरण की कांवड़ यात्रा श्रावण माह तथा दूसरी कांवड़ यात्रा फाल्गुन के महीने में निकलती है, हालांकि इस यात्रा में अपेक्षाकृत भीड़ कम रहती है। यहां की कांवड यात्रा में ज्यादातर हरियाणा, राजस्थान एवं पंजाब के यात्री ज्यादातर शामिल रहते हैं।

इस बार हरियाणा में जाट आरक्षण आन्दोलन की वजह से यहां से आने वाले कांवडियों की तादाद में कमी आई है जिससे होटल, धर्मशालाएं और आश्रम अभी भी खाली पड़े हुए है तथा बाजारों से भी रौनक गायब है।

सूत्रों के अनुसार फाल्गुनी कांवड़ यात्रा के लिए प्रशासन ने पहले ही तैयारियां शुरू कर दी थी। अद्र्धकुंभ के दौरान की गई व्यवस्थाओं का पूरा लाभ यहां आने वाले कांवडियों को मिलेगा। उन्हें पेयजल, स्वास्थ सुविधाओं के साथ ही अस्थायी शौचालयों की सुविधा का लाभ भी मिलेगा।

सूत्रों के अनुसार कांवड़ यात्रा को शास्त्रों में श्रवण कुमार की कथा से जोड़कर देखा जाता रहा हैं । शास्त्र के मुताबिक श्रवण कुमार ने अपने माता पिता को कांवड पर बिठाकर और कंधों पर लादकर तीर्थो के दर्शन कराए थे। इसी प्रकार कांवड यात्री भी कंधों पर कांवड उठा कर उसमें गंगाजल भरकर यात्रा करते हैं।

एक अन्य प्रसंग भगवान परशुराम से जुड़ा हुआ हैं। परशुराम ने भगवान शिव की घोर तपस्या की थी और श्राप से मुक्ति के लिए कांवड़ में जल भरकर पैदल यात्रा करके शिवालय पर जलाभिषेक किया था , जिससे उन्हे शिव के द्वारा वरदान भी प्राप्त हुआ था। इसी परंपरा को निभाते हुए अपनी मनोकामना लिए शिवभक्त कांवडिये जल भरने यहां आते है और शिवरात्रि के दिन शिवालयों पर जल चढ़ा कर यात्रा को विराम देते हैं।

आगामी सात मार्च शिवरात्रि के दिन हजारों की संख्या में कांवड यात्री यहां हरिद्वार में स्थित बिल्वकेश्वर महादेव, गौरी शंकर महादेव, दक्ष प्रजापति महादेव, वीर भद्रेश्वर मंदिर, तिलभाण्डेश्वर मंदिर, नीलेश्वर मंदिर के अलावा ऋशिकेष स्थित नीलकंठ महादेव मंदिर में जल चढ़ाएंगे।

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