मनीला। फिलीपींस के पूर्व ‘तानाशाह’ राष्ट्रपति फरडीनैंड मार्कोस का शव उनकी मृत्यु के 27 वर्ष बाद उनके परिवार की इच्छानुसार मनीला के एक ऐसे कब्रिस्तान में दफनाया जाएगा जो फिलीपींस के विशेष लोगों के लिए सुरक्षित रखा गया है।
फरडीनैंड मार्कोस फिलीपींस के दसवें राष्ट्रपति थे जो 30 दिसम्बर 1965 से 25 फरवरी 1986 तक राष्ट्रपति रहे। इन 21 वर्षों में मार्कोस ने फिलीपींस पर कथित रूप से एक तानाशाह की भांति शासन किया। उनके परिवार पर यह भी आरोप है कि वह भ्रष्टाचार में लिप्त थे।
इन्हीं कारणों से अभी तक फिलीपींस की किसी भी सरकार ने मार्कोस के शव को इस कब्रिस्तान में दफ़न करने की इज़ाज़त नहीं दी थी, क्योंकि यह कहा जाता है कि उनके शासनकाल में फिलीपींस की जनता पर काफी अत्याचार हुए थे। उन्हें 1986 में निष्कासित किया गया था।
लंबी बीमारी के बाद 72 वर्ष की आयु में होनोलूलू के एक अस्पताल में उनका देहांत हो गया। तब से लेकर आज तक उनके परिवार वालों ने उनके शव को दफ़नाने से इनकार किया था। वह मांग कर रहे थे कि उनका शव इसी कब्रिस्तान में दफनाया जाए।
फिलीपींस के राष्ट्रपति रॉड्रिगो दूआर्तेते ने मार्कोस के शव को इस कब्रिस्तान में दफ़नाने की आज्ञा दे दी और कहा कि यह क़दम मार्कोस को मरणोपरांत सम्मान देगा क्योंकि वह द्वित्तीय विश्व युद्ध के एक सेनानी थे और फिलीपींस के राष्ट्रपति भी थे।
दूआर्तेते ने कहा इससे संभवतः फिलीपींस में कुछ हद तक राजनीतिक दूरियां भी समाप्त हो जाएं। उन्होंने कहा पूर्व राष्ट्रपति होने के नाते मार्कोस का शव आदर सहित दफ़नाने के योग्य है। मार्कोस के शव को 28 सितम्बर को दफनाया जाएगा।
दूआर्तेते ने कहा कि मार्कोस के परिवारवालों का यह भी हक़ है कि वह मार्कोस के शव को आदरपूर्वक दफनाएं परंतु दूआर्तेते के इस निर्णय पर फिलीपींस की जनता बंटी हुई है। जहां एक ओर मार्कोस के समर्थक खुश हैं, वहीँ दूसरी ओर कुछ लोग इसका विरोध कर रहे हैं।