नई दिल्ली। एक निजी गठबंधन ने दावा किया है कि खबरों से संबंधित कुछ मोबाइल एप्लीकेशन डाउनलोड करने वाले सैन्य अधिकारियों के फोनों को पाकिस्तान के हैकरों ने हैक किया था।
बहरहाल सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग ने इस प्रकार की किसी खबर से यह कहकर इंकार किया है कि उनके समक्ष इस प्रकार का कुछ भी नहीं आया है।
ग्राउंड जीरो शिखर बैठक 2015 की वेबसाइट में कहा गया कि पिछले साल इंडिया इंफोसेक कंसोर्टियम के साइबर सुरक्षा शोधकर्ताओं ने पाया कि रक्षा समाचार वेबसाइट ओर मोबाइल एप्पस की आड़ में बड़ी संख्या में भारतीय रक्षा कर्मियों को मालवेयर और वायरसों के जरिये निशाना बनाया जा रहा है। इसमें कहा गया है कि गुप्तचरी का यह गिरोह उन लोगों द्वारा चलाया जा रहा है जो पाकिस्तान से बाहर स्थित हैं।
संपर्क किए जाने पर इस विषय के वक्ता आईआईसी के सीईओ जितेन जैन ने बताया कि न्यूज मोबाइल एप्लीकेशंस और वेबसाइटों के कूट विश्लेषण के आधार पर यह पाया गया कि यह अभियान पिछले कम से कम तीन सालों से चलाया जा रहा था।
उन्होंने कहा कि इन एप्लीकेशनों से हजारों मोबाइल फोन प्रभावित हुए हैं। इनके ब्यौरे छह माह पहले सुरक्षा एजेंसियों को सौंप दिए गए। वह फौरन हरकत में आयी और उसने प्रभावित फोनों और प्रणालियों को जोखिम मुक्त किया।
बहरहाल, महानिदेशक सीईआरटी आईएन कंप्यूटर इमर्जेंसी रिसपांस टीम इंडिया बीजे श्रीनाथ ने कहा कि वह ऐसी किसी खबर से अवगत नहीं हैं। बहरहाल, मेरी जानकारी में ऐसी कोई खबर नहीं आई।
यह गठजोड़ 2611 के मुंई हमलों के बाद एकजुट हुआ। इसके अनुसार पाकिस्तान की खुफिया एजेंसियों को वे सब संवाद पता चल जाते हैं जो अधिकारी अपने मोबाइल फोन से काल और एसएमएस के जरिये करते हैं। साथ ही मोबाइल फोन के कैमरे और वीडियों के आंकड़े और चित्र भी इसके मालिक की सूचना के बिना उन तक पहुंच जाते हैं।