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मासिक धर्म शर्म की बात नहीं : एक्ट्रेस ज्योति सेठी - Sabguru News
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मासिक धर्म शर्म की बात नहीं : एक्ट्रेस ज्योति सेठी

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मासिक धर्म शर्म की बात नहीं : एक्ट्रेस ज्योति सेठी
'Phullu' actor wonders why people make menstruation a taboo
'Phullu' actor wonders why people make menstruation a taboo
‘Phullu’ actor wonders why people make menstruation a taboo

नई दिल्ली। आर्थिक रूप से गरीब महिलाओं के बीच मासिक धर्म और सैनिटरी नैपकिन की जागरूकता फैलाने के इदगिर्द घूमती फिल्म ‘फुल्लू’ की अभिनेत्री ज्योति सेठी का कहना है कि मासिक धर्म कोई शर्म की बात नहीं है और समाज में इसे लेकर जागरूकता होनी जरूरी है।

अभिषेक सक्सेना निर्देशित फिल्म ‘फुल्लू’ शुक्रवार को रिलीज हो रही है। इसमें ज्योति के अलावा अभिनेता शरीब हाश्मी मुख्य किरदार में हैं।

फिल्म में अपने किरदार के बारे में ज्योति ने बताया कि मैं इस फिल्म में फुल्लू की पत्नी का किरदार निभा रही हूं। फुल्लू भोला-भाला और मासूम है। मासिक धर्म क्या है, यह उसे शादी के बाद पता चलता है और जब उसे औरतों को मासिक धर्म के दौरान होने वाली परेशानियों का अहसास होता है, तो वह बैचेन हो जाता है, यहीं से फिल्म की असली कहानी शुरू होती है।

ज्योति से जब पूछा गया कि इस प्रस्ताव को स्वीकार करने के पीछे कोई विशेष कारण रहा, तो इस पर उन्होंने बताया कि जब मेरे पास पटकथा आई, तो मैं इसे विषय से काफी प्रभावित हुई। मुझे लगा कि इस पर बात होनी चाहिए। यह महिलाओं के जीवन का महत्वपूर्ण चरण है, जिस पर कोई बात नहीं करना चाहता। मैं उम्मीद करती हूं इस फिल्म से लोगों की सोच बदलेगी।

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सैनिटरी नैपकिन और मासिक धर्म के इदगिर्द घूमती ‘फुल्लू’ का विषय अक्षय कुमार के प्रोडक्शन्स की फिल्म ‘पैडमैन’ से मिलता-जुलता है, इस पर ज्योति ने कहा कि पैडमैन अरुणाचलम मुरुगनंतम की वास्तविक जीवन की कहानी है। पैडमैन एक व्यक्ति द्वारा महिलाओं के लिए सस्ते सैनिटरी नैपकिन बनाने पर आधारित है।

दूसरी ओर हमारी कहानी ग्रामीण इलाकों में स्वच्छता और सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करने के लिए है, जहां लोग पैड के अस्तित्व को नहीं जानते। इसलिए फुल्लू, पैडमैन से अलग है।

उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य सैनिटरी नैपकिन के उपयोग के बारे में जागरूकता पैदा करना है। यह फिल्म समाज को कितनी प्रभावित कर पाएगी, इस पर ज्योति ने कहा कि मुझे लगता है कि जब कुछ ऐसा होता है तो उसका प्रभाव समाज पर पड़ता ही है, खासकर फिल्में, जब फिल्मों में ऐसे मुद्दे उठाए जाते हैं तो वह दर्शकों की व्यापक संख्या तक पहुंचते हैं। हम उम्मीद करते हैं कि फुल्लू समाज में जागरूकता फैलाएगी और इसके आने वाली पैडमैन से यह जागरूकता और बढ़ेगी।

भारत में 66 प्रतिशत लड़कियां अपने पहली माहवारी शुरू होने से पहले मासिक धर्म के बारे में कुछ नहीं जानती हैं। इस विषय पर महिला व पुरुष दोनों ही बात करने से कतराते हैं, आप इस विषय की जागरुकता को कितना महत्वपूर्ण मानती हैं, इस पर ज्योति ने कहा कि एक महिला होने के नाते मैं इस विषय से बहुत जुड़ाव महसूस करती हूं और मुझे लगता है कि समाज में इसके प्रति हर किसी को जागरूक होना चाहिए। हमारा मकसद लोगों खासकर महिलाओं को बताना है कि मासिक धर्म की कोई शर्म की बात नहीं है। यह प्राकृतिक क्रिया है।

अपनी आगामी फिल्म परियोजनाओं के बारे में कुछ बताना चाहेंगी, इस पर उन्होंने बताया कि मैं ‘डीएनए में गांधीजी’ की शूटिंग कर रही हूं। इसके अलावा भी कई परियोजनाओं पर काम चल रहा है। अभी फुल्लू के प्रचार में व्यस्त हूं और उम्मीद कर रही हूं कि यह लोगों को पसंद आए।