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बॉडी कि फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता 'पिलाटे' - Sabguru News
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बॉडी कि फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता ‘पिलाटे’

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बॉडी कि फ्लेक्सिबिलिटी बढ़ाता ‘पिलाटे’

बढ़ते काम-काज के चलते व्यस्त जीवन-शैली में फिट रहने के लिए सुबह-शाम टहलना, व्यायाम करना या फिर योगासन का सहारा लेना जरूरी है ताकि काम के तनाव के बीच रिफ्रेश होने का मौका मिलने के साथ ही बिगड़ते स्वास्थ्य को भी सुधारा जा सके। लोगों की इसी जरूरत को देखते हुए विश्वभर में व्यायाम और योगा को प्रभावी बनाने के लिए नित नए प्रयोग किए जा रहे हैं।

एक ऐसा ही नया प्रयोग है पिलाटे एक्सरसाइज। यह व्यायाम का एक आधुनिक प्रकार है जिसमें माना गया है कि हमारा मस्तिष्क ही शरीर की मांसपेशियों को कंट्रोल करता है। इसी वजह से इस एक्सरसाइज में दोनों के बीच सही तालमेल बैठाने की कोशिश की जाती है। फिटनेस के शौकीनों में पिलाटे नाम की नई विधा तेजी से लोकप्रिय हो रही है। यह न सिर्फ शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखती है बल्कि सही हाव-भाव और संतुलन बनाने में भी मददगार है। पिलाटे एक्सरसाइज से फिट बॉडी के साथ बेहतर पोश्चर और बैलेंस मिलता है। तभी तो यह दुनियाभर की सेलेब्रिटिज के बीच भी हिट है।

भारतीय अभिनेत्री दीपिका पादुकोण खुद को पिलाटे एक्सरसाइज की मदद से फिट रखती हैं। दीपिका का मानना है कि मेरे शरीर के लिए टोनिंग की खास जरूरत होती है। ऐसे में पिलाटे सही काम करता है। इसी तरह वर्ष 2011 की फेमिना मिस इंडिया अंकिता शोरे भी बॉडी शेप का पूरा श्रेय पिलाटे को देती हैं। बकौल अंकिता, पिलाटे ने कुछ हफ्तों में ही गजब का असर दिखाया। इससे मुझे बिल्कुल वैसी ही बॉडी शेप मिली, जैसा मैं चाहती थी।

कंट्रोलिंग पावर

गौरतलब है कि पिलाटे एक्सरसाइज को दुनियाभर में तेजी से अपनाया जा रहा है। दरअसल, व्यायाम के इस नए रूप के जनक जर्मनी के जोसफ पिलाटे मानते हैं कि इंसानी दिमाग ही शरीर की सभी मसल्स को कंट्रोल करता है। इसलिए बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी है कि शरीर के इन हिस्सों को मजबूत किया जाए। हालांकि उन्होंने अपनी इस खोज को ‘कंट्रोलॉजी’ का नाम दिया था लेकिन अब धीरे-धीरे यह इन्हीं के नाम ‘पिलाटे’ के रूप में मशहूर हो चुका है।

व्यायाम की इस शैली का फोकस शारीरिक फ्लेक्सिबिलिटी और दिमागी स्ट्रेंथ मेंटेन करने पर होता है। यह शरीर के बेहतर तालमेल और रिलैक्स्ड माइंड पर काम करता है। इसकी प्रैक्टिस करने वाले लोग किसी भी तरह की चोट से भी जल्दी निपट लेते हैं। जोसफ पिलाटे की मानें तो पिलाटे एक्सरसाइज में छह प्रमुख नियम हैं एकाग्रता, नियंत्रण, केंद्रीय, प्रवाहित होना, शुद्धता और श्वसन क्रिया। इन नियमों के अनुसार, सही श्वसन क्रिया की मदद से शरीर में आॅक्सीजन का लेवल सही होता है और खून का प्रवाह भी सही बना रहता है।

मैट एक्सरसाइज

पिलाटे एक्सरसाइज में सभी व्यायाम स्टेप्स मैट पर ही किए जाते हैं। असल में, सही तरीके से श्वास लेना खून के प्रवाह को सही नियंत्रित बनाए रखता है और इसके सर्कुलेशन को बढ़ाता है। पिलाटे के सही फायदे और असर के लिए जरूरी है कि आप वेल-एक्सपीरियंस्ड ट्रेनर की गाइडेंस में ही इसे करें। इस प्रैक्टिस में या तो मैट एक्सरसाइज होती है या फिर बॉडी वेट को रेजिस्टेंस के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है ताकि एक्सरसाइज के दौरान कुछ चुनौती भरे स्तर पर बेहतर कर सकें और मदद मिल सके। ऐसे में आप बेसिक लेवल से शुरुआत कर एबिलिटी और फिटनेस गोल के हिसाब से आगे बढ़ सकते हैं।

अंदर से टोन-अप

आजकल आॅफिस में बिताए जाने वाले समय की मात्रा बढ़ने लगी है। दिनभर एक ही सीट पर बैठकर काम करने से पीठ और गले में दर्द की समस्या बढ़ रही है। इसके साथ ही कमर के निचले हिस्से में दर्द की समस्या भी आम हो रही है। इनसे बचाने में पिलाटे जबर्दस्त ढंग से कारगर सिद्ध हो रहा है। इस एक्सरसाइज के दौरान किए जाने वाले कुछ स्टेप्स शरीर के विभिन्न हिस्सों में होने वाले दर्द से निजात दिलाते हैं। नियमित रूप से पिलाटे करने वाली करुणा कहती हैं कि दिनभर एक ही सीट पर बैठकर काम करने से बैक पेन, नेक पेन के साथ लोअर वेस्ट पर फैट लेयर्स की समस्या बढ़ने लगी थी। ऐसे में पिलाटे से मुझे बहुत राहत मिली।

यही नहीं, अब बॉडी पोश्चर पहले से बेहतर हो गया है और खुद में ज्यादा स्ट्रेंथ महसूस करती हूं। वहीं, फिटनेस एक्सपर्ट्स की मानें तो पिलाटे बॉडी को मजबूती देता है। ऐब्स, पेल्विक और बैक के लिए यह बेहद फायदेमंद है। अक्सर महिलाएं डिलीवरी के बाद जो फैट गेन कर लेती हैं, वहां बॉडी को टोन करने में भी पिलाटे से काफी मदद मिलती है। इससे हिप्स और थाइज को स्ट्रेंथ मिलती है। असल में, पिलाटे मसल्स को भीतर से टोन-अप करता है। जिन्हें लोअर सर्वाइकल या बैक की प्रॉब्लम है, उनके लिए भी यह सूटेबल है। कह सकते हैं कि यह बॉडी के लिए फिजियोथैरेपी की तरह काम करता है।

किसे है बेनिफिट

  • इंजरी प्रिवेंशन में।
  • एथलीट और डांसर्स के टेक्नीक इंप्रूवमेंट में।
  • प्रि एंड पोस्ट नेटल प्रेग्नेंसी फेज।
  • 12 साल से ज्यादा की एज के बच्चों में।
  • ऐब्डमेन और लो बैक पेन में।
  • फास्टर वेट लॉस।
  • डायबिटीज-अस्थमा के रोगियों के लिए बेहतर।
  • लंबी ट्रैकिंग पर जाने से पहले।
  • स्पाइन को स्ट्रॉन्ग बनाने में।

    क्या हैं फायदे

  • दिमाग और मसल्स के बीच तालमेल बैठाना।
  • शरीर का एनर्जी लेवल बढ़ाना।
  • शारीरिक पोश्चर्स को सही करना।
  • शरीर को शक्ति देना
  • शरीर को लचीला बनाना।