भोपाल/गुना। अपने पूर्वजों को श्रद्घापूर्वक याद करने के साथ उन्हें एक पखवाड़ा तक तर्पण करने के लिए 16 सितम्बर से श्राद्ध पक्ष शुरू हो रहा है।
पंडितों के मुताबिक इस वर्ष भाद्र मास की पूर्णिमा के साथ श्राद्ध पक्ष शतभिषा नक्षत्र और शुक्रवार के दिन से शुरू होने से यह पर्व विशेष संयोग लेकर आ रहा है।
इस पखवाड़े में अपने पुरखों को जल अर्पण करने के साथ श्राद्ध पूर्वक उन्हें तर्पण करने से सभी वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति में सुधार होने व घर में सुख-समृद्धि बढ़ेगी।
किसान वर्ग के लोगों के द्वारा अपने पूर्वजों के प्रति श्राद्ध पक्ष में किए गए श्राद्ध से उन्हें खेती में कई गुना मुनाफा होगा। इस शुक्र गृह जल संग्रहण कर देश में पानी की समस्या का निराकरण करने वाला रहेगा।
उन्होंने बताया कि श्राद्ध पक्ष में किसी भी जलाशय में तर्पण करने के बाद जो भोज्य पदार्थ तैयार किया जाता है उसके पांच भाग किए जाते हैं एक भाग चीटियों के लिए, दूसरा कुत्तों के लिए, तीसरा कौए के लिए, चौथा गाय तथा पांचवां कन्या के लिए दिया जाना चाहिए तभी सही रूप में तर्पण माना जाता है।
उन्होंने बताया कि तर्पण का इतिहास भगवान राम के समय त्रेता युग से शुरू हुआ है। भगवान राम ने अपने पिता दशरथ सहित अन्य पूर्वजों के लिए तर्पण करना शुरू किया था।
पंडितों के मुताबिक पुराणों में जो उल्लेख है उसमें श्राद्ध पक्ष में हम जो तर्पण करते हैं हमारे पूर्वज इस पखवाड़े में वायुरूप में रहते हैं। वे वायु रूप में ही हमारे द्वारा कुशा से किया गया तर्पण से जल अर्पण करते हैं।
हमारे पूर्वज जिस लोक में भी रहते हैं उन्हें इस दौरान भगवान वायु के रूप में रहने की छूट देते हैं जो भी व्यक्ति तर्पण करते हैं उनके पूर्वजों को इस पक्ष में वही मिलता है जो उनके परिजन द्वारा दिया जाता है।
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