
भोपाल। शनिवार सुबह भोपाल के राजा भोज एयरपोर्ट पर एक बार फिर बड़ा विमान हादसा टल गया। पायलट की सूझबूझ के चलते विमान में सवार 45 यात्रियों की जान बच गई लेकिन एक बार फिर प्रदेश से संचालित विमानन सेवा पर कई सवाल खड़े हो गए हैंं।
ऐसा पहली बार नहीं हुआ हैं जब कोई विमान हादसे का शिकार होने से बचा हो। पिछले डेढ़ साल में मध्य प्रदेश में 6 विमान हादसे टले हैं जिसमें हर बार पायलट ने अपनी सूझबूझ से 475 यात्रियों की जान बचाई हैं।
पिछले साल अप्रैल 2015 से शुरू हुआ हादसों का दौर लगातार जारी हैं। अब तक हुए विमान हादसों में नजर डाले तो इनमें से कई हादसे ऐसे हैं जो मध्य प्रदेश का नाम बड़े विमान हादसों के काले अध्याय के रूप में दर्ज हो जाता। एक ओर मध्य प्रदेश को देश की दूसरी बड़ी राजधानीयों के समतुल्य लाने का प्रयास किया जा रहा हैं लेकिन विमानन सेवा के प्रति शासन का रवैया उदासीन हैं।
28 अगस्त 2016 जबलपुर एयरपोर्ट
पिछले माह 28 अगस्त को जबलपुर के डुमना एयरपोर्ट पर एयर इंडिया का एक विमान एटीआर-72 लैंड हुआ। लैंडिंग के बाद विमान टर्मिनल की तरफ पार्किंग के लिए आगे बढ़ रहा था। इसी दौरान थोड़ी देर पहले ही स्पाइस जेट की उड़ान से उतरे यात्रीयों की बस विमान के सामने आ गई और टकराने से बच गई। विमान बस के इतनी नजदीक आ गया था कि बस में से 30 यात्री घबराकर बस में से कूद पड़े थे।
9 मार्च 2016 भोपाल एयरपोर्ट
इसी साल 9 मार्च को बड़ा हादसा उस समय टल गया था जब एक पंछी एयर इंडिया के विमान से टकरा गया था, उस वक्त विमान में 129 यात्री सवार थे। इसके तीन माह पहले भी कई बार ऐसा दौर आया था कि जब यात्रियों की जान सांसत में पड़ गई थी।
इसी तरह 1 दिसंबर 2015 को भी एयर इंडिया की उड़ान संख्या एआई 633 रन वे टच करने के कुछ देर बाद ही हादसे का शिकार हो गई थी। विमान के टायर फट गए थे। विमान में 100 से अधिक यात्री थे। हालांकि टायर फटने के बावजूद पायलट ने विमान की सुरक्षित लैंडिँग करा ली।
राजधानी के ही राजा भोज एयरपोर्ट पर दिल्ली से भोपाल एयरपोर्ट पर आई एयर इंडिया की फ्लाइट एआई 435 सुबह सवा सात बजे जैसे ही लैंडिंग कर रही थी, तभी उसके विंग से गिद्ध टकरा गया। इस टक्कर के साथ ही विमान कुछ सेकंड के लिए अनियंत्रित हो गया। उसकी उड़ान में तकनीकी खराबी आ गई, पर पायलट की सूझबूझ के बाद विमान की सुरक्षित लैंडिंग कर ली गई। घटना के वक्त विमान में करीब 116 यात्री सवार थे।
4 दिसम्बर 2015 जबलपुर एयरपोर्ट
जबलपुर में भी टला था बड़ा हादसा, 53 यात्री बच गए थे। डुमना एयरपोर्ट पर 4 दिसंबर को भी बड़ा हादसा टल गया था। जबलपुर के रनवे पर एक वाइल्ड बोर दौड़ते हुए आया और विमान से टकरा गया। वाइल्ड बोर के टकराते ही स्पाइसजेट के विमान का टायर फट गया, जिससे तेज धमाका हुआ और यात्रियों ने चीखना शुरू कर दिया। पायलट ने बमुश्किल विमान को नियंत्रित कर रनवे पर रोका। विमान के रुकते ही यात्री अपने परिवार के साथ भागने लगे।
13 अप्रैल 2015 खजुराहो एयरपोर्ट
इससे पहले खजुराहो में भी बड़ा हादसा टल गया था, जब पर्यटकों को लेकर जा रहे विमान का पहिया ही टूटकर अलग हो गया था। दिल्ली से खजुराहो जा रहे जेट एयरवेज का विमान 9ङ्ख2423 लैंड होते वक्त रनवे से टकराकर उछला और उसका एक पहिया अलग हो गया था। यात्रियों को आपातकालीन द्वार से विमान के बाहर निकाला गया। लोग इस हादसे से इतना डर गए थे कि वह विमान के दरवाजे से ही कूद गए थे। हालांकि इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ था।
पिछले कुछ वर्षों में प्रदेश में विमानन गतिविधियां बड़ी हैं। सेना का बड़ा विमान गजराज भी यहां टच एंड गो अभियान के तहत आता रहता है। इसके अलावा सुल्तानिया इंफ्रेंट्री, थ्री ईएमई सेंटर और सेना के द्रोणाचार्य पहाड़ी और सुदर्शन कोर के विमान और सूर्य किरण विमान राजधानी के आकाश में हैरतअंगेज करतब दिखाने आते हैं। इतनी गतिविधियों के बावजूद प्रशासन किस हादसे का इंतजार कर रहा है।
विमानों की सुरक्षित लैंडिंग के लिए राजा भोज एयरपोर्ट को बर्ड फ्री जोन बनाने की कवायद किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाई है। हाल ही में वायुसेना में शामिल हुआ तेजस विमान भी भोपाल में लैंड होता है। पिछले ही दिनों यहां बैंगलुरू से आए तेजस ने सुरक्षित लैंडिंग की थी। इसके बाद वह लद्दाख से लौटकर दोबारा से भोपाल आया था। ऐसे में इन लड़ाकु विमानों के लिए भी यहां की आबोहवा खतरे से खाली नहीं है।