रायपुर। छत्तीसगढ़ के धमतरी और राजिम क्षेत्र के हजारों लोगों की जीवनरेखा बनी 117 साल पुरानी छुकछुक गाड़ी यानी छोटी रेल लाइन पर चलने वाली गाड़ी एक मई से न तो रायपुर आएगी और न ही रायपुर से छूटेगी।
रेलवे के नए आदेश के तहत अब छोटी रेल लाइन को एक मई से रायपुर से करीब 20 किलोमीटर दूर केंद्री स्टेशन से चलाने का निर्णय लिया गया। इसके लिए तैयारियां भी हो चुकी हैं।
केंद्री से इसके परिचालन के साथ ही रायपुर से पटरियां उखाड़ने का काम शुरू कर दिया जाएगा। यानी 30 अप्रेल तक ही रायपुर तक छोटी रेल लाइन का संचालन होगा, उसके बाद एक मई से रायपुर से बंद कर दिया जाएगा।
बताया जाता है कि रायपुर से पटरी उखाड़ने के साथ ही यहां फोरलेन एक्सप्रेस वे का काम शुरू होगा और 2018 तक यहां पटरी के स्थान पर सड़क नजर आने लगेगी।
20 साल तक हीरालाल सोलंकी ने चलाई थी मकराना-परबतसर के बीच ट्रेन
117 साल के सफर में ‘छुकछुक’ ने आम जनजीवन के लिए काफी योगदान दिया है। राजिम मेला से राजिम कुंभ तक के सफर में इस ट्रेन पर भीड़ आज भी लोगों को याद है।
रेलवे की सीनियर डीसीएम आर. सुदर्शन का कहना है कि केंद्री में लोकोशेड पूरी तरह तैयार है। यहां परिचालन शुरू होते ही पटरी उखाड़ने का काम भी शुरू कर दिया जाएगा। छोटी रेल लाइन को एक मई से केंद्री स्टेशन से चलाने का निर्णय लिया गया है।
गौरतलब है कि रायपुर से धमतरी और राजिम के बीच छोटी लाइन बिछाने का काम अक्टूबर, 1896 में शुरू किया गया था। ब्रिटिश इंजीनियर ए.एस. एलेन की अगुवाई में इसका निर्माण कार्य शुरू किया गया था। तब कहीं करीब पांच साल के बाद 45.74 मील लंबी रेल लाइन शुरू हो पाई।
भाप के इंजन से शुरू हुआ छुकछुक का सफर 1980 के बाद डीजल इंजन में तब्दील हुआ। तब से इसका संचालन डीजल से ही किया जाता रहा है। वहीं अभी कुछ महीने पहले रेल स्टेशन से हटाकर तेलीबांधी से इसका संचालन किया जा रहा था और अब यह केंद्री से चलेगी।
यह छुकछुक गाड़ी आम आदमी और रोजमर्रा के कमाने-खाने के लिए रायपुर आने वालों के लिए जीवनरेखा मानी जाती रही है। लेकिन अब इसका संचालन केंद्री तक होने से कुछ दिक्कतें तो अवश्य आएगी।