सबगुरु न्यूज-आबूरोड। सुर्योदय से कुछ देर बाद ही शनिवार को रीको स्थित प्लाटिक की फैक्ट्री में भयंकर आग लग गई। इस घटना में जान का नुकसान तो नहीं हुआ, लेकिन लाखों रुपये की संपत्ति का नुकसान हुआ। मौके पर मौजूद लोगों ने इकाई में रखी मशीनों को बाहर निकाला। लेकिन, देखते ही देखते इकाई में रखा सामान धूं-धूं कर धधक उठा।
मौके पर पहुंचे लोगों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया लेकिन, इससे काबू नहीं हुआ। सूचना मिलने पर तहसीलदार मनसुखराम डामोर, पालिकाध्यक्ष सुरेश सिंदल, यूआईटी अध्यक्ष सुरेश कोठारी आदि मौके पहुंचे। गेल इंडिया, जेके लक्ष्मी व पालिका की दमकल को सूचना दी गई। करीब चारद घंटे तक चली कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया।
रीको ओद्यौगिक क्षेत्र में प्लास्टिक सामानों की ईकाई प्रिस्टाइन इंडस्ट्रीज है। इसमें शनिवार सुबह ही अचानक आग लग गई। प्लस्टिक के बैग व उन पर प्रिंटिंग का कार्य करने वाली इकाई में मौजूद लोगों ने आग पर काबू पाने का प्रयास किया। साथ ही इकाई में रखी प्लास्टिक बैग सिलाई करने वाली मशीनों आदि को बाहर निकालना शुरु कर दिया। प्रयासों के बावजूद आग पर काबू नहीं पाया जा सका। उनके प्रयास धधकते दावानल के समक्ष धरे रहे गए। मौके पर लोगों की भीड़ एकत्रित हो गई।
सूचना मिलने पर तहसीलदार, पालिकाध्यक्ष, यूआईटी अध्यक्ष, पूर्व पार्षद जितेंद्र परिहार, विजय गोठवाल, दिपेश मरडिया आदि मौके पर पहुंचे। पालिका दमकल, गेल इंडिया व जेके लक्ष्मी की दमकल को सूचना दी गई। साथ ही टेंकरों की मदद से आग पर काबू पाने के प्रयास शुरु किए। वहीं दमकलों की मदद से लगातार पानी की बौछार शुरु की गई। लेकिन, सारे प्रयास नाकाम रहे। आग इकाई व उससे सटे गोदाम तक जा पहुंची। आग लपटों से घिरी इकाई के चारों तरफ लपटें उठने लगी।
आग भीषणता का अंदाज इसी से पता चलता है कि फैक्ट्री की छत में लगे लगा टीन शैड भी धराशायी हो गए। इकाई में लगी मशीन जलकर बर्बाद हो गई। गोदाम में रखा सारा सामान स्वाहा हो गया। दीवारे तक तडक गईं। आसमान में प्लास्टिक का काला धुआं स्याह धुंए का गुबार छा गया। लेकिन, दमकलों व टैंकरों की मदद से आग पर काबू पाने के अनवरत जारी रहे।
मौके पर पहुंची पुलिस ने इकाई में मौजूद लोगों को बाहर निकाला। करीब चार घंटे से अधिक समय तक चली कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पा लिया गया। आग लगने से करीब डेढ़ करोड़ के नुकसान होने की आशंका जताई जा रही है। इस दौरान बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद थे। हट में आग लगने के दौरान कैम्पस में सुरक्षा साधनों का नितांत अभाव नजर आया। कैम्पस में मौजूद लोग प्रशासन व दमकलों पर ही निर्भर रहे। समय रहते आग पर काबू पाने से बड़े हादसे की आशंका थम गई।