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pm modi inaugurates 1st international agrobiodiversity congress 2016
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जैव विविधता और तकनीक की मदद से गरीबी हटाएं वैज्ञानिक : पीएम मोदी

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जैव विविधता और तकनीक की मदद से गरीबी हटाएं वैज्ञानिक : पीएम मोदी
pm modi inaugurates 1st international agrobiodiversity congress 2016
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को वैज्ञानिकों से जैव विविधता को बचाने और तकनीक की मदद से गरीबी हटाने की अपील की साथ ही यह भी कहा कि कृषि जैव विविधता के मामले में भारत बहुत समृद्ध है। इस क्षेत्र में रिसर्च को बढ़ावा दिए जाने की जरूरत है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को यहां पहली बार भारत में होने वाली प्रथम अंतरराष्ट्रीय कृषि जैवविविधता कांग्रेस का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित लोगों का संबोधित कर रहे थे।

इस मौके पर उन्होंने कहा कि कृषि जैव विविधता के पहले सम्मेलन की शुरुआत भारत से हो रही है। कृषि उत्पादन का संस्कृति के तालमेल के साथ पुराना रिश्ता है। जीव-जंतुओं और पौधों की 150 प्रजातियां रोजाना विलुप्त हो रही हैं इसलिए आज जैव विविधता का संरक्षण किया जाना जरूरी है।

उन्होंने कहा कि आज तकनीक हम पर किस प्रकार असर डाल रही है, इस पर ध्यान देना जरूरी है। कृषि में तकनीक के इस्तेमाल से क्या बदलाव आ रहा है इसका ऑडिट होना चाहिए।

उन्होंने मधुमखी का उदाहरण देते हुए कहा कि कीटनाशकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से कई प्रकार का नुकसान हुआ है। मानव ने प्रकृति में दखल देकर ही जलवायु परिवर्तन की समस्या पैदा की है। उसकी इसी गलती से तापमान बढ़ रहा है जो जैव विविधिता को नुकसान पहुंचा रहा है।

जैव विविधता की सुरक्षा का अर्थ है कि उसके लिए उपयुक्त वातावरण तैयार करना। हमारे पूर्वज सामाजिक और आर्थिक प्रबंधन में माहिर थे। उनके संस्कार जनित प्रयासों से ही हम जैव विविधता बचा पाए हैं और प्रकृति के साथ संतुलन बनाते हुए सबकी जरूरत पूरा करते रहे।

मोदी ने कहा कि कृषि जैव विविधता कांग्रेस की शुरुआत दोहरी ख़ुशी है। पिछली कुछ शताब्दियों में जैव विविधता का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। भारत में सबसे ज्यादा जैव विविधता है। ऐसे में इनके संरक्षण की दिशा में काम करना जारूरी है।

देश की आधी आबादी को कृषि से रोजगार मिल रहा है। यह हमारी सोच में होना चाहिए कि जीव जंतुओं का महत्व हमसे कम नहीं है। संयुक्त राष्ट्र ने भी कहा है कि सभ्यता और संस्कृति का बड़ा महत्व है। सामाजिक और आर्थिक प्रबन्धन में हमारे पूर्वज माहिर थे और उनके संस्कार जनित प्रयासों से जैव विविधता बच पाई है।

दुनिया को मिलकर यह प्रयास करना चाहिए कि कौन सा प्रयास बेहतर है जिनको और जगह भी अपनाया जा सकता है। उन्होंने केरल के चावल की मिसाल देते हुए कहा कि भारत में चावल पीढ़ी दर पीढ़ी विकास के साथ आगे बढ़ा।

कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने कहा कि विविधता ही विकास का आधार है ताकि नई पीढ़ी के बीज तैयार किए जा सके। उन्होंने भारत में जैव विविधता में काम कर रहे संस्थानों की जानकारी देते हुए कहा कि इस प्रयास से कृषि, किसान और आमजन का विकास होगा। ताकि सबके लिए भोजन की सुरक्षा की जा सके।

उल्लेखनीय है कि प्रथम अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता कांग्रेस- आईएसी 2016 का आयोजन 6 से 9 नवंबर तक नई दिल्‍ली में किया जा रहा है। इस कांग्रेस में 60 देशों से लगभग 900 प्रतिनिधि भाग लें रहे है।

इसमें कृषि जैव विविधता प्रबंधन और आनुवांशिक संसाधनों के संरक्षण में प्रत्‍येक व्‍यक्‍ति की भूमिका के बारे में बेहतर समझ विकसित करने से संबंधित चर्चा की जाएगी।

प्रथम जैव विविधता कांग्रेस का आयोजन नई दिल्‍ली में करना इसलिए भी महत्‍वपूर्ण है क्‍योंकि भारत में ईसा पूर्व 9000 वर्षों से खेती और पशुपालन का कार्य आरंभ हो चुका था। भारत में विशिष्‍ट पौधों और जीवों की विविधता होने के कारण यह महत्‍वपूर्ण केंद्रों में से एक है।

इसके अतिरिक्‍त 34 वैश्‍विक जैव विविधता हॉटस्‍पॉट में से चार भारत में स्‍थित है- हिमालय, पश्‍चिमी घाट, उत्‍तर-पूर्वी और निकोबार द्वीप समूह। इसके अलावा भारत, फसलीय पौधों की उत्‍पत्ति का विश्‍व के आठ केंद्रों में एक प्रमुख केंद्र है और् वैश्‍विक महत्‍व की कई फसलों की विविधता का द्वितीय केंद्र है।

विश्‍व की बढ़ती आबादी की खाद्य एवं पोषण सुरक्षा में कृषि जैव विविधता के संरक्षण से टिकाऊपन बनाए रखने पर इस अंतरराष्ट्रीय कृषि जैव विविधता कांग्रेस में प्रकाश डाला जाएगा।

इसके अलावा जलवायु परिवर्तन के खतरे से निपटने के साथ ही वर्ष 2050 तक 9.7 अरब वैश्‍विक आबादी (यून डेसा, 2015) की 70 प्रतिशत अतिरिक्‍त मांग को पूरा करने के लिए टिकाऊ कृषि उत्‍पादन के विषय में भी चर्चा जाएगी।

कांग्रेस में जीन बैंकों के प्रभावी और कुशल, आनुवंशिक संसाधनों के क्षेत्रों में विज्ञान आधारित नवोन्‍मेष, आजीविका, फसल विविधता के माध्‍यम से खाद्य और पोषण सुरक्षा, अल्‍प ज्ञात फसलों के प्रयोग और फसल सुधार में जंगली फसल संबंधितों की भूमिका को शामिल करना, संगरोध से संबंधित मुद्दे, जैव रक्षा व जैव सुरक्षा और ज्ञान संपदा अधिकारों तथा जननद्रव्‍य आदान-प्रदान करने के संदर्भ में पहुंच तथा लाभ साझा करने जैसे मुद्दों पर चर्चा ओर ज्ञान साझे किए जाएंगे।

इस कांग्रेस के दौरान कृषि जैवविविधता के प्रभावी प्रबंधन एवं उपयोग में समस्‍त हितधारकों की भूमिका पर चर्चा हेतु जनमंच विकसित करने की भी योजना है।