अहमदाबाद। पीएम नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अपने गुजरात दौरे की शुरुआत सौराष्ट्र-नर्मदा अवतरण सिंचाई योजना (SAUNI) के पहले चरण के उद्घाटन के साथ की। यह प्रॉजेक्ट सूखे से जूझने वाले सौराष्ट्र को पानी की निर्बाध आपूर्ति करेगा।
इस परियोजना के जरिए 10 लाख 22 हजार एकड़ भूमि को खेती के लिए पानी मिलेगा। इस प्रोजेक्ट के तहत 1,126 किलोमीटर लंबी पाइपलाइन बिछाई जाएगी, जिससे नर्मदा का पानी सौराष्ट्र के 115 बांधों को पाइपलाइन के जरिए पहुंचाया जाएगा।
प्रधानमंत्री मोदी के लिए 12,000 करोड़ रुपए की सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण फॉर इरिगेशन (साउनी) परियोजना काफी महत्वाकांक्षी है। उन्होंने इस परियोजना की घोषणा 2012 में की थी, उस समय वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे।
इस बीच गुजरात कांग्रेस ने ‘सौनी’ ‘सौराष्ट्र नर्मदा अवतरण सिंचाई’ योजना के शुभारंंभ को महज चुनावी फंड बताया। कांग्रेस का कहना है कि यह महज जनता को गुमराह करने वाली योजना है।
चुनाव नजदीक आते ही भाजपा सरकार को किसान याद आते हैं। जहां भाजपा सरकार किसानों को सिंचाई के लिए पानी देने में कड़ा रुख होता है, वहीं उद्यमियों को पानी देने में महेरबान रहती है। भाजपा को किसान को ‘वॉटर’ पहुंचाने में नहीं ‘वोटर’ में रुचि है।
गुजरात प्रदेश कांग्रेस समिति के अध्यक्ष भरतसिंह सोलंकी ने कहा कि हालांकि सौराष्ट्र के बांधों और तालाबों को नर्मदा के पानी से भरने की सौनी योजना का प्रारंभ हो। यह न सिर्फ सौराष्ट्र बल्कि गुजरात की जनता के लिए खुशी की बात है, लेकिन तत्कालीन मुख्यमंत्री और मौजूदा प्रधानमंत्री ने जो भी घोषणाएं की हैं उनका अब तक जनता इंतजार कर रही है।
जिस तरीके से भाजपा सरकार की घोषणाओं और बयानबाजी से जनता गुमराह होती रही है कहीं वैसे ही सौनी योजना भी सौराष्ट्र को गुमराह करने वाली योजना तो नहीं बन जाएगी।
लॉलीपोप तो नहीं बनेगी ‘सौनी’ योजना!
विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता शंकरसिंह वाघेला ने ‘सौनी’ को सबसे बड़ा लॉलीपोप योजना बताते हुए कहा कि वर्ष 2012 में इस योजना का शिलान्यास किया गया था, जो अब तक पूरी नहीं हो पाई। वर्ष 2012-16 तक ‘सौनी’ कितना काम हुआ है उसका ब्योरा जनता को देना चाहिए।
उन्होंने कि लोकसभा चुनावों में ‘अच्छे दिन’ और गरीबों को खाते में पन्द्रह-पन्द्रह लाख रुपए जमा कराने के वादे कर भाजपा सत्ता पर तो काबिज हो गई, लेकिन अब पछता रही है। ‘पिंक रिवोल्यूशन’ पर प्रहार करनेवाली भाजपा के ही शासन में मांस का निर्यात बढ़ा है।
उन्होंने प्रधानमंत्री पर सवाल दागते हुए कहा कि सौनी योजना को लेकर सवाल उठना लाजमी है उसके जवाब की भी अपेक्षा है। सही मायने में देखा जाए तो नर्मदा के पानी का 100 वर्ष के अध्ययन का निष्कर्ष निकाला गया है कि नर्मदा में बाढ़ का अतिरिक्त पानी सिर्फ 10 से पन्द्रह दिन ही आता है। बारिश के मौसम में यदि सौराष्ट्र के शेष 115 बांधों में पानी आना स्वाभाविक हैं। लेकिन ऐसे समय जब इन बांधों में पानी नहीं होगा तब किस पानी का उपयोग कर इन बांधों को भरा जाएगा।