मंगलुरू। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को विकास निधि में भ्रष्टाचार को लेकर कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा कि वह कौन से हाथ थे, जिन्होंने प्रत्येक रुपए को उनके लाभार्थी तक पहुंचे से पहले 15 पैसे में बदल दिया।
दक्षिण कन्नड़ जिले में स्थित धर्मस्थला के पास उज्जिर में एक सार्वजनिक सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने नोटबंदी का विरोध कर रही विपक्षी पार्टी पर हमला किया। उन्होंने कहा कि यहां तक कि माता-पिता भी अपने बच्चों को नकद कम देते हैं, क्योंकि यह उन्हें बिगाड़ता है।
मोदी ने कहा कि एक प्रधानमंत्री ने कहा था कि दिल्ली से स्वीकृत हुआ एक रुपया गांव वालों तक पहुंचने पर 15 पैसे में बदल जाता है। कौन-सा हाथ, जोकि रुपए को कम कर देता है।
उन्होंने कहा कि यह उनकी सरकार के साथ नहीं हुआ, जोकि प्रत्येक रुपए और संसाधन को भारतीयों के कल्याण के लिए प्रदान करने को प्रतिबद्ध है। मोदी ने कहा कि विश्व डिजिटल मुद्रा को अपना रहा है और भारत इसमें पीछे नहीं रह सकता।
उन्होंने कहा कि जिन स्वयं सहायता समूहों ने अपने व्यवसायों को कैशलेस रूप से संचालित करने का निर्णय लिया है, उन्होंने उन सभी लोगों को जवाब दिया है, जिन्होंने विमुद्रीकरण के खिलाफ बात की थी और यह सवाल किया था कि भारत जैसा गरीब, कम पढ़ा-लिखा और डिजिटल कनेक्टिविटी से न जुड़ा हुआ देश कैशलेस कैसे बन सकता है।
मोदी ने कहा कि लेकिन आज आपने उन सभी को उत्तर दिया है। क्या हमारी ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं शिक्षित नहीं हैं। 12 लाख लोगों ने अपने व्यापार को कैशलेस रूप से संचालित करने का निर्णय लिया है। जब आपके इरादे अच्छे होते हैं, तो बाधाएं भी आपके काम को तेज कर सकती हैं। आपने डिजिटल इंडिया और कैशलेस समाज की नींव रख दी है। मैं आपको शुभकामनाएं देता हूं।
मोदी ने आगे कहा कि यहां तक कि माता-पिता भी अपने बच्चों को नकदी कम देते हैं, क्योंकि यह उन्हें बिगाड़ती है। इसलिए आत्म जवाबदेही महत्वपूर्ण है।
मोदी ने लोगों से भीम एप का इस्तेमाल करने और कैशलेस लेन-देन का आग्रह किया, ताकि उन लोगों के लिए समाज में कोई जगह नहीं रहे, जो व्यवस्था को धोखा देते हैं।
प्रधानमंत्री ने किसानों से पानी संरक्षित करने और ‘एक बूंद, अधिक फसल’ के सिद्धांत के साथ काम करने का आग्रह किया।
मोदी ने कहा कि वर्ष 2022 तक जब भारत आजादी के 75 साल मनाएगा, क्या तब तक सभी किसान यूरिया का इस्तेमाल 50 प्रतिशत तक घटाने का वादा कर सकते हैं? यह धरती की महान सेवा होगी और किसानों के पैसे भी बचेंगे।
उन्होंने कहा कि हमें प्रकृति के अनुरूप रहने पर जोर देना चाहिए और अल्पकालिक लाभ के बारे में नहीं सोचना चाहिए।
मोदी ने कर्नाटक के किसानों से आग्रह किया कि वे ड्रिप और समुद्री शैवाल सिंचाई विधियों को अपनाएं, ताकि मिट्टी एवं जल संरक्षण में मदद मिल सके।
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