नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एस्सेल ग्रुप के चेयरमैन डॉ. सुभाष चंद्रा की आत्मकथा का विमोचन किया। इस आत्मकथा का शीर्षक “दी ज़ी फैक्टर: माई जर्नी एज दी रॉन्ग मैन एट दी राइट टाइम” है और इसे प्रांजल शर्मा के साथ लिखा गया है।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस आत्मकथा का विमोचन बुधवार शाम 4.10 बजे दिल्ली में अपने आधिकारिक आवास 7 आरसीआर में किया। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी ने डॉ. सुभाष चंद्रा की प्रशंसा करते हुए कहा कि आत्मकथा लिखना काफी हिम्मत की बात है और इसके लिए मैं उन्हें बधाई देता हूं।
डॉ. चंद्रा के स्वभाव में रिस्क लेना है और रिस्क लेकर ही सुभाष चंद्रा यहां तक पहुंचे हैं। सुभाष चंद्रा से पहले मेरा इनके पिता से परिचय था। लंबे वक्त से चंद्राजी का परिवार सामाजिक कार्यों में लगा है और आज ये देश भर में 52 हजार एकल विद्यालय चलाते हैं।
पीएम ने कहा कि मैंने सुभाष चंद्रा को कभी तनाव में नहीं देखा। ये हमेशा प्रसन्नचित रहते हैं और ये बड़ा कठिन काम है। जीवन की हर परिस्थिति में खुद को उपयुक्त पाया और काम ने ही सुभाष चंद्रा के लिए आगे का रास्ता बनाया। विमोचन समारोह के दौरान डॉ. चंद्रा ने कहा कि जीवन में सफलता प्राप्त करने के लिए फोकस (केंद्रित होना) और दृढ़ संकल्प महत्वपूर्ण है।
इस समारोह के दौरान देश की कई गणमान्य हस्तियां मौजूद थीं। इसमें रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर, रेल मंत्री सुरेश प्रभु, केंद्रीय संस्कृति मंत्री महेश शर्मा, समाजवादी पार्टी के प्रमुख मुलायम सिंह यादव, दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग, कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे, अमर सिंह, अभिनेता अक्षय कुमार, अनुपम खेर, मधुर भंडारकर समेत कई क्षेत्रों के अन्य प्रमुख लोग उपस्थित थे।
इस आत्मकथा से संबंधित एक पुस्तक लॉन्चिंग कार्यक्रम गुरुवार को 12.25 बजे ज़ी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दौरान भी निर्धारित किया गया है। इस कार्यक्रम के दौरान एमजे अकबर और वल्लभ भंसाली मौजूद रहेंगे और पुस्तक लॉन्चिंग सत्र के दौरान डॉ. सुभाष चंद्रा के साथ बातचीत करेंगे।
डॉ. सुभाष चंद्रा जो भारत के मीडिया मुगल के तौर पर जाने जाते हैं, ने साल 1992 में देश का पहला उपग्रह हिंदी चैनल ज़ी टीवी और बाद में पहला प्राइवेट न्यूज चैनल लॉन्च कर टेलीविजन उद्योग में एक क्रांति ला दी।
इन्हें भारत में सैटेलाइट टीवी क्रांति का जनक कहा जाता है। साल 2011 में डा. सुभाष चंद्रा को इंटरनेशनल एमी डॉयरेक्टोरेट अवॉर्ड से भी नवाजा गया। डा. चंद्रा यह अवॉर्ड पाने वाले पहले भारतीय हैं। इन्हें यूनिवर्सिटी ऑफ ईस्ट लंदन ने भी डाक्टरेट की मानद उपाधि प्रदान की है।
उनके इस कारोबारी साम्राज्य में टेलीविजन नेटवर्क्स (ज़ी), एक न्यूजपेपर श्रृंखला (डीएनए), केबल सिस्टम्स (वायर एंड वायरलेस लिमिटेड), डायरेक्ट टू होम (डिश टीवी), सेटेलाइट कम्यूनिकेसंश (अग्रणी एंड प्रोकॉल), थीम पार्क्स (एस्सेल वर्ल्ड एंड वाटर किंगडम), ऑनलाइन गेमिंग (प्लेविन), एजुकेशन (ज़ी लर्न), फ्लेक्जिबल पैकेजिंग (एस्सेल प्रोपैक), इनफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट (एस्सेल इन्फ्राप्रोजेक्ट्स लिमिटेड) और फैमिली एंटरटेनमेंट सेंटर्स (फन सिनेमा) आदि शामिल हैं।
इन्होंने तालीम-TALEEM (मल्टीमीडिया के माध्यम से मुक्ति और सशक्तिकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय वैकल्पिक लर्निंग) की स्थापना करने के बाद देश में एक प्रभावशाली परोपकारी के रूप में अपनी छाप छोड़ी है। जिसका (तालीम) उद्देश्य डिस्टेंस और ओपन लर्निंग के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा तक पहुंच प्रदान करना है।
डा. चंद्रा भारत के एकल विद्यालय फाउंडेशन के अध्यक्ष भी हैं। इस अभियान का मूल उद्देश्य ग्रामीण और आदिवासी भारत से निरक्षरता का उन्मूलन है। यह फाउंडेशन एक शिक्षक वाले स्कूलों के माध्यम से देश के 27,000 गांवों में लगभग आठ लाख आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्रदान करता है।