नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वामी विवेकानंद की कहानी का उल्लेख करते हुए शुक्रवार को देशवासियों की क्षमता और शकि्त का जगाने का प्रयास करते हुए आशाभाव का संचार किया। मोदी ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए रेडियो पर अपने मन की बात स्वामी विवेकानंद की कहानी और एक अन्य कहानी कहते हुए सामने रखी। उन्होंने भाषण की दौरान एक कहानी सुनाई जिसका उल्लेख स्वामी विवेकानंद अक्सर करते थे।…
मोदी ने कहा कि विवेकानंदजी कहते थे कि एक बार एक शेरनी अपने दो छोटे छोटे बच्चों को लेकर रास्ते से गुजर रही थी। दूर से उसने भेड़ का एक झुंड देखा तो उसका शिकार करने का मन कर गया और शेरनी उस तरफ दौड़ पड़ी। उसका एक बच्चा भी उस तरफ दौड़ने लगा। उसका एक बच्चा पीछे छूट गया और शेरनी शिकार करते हुए आगे बढ़ गई। एक बच्चा शेरनी के साथ चला गया लेकिन एक बच्चा बिछुड़ गया। जो बिछुड़ गया उसको एक मादा भेड़ ने पाला पोसा बड़ा किया और वो शेर भेड़ के बीच रहकर बड़ा होने लगा। उसकी बोलचाल, आदतें सारी भेड़ जैसी हो गई। उसका हंसना, बोलना, बैठना, उठना सब भेड़ के साथ ही हो गया।
एक बार वो जो शेरनी के साथ बच्चा चला गया, वो अब बड़ा हो गया। उसने उसको एक बार देखा, ये क्या बात है। ये तो शेर है और भेड़ के साथ खेल रहा है। भेड़ की तरह बोल रहा है। क्या हो गया इसको। तो शेर को थोड़ा अपना अहम् पर ही संकट आ गया। वो इसके पास गया। वो-वो कहने लगा कि अरे तुम क्या रहे हो। तुम तो शेर हो। वह कहता है.. नहीं, मैं तो भेड़ हूं। मैं तो इन्हीं के बीच पला बड़ा हूं। उन्होंने मुझे बड़ा किया है। मेरी आवाज देखिए। मेरी बातचीत का तरीका देखिए।
तो शेर ने कहा कि चलो मैं दिखाता हूं कि तुम कौन हो। उसको एक कुएं के पास गया और कुएं में पानी के अंदर उसका चेहरा दिखाया और खुद के चेहरे के साथ उसको कहा कि देखो हम दोनों का चेहरा एक है। मैं भी शेर हूं और तुम भी शेर हो। और जैसे ही उसके अंदर आत्म सम्मान जगा, उसकी अपनी पहचान हुई तो वो भी शेरों की तरह दहाड़ने लगा। भेड़ों के बीच पला शेर भी दहाड़ने लगा। उसके भीतर का सत्व जग गया।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन में एक कहानी और जिक्र किया। उन्होंने कहा कि एक कथा मुझे और भी ध्यान में आती है। एक बार एक राहगीर रास्ते के किनारे पर बैठा था और आते आते सब को पूछ रहा था, मुझे वहां पहुंचना है, रास्ता कहां है। पहले को पूछा, दूसरे को पूछा, चौथे को पूछा। सबको पूछता ही रहता था और उसके बगल में एक सज्जन बैठे थे। वो सारा देख रहे थे। बाद में वह आदमी खड़ा हुआ। खड़ा होकर किसी को पूछने लगा। तो वह सज्जन खड़े होकर उसके पास आए।
उसने कहा कि तुमको जहां जाना है उसका रास्ता उस तरफ से जाता है। तो राहगीर ने उसको पूछा कि भाई साहब आप इतनी देर से मेरे बगल में बैठे हो, मैं इतने लोगों से पूछ रहा हूं, कोई मुझे नहीं बता रहा है। आपको पता था तो आप क्यों नहीं बताते थे। वह बोले, मुझे भरोसा नहीं था कि तुम सचमुच जाना चाहते हो या नहीं जाना चाहते हो। या ऎसे ही जानकारी के लिए पूछते रहते हो। लेकिन जब तुम खड़े हो गए तो मेरा मन कर गया कि हां, अब तो इस आदमी को जाना है, पक्का लगता है। तब जा करके मुझे लगा कि मुझे रास्ता दिखाना चाहिए।
मोदी ने संबोधन के दौरान उन लोगों का भी जिक्र किया, जिन्होंने उनको विभिन्न विषयों पर सुझाव भेजे हैं। मोदी ने कहा कि एक श्रीमान गणेश वेंकटरी मुंबई के सज्जन, उन्होंने एक मेल भेजा है। उन्होंने कहा है कि विजयादशमी पर हम अपने भीतर की दस बुराईयों को खत्म करने का संकल्प लें। उनके सुझाव के लिए मैं आभार व्यक्त क रता हूं। एक अन्य व्यकि्त के सुझाव का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि एक गौतम पाल करके व्यकि्त ने चिंता जताई है, उसने कहा है कि जो स्पैशली एबल्ड चाइल्ड होते हैं उन बालकों के लिए नगरपालिका हो, महानगरपालिका, पंचायत हो, उसमें कोई न कोई विशेष योजनाएं होती रहनी चाहिए। उनका हौसला बुलंद करना चाहि ए। मुझे उनका सुझाव अच्छा लगा।
मोदी ने कहा है कि कुछ दिनों से सुझाव आ रहे हैं। बड़े इंटरेस्टिंग सुझाव आते हैं। इन सुझावों में एक सक्रियता है। यह देश सरकार नहीं है, नागरिकों का है। उन्होंने कहा कि मुझे कुछ लोगाें ने कहा है कि जब वो लघु उद्योग शुरू करते है तो उसकी पंजीकरण की प्रक्रिया है, वो आसान होनी चाहिए। मैं सरकार को इस संबंध में सूचित करूंगा। प्रधानमंत्री ने बताया कि कुछ लोगों ने सुझाव दिया है कि बच्चों को पांचवीं कक्षा से ही स्किल डेवलपमेंट सिखाना चाहिए। किसी ने सुझाव दिया है कि हर एक सौ मीटर के भीतर एक डस्टबीन होना चाहिए। कुछ लोगों ने लिखा है कि पालिथिन पैक पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
मोदी ने कहा कि देश की असली ताकत गरीब की झोपड़ी, गांवों, किसानों, महिलाओं और नौजवानों में है। उन्होंने भरोसा जताया कि इनके जरिये ही देश आगे बढेगा। उन्हो ंने देशवासियों से कहा कि वे किसी सहारे का इंजार करने के बजाय खुद आगे बढें। प्रधानमंत्री ने कहा कि मेरे देशवासियों जब तक हम चलने का संकल्प नहीं करते, हम खुद नहीं खडे होते तब तक रास्ता दिखाने वाले भी नहीं मिलेंगे।. चलने की शुरूआत हमें ही करनी पडेगी और मुझे विश्वास है कि सवा सौ करोड़ देशवासी जरूर चलने के लिए सामथ्र्यवान हैं और चलते रहेंगे।
विजयदशमी के पर्व पर लोगों से अपने भीतर की सभी बुराइयों को परास्त करने का आह्वान करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि कुछ अच्छा करने का निर्णय लेकर विजयी होने के संकल्प के साथ आगे बढें। मोदी ने गांधी जयंती पर शुरू किए गए स्वच्छ भारत अभियान से सभी देशवासियों के जुड़ने का आह्ान किया। उन्होंने कहा कि आज के पावन पर्व पर हमें गंदगी को खत्म करने का संकल्प लेंकर एक दूसरे को इसके लिए प्रेरित करना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने लोगों से खादी से जुड़ने की भी अपील की और कहाकि ऎसा करने से गरीबों को मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि वह खादीधारी बनने का व्रत लेने के लिए नहीं कह रहे हैं लेकिन खादी की कम से कम एक चीज खरीदें चाहे वह रूमाल जैसी छोटी चीज ही क्यों न हो। प्रधानमंत्री ने कहा कि अगर आप खादी का वस्त्र खरीदते हैं तो एक गरीब के घर में दीवाली का दिया जलता है।
सोशल मीडिया और ई मेल से मिले संदेशों और पत्रों का उल्लेख करते हुए उन्होंने विशेषरूप से सक्षम बच्चों के बारे में मिले एक सुझाव पर कहा कि ऎसे बच्चों के प्रति उनके परिवार ही नहीं पूरे समाज और राष्ट्र का दायित्व होता है। लघु उद्योगों के पंजीकरण की प्रक्रिया को आसान बनाने के संबंध में मिले सुझाव पर उन्होंने कहा कि वह इसे संबंधित विभाग के पास भेंजेंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह लोगों से रेडियो पर बातचीत का यह सिलसिला जारी रखेंगे और हर महीने कम से कम एक रविवार को अपने मन की बात कहेंगे। उन्होंने लोगों से सच्ची और प्रेरक घटनाओं पर आधारित जानकारी भेजने का सुझाव देते हुए कहा कि वह इस कार्यक्रम में इनका उल्लेख करेंगे।