नई दिल्ली। राजनीति में स्वयंसेवकत्व के कमल पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) और भाजपा ने उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए नमन किया है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को उन्हें अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देते हुए अपने सन्देश में लिखा कि पंडित दीनदयाल हमेशा हमारी प्रेरणा है। निस्वार्थ सेवा करने का भाव, उनमें मौलिक रूप से था। उन्होंने अपना पूरा जीवन राष्ट्र और गरीबों की सेवा में बिता दिया।
उनकी सरकार पंडित दीनदयाल के अंत्योदय सिद्धांत के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है और समाज के अंतिम व्यक्ति की सेवा कर रही है। एक राजनीतिक संगठक के रूप में पंडित दीनदयाल की क्षमताओं को याद करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उन्होंने राष्ट्र के लिए ऐसे कार्यकर्ता पैदा किए, जिन्होंने राष्ट्र के लिए अपने प्राणों की बलि दी।
संस्कृतिनिष्ठा पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने अपने सन्देश में कहा कि भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष पंडितजी ने भारत की सनातन विचारधारा को युगानुकूल रूप में प्रस्तुत करते हुए व समाज की अंतिम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के दुख-दर्द की चिंता करते हुए, देश को एकात्म मानववाद जैसी प्रगतिशील विचारधारा दी।
उन्होंने अपना पूरा जीवन समाज की सेवा एवं अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। वह हमेशा मन, वचन और कर्म से लोक कल्याण के लिए काम करते रहे। उनका आर्थिक चिंतन आज भी प्रासंगिक और प्रेरणादायक है।
दीनदयाल जी की कुशल संगठन क्षमता के लिए डा. श्यामाप्रसाद मुखर्जी ने कहा था कि अगर भारत के पास दो दीनदयाल होते तो भारत का राजनीतिक परिदृश्य ही अलग होता। पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर शत-शत नमन।
भारतीय जनता पार्टी ने भी एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय की पुण्यतिथि पर भावभीनी श्रद्धांजलि दी है। पार्टी अध्यक्ष अमित शाह ने अपने सन्देश में कहा कि उन्होंने अपना पूरा जीवन मातृभूमि के उत्थान के लिए समर्पित कर दिया। एकात्म मानववाद के प्रणेता पंडितजी की पुण्यतिथि पर उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि।
जानकारी हो कि एकात्म मानववाद एवं अंत्योदय के प्रणेता पंडित दीनदयाल उपाध्याय का जन्म 25 सितम्बर 1916 को उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में हुआ था। छात्र जीवन से ही वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सक्रिय कार्यकर्ता बन गए, फिर एक प्रचारक के रूप में अपना पूरा जीवन राष्ट्र के नाम कर दिया। समतामूलक राजनीतिक विचारधारा का प्रचार एवं प्रोत्साहन करते हुए उन्होंने 52 साल की उम्र में 11 फरवरी 1968 को अपने प्राण, राष्ट्र को समर्पित कर दिए।