नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को महान योद्धा और कुशलक प्रशासक बंदा बहादुर के 300वें शहीदी दिवस पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में कहा कि वह एक महान योद्धा होने के साथ-साथ संवेदनशील व्यक्तित्व के धनी थे जिनका त्याग और बलिदान अमूल्य है।
इंदिरा गांधी इन्डोर स्टेडियम में चल रहे कार्यक्रम को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि बाबा बंदा सिंह अपने पूरे जीवनकाल में अपने मार्ग से कभी भी विचलित नहीं हुए, उन्होंने हर तबके को जोड़ने का काम किया।
उन्होंने कहा कि जिस दौर में बंदा सिंह का जन्म हुआ, उस वक्त देश सामाजिक और राजनीतिक उथल-पुथल से गुजर रहा था। बंदा बहादूर टैगोर के प्रेरणास्रोत थे जिनपर उन्होंने कविता भी लिखी।
मोदी ने कहा कि उनके शासन में पहली बार पंजाब की धरती पर गरीब किसान जमीन का मालिक बना, वो जानते थे अगर गरीबों का उत्थान करना है तो उन्हें अधिकार देना होगा, वो किसानों की आर्थिक आजादी के पक्षधर थे।
उन्होंने शासन की सारी शक्तियां सिर्फ अपने हाथों में नहीं रखी थी, यहां तक की सिक्के और मोहरें भी उन्होंने अपनी नाम से नहीं बल्कि गुरू नानक और गुरू गोबिंद सिंह जी के नाम से चलाए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि इस साल गुरू गोबिंद सिंह के जन्म की 350वीं एनिवर्सरी है जिसे बहुत ही सम्मान के साथ भारत सरकार मनाने जा रही है। इसके लिए भारत सरकार ने एक हाई लेवल नेशन कमेटी समिति गठन किया जा रहा है जिसे 100 करोड़ की राशि दी है।
27 अक्टूबर 1670 को जन्मे बन्दा सिंह की स्मृति में आयोजित इस कार्यक्रम में मोदी ने उनपर लिखी एक किताब का विमोचन भी किया। इस अवसर पर बाबा बंदा सिंह बहादुरजी पर हाल में जारी किया गया स्मारक सिक्का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पंजाब के मुख्यमंत्री को भेंट किया गया।
पिछले माह केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बंदा सिंह बहादुर की 300वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में चांदी का एक स्मारक सिक्का जारी किया था।