नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने संसद भवन में सोमवार को सांसदों की कैंटीन में सांसदों के साथ बतौर सांसद के रूप में भोजन किया और एक सांसद की तरह अपने भोजन का बिल भी चुकाया।
सांसदों को कैंटीन में भोजन परोसने वाले बंसीलाल पुरोहित ने बताया कि वह संसद भवन की कैंटीन में पिछले 30 साल से अधिक समय से कार्यरत है लेकिन सांसदों की कैंटीन में आजतक किसी भी प्रधानमंत्री ने अचानक आकर अन्य सांसदों की तरह से भोजन नहीं किया।
हांलाकि संसद भवन में आयोजित बैठकों में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, पी वी नरसिंह राव सहित अन्य ने बैठक के बाद सांसदों की कैंटीन में नाश्ता और भोजन किया है। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की भांति इस प्रकार से सांसदों के साथ कभी दोपहर को भोजन करते हुये नहीं देखा।
पुरोहित ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी के पास जब वह भोजन की सूची लेकर गये तो उन्होंने कहा कि उन्हें केवल शाकाहारी भोजन चाहिये। शाकाहारी भोजन में मोदी ने केवल एक चपाती, मल्का मसूर की दाल, चावल, सरसों और पालक का साग, सलाद के अलावा शाकाहारी सूप लिया।
प्रधानमंत्री मोदी के साथ सांसदों की कैंटीन में भोजन करने पर गौरवान्वित महसूस कर रहे महाराष्ट्र के भंडारा से सांसद नाना पटोले ने बताया कि एक मेज पर उनके साथ दो अन्य सांसद बैठे थे कि अचानक प्रधानमंत्री मोदी ने वहां आकर सबको अचरज में डाल दिया और उनकी मेज के साथ पड़ी खाली कुर्सी पर बैठ गये और कहने लगें कि कुछ खाने के लिये लेकर लाईये। पटोले ने बताया कि भोजन करने के साथ कैंटीन में मौजूद सांसदों के साथ मोदी ने कृषि और किसानों के बारे में भी चर्चा की।
पुरोहित ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने हाथ से चावल और दाल को मिलाकर भोजन का लुत्फ उठाया। भोजन करने के बाद मोदी ने बिल चुकाने के लिये एक सौ रूपये का नोट अपनी जेब से निकाल कर दिया। भोजन की थाली के 18 रूपये, सूप 8 रूपये और सलाद के 3 रूपये बनते थे। इसप्रकार से उन्होंने कुल 29 रूपये का भुगतान किया। 100 रूपये में से 29 रूपये काट कर प्रधानमंत्री मोदी को 71 रूपये वापस दे दिये गये और उन्होंने उस राशि को अपनी दायें हाथ की ओर जेब में रख लिया।
प्रधानमंत्री के सुरक्षाकर्मियों ने प्रधानमंत्री को परोसे गये भोजन कुछ सामग्री नमूने के तौर लिये। पुरोहित ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी कैंटीन में कुल 18 मिनट रहे। कुर्सी से मोदी के उठने से पहले ही उन्होंने विजीटर डायरी उनके आगे कर दी तो उन्होंने उस पर लिखा ‘अन्नदाता सुखी भवः।’