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presentation given to pm modi about implication for india pak on indus water treaty
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पीएम मोदी का सख्त रुख : पाकिस्तान का पानी रोकने की तैयारी!

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पीएम मोदी का सख्त रुख : पाकिस्तान का पानी रोकने की तैयारी!
pm modi talks tough on indus water treaty, says blood and water cannot flow together
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नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को भारत और पाकिस्तान के बीच 56 वर्ष पुरानी इंडस वॉटर ट्रीटी (सिंधु नदी समझौता) की समीक्षा करने के लिए एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।

अपने 7-लोक कल्याण मार्ग निवास स्थान पर हुई इस महत्वपूर्ण बैठक में भारत-पाकिस्तान के बीच 19 सितम्बर 1960 में हुए इस समझौते की समीक्षा की गई और इस बात पर भी चर्चा हुई कि भारत के लिए इसके क्या फायदे या नुकसान हैं। इस बैठक में विदेश सचिव एस जयशंकर, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल अन्य उच्च अधिकारियों ने भाग लिया।

यद्यपि अभी तक आधिकारिक तौर पर कुछ बताया नहीं गया कि बैठक में क्या हुआ, विशेषज्ञों का कहना है भारत को अधिक उदारता न दिखा कर इस समझौते को रद्द कर देना चाहिए। यह भी बात सामने आई है कि इस बैठक में पीएम ने अधिकारियों से कहा कि खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते। हम समझौते पर पुनर्विचार करने के लिए गंभीर हैं। पीएम ने कहा कि अब तक पाक के साथ 112 बैठकें हो चुकी हैं। अब आतंक के माहौल में बातचीत नहीं की जा सकती।

बिना समझौता तोडे रोक सकते हैं पानी

बैठक में अधिकारियों ने कहा कि बिना समझौता तोड़े भी भारत अपने हिस्से का पानी ले सकता हैं। प्रधानमंत्री द्वारा बुलाई मीटिंग में वाटर रिसोर्सेज मंत्रालय के सेक्रेटरी ने एक प्रजेंटेशन दिया, जिसमें कहा गया कि बिना समझौते को तोड़े बिना हम जो अपने हिस्से का ज्यादा पानी पाकिस्तान को दे रहे हैं, उसको रोका जा सकता है।

बैठक में यह भी कहा गया कि 3.6 मिलियन एकड़ फीट वाटर स्टोरेज पर भारत का हक है। यह पानी हम पाकिस्तान को ज्यादा देर रहे थे, जो कि हम हम रोक सकते हैं, जिससे 6 लाख हेक्टर भूमि में सिंचाई हो सकेगी।

वरिष्ठ भाजपा नेता और पूर्व विदेश और वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने कहा पाकिस्तान 25 वर्षों से भी ज़्यादा समय से भारत में आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। भारत को भी अधिक उदारता न दिखा कर इस समझौते को रद्द कर देना चाहिए।

चीन का उदाहरण देकर यशवंत सिन्हा ने कहा उसने तो अंतर्राष्ट्रीय राय की भी परवाह नहीं की और दक्षिण चीन सागर के विषय पर ट्रिब्यूनल के आदेश को भी नहीं माना। यशवंत सिन्हा ने कहा पाकिस्तान शिमला समझौते को नहीं मानता, भारत को भी थोड़ी सख्ती बरतनी चाहिए।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरुप ने कहा था कि इस समझौते को जीवित रखने के लिए दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध होना अनिवार्य है। उरी में आतंकी हमले के बाद अटकलें लगायी जा रही थी कि संभवतः भारत इस समझौते को रद्द कर दे। यह भारत का पाकिस्तान को एक क़रार जवाब होगा।

इस समझौते को रद्द करने के लिए जम्मू और कश्मीर से समय-समय पर मांग उठती रही है। जम्मू और कश्मीर के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कोझिकोड में शनिवार को कहा था इस विषय में केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी, राज्य की सरकार उसका पूरा समर्थन करेगी।

राज्य के पूर्व मुख्य मंत्री डॉ फ़ारूक़ अब्दुल्लाह ने भी अनेक बार इस समझौते को रद्द करने की मांग की थी यह कह कर कि इस संधि से जम्मू कश्मीर के लोगों को भरी हानि हुई है क्योंकि उनको उतना पानी नहीं मिलता जितना उन्हें मिलना चाहिए और सारा पानी पाकिस्तान चला जाता है।

विशेषज्ञों का कहना है कि यदि यह समझौता रद्द हो गया तो पाकिस्तान का दो तिहाई भाग सूखा पीड़ित हो जाएगा। सिंधु नदी जम्मू-कश्मीर से पाकिस्तान में बहती है और यदि भारत ने इसपर बांध बनाया और इसे रोक दिया, तो पाकिस्तान को दिया जाने वाला सिंधु नदी का पानी रुक जाएगा। सिंधु नदी पर ही पाकिस्तान की सिंचाई व्यवस्था और खेती टिकी है।

अपने कोझिकोड भाषण में प्रधानमंत्री मोदी ने साफ़-साफ़ शब्दों में कहा था कि भारत उरी आतंकी हमले में शहीद हुए भारतीय सेना के 18 जवानों को भूलेगा नहीं। इंडस वाटर ट्रीटी के तहत भारत और पाकिस्तान के बीच छह नदियों सिंध, झेलम, ब्यास, रावी, सतलुज और चिनाब के पानी के बटवारे पर समझौता हुआ था।

यह समझौता विश्व बैंक की देख-रेख में हुआ था। इस समझौते पर इसलिए हस्ताक्षर हुए थे क्योंकि सिंधु बेसिन से आनी वाली सभी नदियां भारत में हैं। बाद में एक स्थायी इंडस वॉटर समिति बनायीं गयी जो दोनों देशों के बीच पानी को लेकर किसी भी विवाद को सुलझा सके।

इस समझौते के तहत ब्यास, रावी और सतलुज का पानी भारत इस्तेमाल कर सकता है और सिंध, चिनाब और झेलम का पानी पाकिस्तान इस्तेमाल कर सकता है। भारत इन पाकिस्तान में जाने वाली नदियों पर पानी एकत्रित करने के लिए रिजर्वोयर बना सकता है जो अभी तक भारत ने नहीं किया।

भारत सात लाख एकड़ ज़मीन की सिंचाई कर सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस सिंधु समझौते के तहत भारत केवल 20 प्रतिशत पानी इस्तेमाल कर सकता है। भारत झेलम और चेनाब नदियों पर दो बांध बनाना चाहता था जिससे पाकिस्तान में पानी की कमी हो जाती। परंतु पाकिस्तान ने अंतर्राष्ट्रीय ट्रिब्यूनल में इसका विरोध किया था।

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