बेंगलूरू। देश के महत्वाकांक्षी अंतरिक्ष अभियान के तहत मंगल ग्रह की टोह लेने रवाना किए गए मंगल यान मार्स आर्बिटर के ग्रह की कक्षा में प्रवेश करने का दीदार करने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी खुद 24 सितंबर को अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन इसरो के केन्द्र में मौजूद रहेंगे। देश के महत्वपूर्ण अंतरिक्ष अभियानों में से एक इस अभियान के इन सफलतम क्षणों को देखने के लिए मोदी 23 सितंबर को बेंगलूरू पहुंच रहे हैं। वह यहां राजभवन में रात्रि विश्राम करने के बाद अगली सुबह इसरो जाएंगे। इसरो के अध्यक्ष के राधाकृष्णन ने शुक्रवार को राजभवन जाकर राज्यपाल राजूभाई वूजाभाई पटेल को भी इसरो आने का न्यौता दिया।…
करीब 1350 किलोग्राम वजनी मंगलयान ने पांच नवंबर को पीएसएलवी सी-25 के जरिए श्रीहरिकोटा से अंतरिक्ष के लिए उड़ान भरी थी। मंगलयान अपने साथ पांच प्रायोगिक उपकरण ले गया है। मंगलयान के अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए लंबा रास्ता तय करना पड़ा है। इस यात्रा में यान का सबसे अहम पड़ाव 24 सितंबर को होगा जब यान को इसरों के वैज्ञानिक मंगल की कक्षा में स्थापित करेंगे। समूचे अभियान की सफलता इसपर ही टिकी हुई है।
इसरो में वैज्ञानिक मंगल यान की हर हलचल पर पैनी नजर रखे हुए है और यान को मंगल की कक्षा में स्थापित करने के लिए सभी तैयारियां पूरी कर ली गई है। इसके लिए क मांड अपलोड करने का काम भी पूरा कर लिया गया है। मंगलयान जब मंगल की कक्षा में प्रवेश करेगा तो उस समय इसमें लगे सौर पैनलों को ग्रह की छाया पड़ने के कारण सूरज की रोशनी नहीं मिल पाएगी ऎसे में यान को बैटरी से मिलने वाली ऊर्जा के सहारे मंगल की कक्षा में प्रवेश कराने की तैयारी शुरू कर दी गई है।
मंगल की कक्षा में यान को दाखिल करने के रास्ते में वैज्ञानिकों के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती यान के तरल इंजन को दोबारा चालू करना है जो दस महीने से सुषुप्तावस्था में है। यह काम 22 सितंबर को शुरू किया जाएगा। मंगल मिशन का मुख्य उद्देश्य मंगल की कक्षा में रहते हुए ग्रह के वायुमंडल की छानबीन करना है ताकि यह पता लगाया जा सके कि इस ग्रह में कभी जीवन को संभव बनाने वाला वायुमंडल था भी या नहीं और यदि था तो किन कारणों से यह नष्ट हो गया। यान ग्रह की भूसंरचना के सबंध में भी कई अहम आंकडे जुटाने वाला है।