कानपुर। कानपुर में रैली में पहुंचे प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में परिवर्तन की लहर नहीं, बल्कि आंधी चल रही है। ऐसा लग रहा है कि आने वाले चुनाव के लिए हर नागरिक परिवर्तन पूरा करने के लिए जी-जान से जुट गया है।
प्रधानमंत्री मोदी सोमवार को यहां शहर के निरालानगर स्थित रेलवे मैदान में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की परिवर्तन रैली को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि दिल्ली में जनता ने ऐसी सरकार बनाई है जो गरीबों के लिए समर्पित है।
पहले दिन से हम जो योजनाएं लाए हैं, उन्हें एक-एक करके लागू किया है। इन योजनाओं ने दलित, गरीब, पीड़ित लोगों के जीवन में बदलाव आया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि एक तरफ हम देश को भ्रष्टाचार और कालेधन से मुक्त कराने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और विपक्ष का एजेंडा है कि संसद बंद हो। इसलिए पूरा महीना संसद चलने नहीं दी।
राष्ट्रपति के कहने के बाद भी विपक्षी दल हंगामा करते रहे और जानबूझकर चर्चा से भागे, ताकि देश को अपने पिछले कारनामों का हिसाब न देना पड़े।
प्रधानमंत्री ने कहा कि संसद में पहले भी रुकावटें आती थीं। तब विरोधी दल बेईमानों के खिलाफ लड़ना चाहते थे। भ्रष्टाचार को उजागर करना चाहते थे, लेकिन पहली बार देश में ऐसा हुआ कि बेईमानों को बचाने के लिए विपक्ष एकजुट हो गया।
उन्होंने आज देश दो भागों में बंट गया है। एक तरफ मुट्ठी भर वह नेता हैं जो भ्रष्टाचारियों और बेईमानों को बचाने में लगे हैं तो दूसरी तरफ देश के वह ईमानदार हैं जो उन्हें सबक सिखाने के लिए तैयार बैठे हैं।
प्रधानमंत्री ने विरोधी दल पर तंज कसते हुए कहा कि जिन्हें आदत बेईमानी की पड़ी है, गलत काम करने की पड़ी है। अब उनसे देश ज्यादा अपेक्षा नहीं कर सकता।
उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में परिवर्तन की आंधी इसलिए आई है क्योंकि यहां से लोग गुंडागर्दी से तंग आ चुके हैं और सरकार उन्हें संरक्षण दे रही है। अब ऐसे में आम आदमी कहां जाएगा।
उन्होंने कहा कि इसलिए जब तक यहां सरकार नहीं बदलोगे तब तक गुंडागर्दी बंद नहीं होगी। इस चुनाव में भी यह सरकारी गुंडें जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक देंगे, लेकिन यूपी की समझदार जनता जानती है कि उसे क्या करना है।
प्रधानमंत्री ने रैली में कहा कि संसद के सत्र से पहले ऑल पार्टी मीटिंग में सभी राजनीतिक दलों के वरिष्ठ नेताओं से उन्होंने आग्रह किया था कि देश ईमानदारी चाहता है। राजनेताओं के प्रति जनता में काफी अविश्वास भरा हुआ है।
वक्त आ चुका है कि उनमें ईमानदारी का विश्वास जगाएं। प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा था कि राजनीतिक दलों को चंदा कैसे मिलना चाहिए। इसका मिलकर रास्ता निकालेंगे और सदन में इसकी चर्चा होनी चाहिए।
आए दिन चुनावों के कारण गांव-गांव में तनाव पैदा हो जाता है। विकास रुक जाता है। क्यों ना देश में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव साथ-साथ कराया जाए, लेकिन विरोधी दलों ने इन मुद्दों पर सदन नहीं चलने दिया।