नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोमवार को पूरी तरह स्पष्ट कर दिया कि दलितों के लिए आरक्षण नीति में कोई बदलाव नहीं होगा।
इस मुद्दे पर ‘झूठ’ फैलाने का आरोप लगाते हुए उन्होंने अपने प्रतिद्वंद्वियों को भी आड़े हाथ लिया और पुरजोर शब्दों में कहा कि दलितों से उनका यह अधिकार कोई नहीं छीन सकता।
प्रधानमंत्री ने संविधान निर्माता भीमराव अम्बेडकर की तुलना अश्वेतों के अधिकारों की लड़ाई लड़ने वाले मार्टिन लूथर किंग से भी की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर नेशनल मेमोरियल की नींव रखी। इस मौके पर उन्होंने बाबा साहेब को याद कर कहा कि वह मानवीय मूल्यों के रखवाले थे। उन्होंने समाज के एकीकरण का काम किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने इस मौके पर कहा कि बाबा साहेब डॉक्टर भीमराव अंबेडकर किसी एक वर्ग तक सीमित नहीं थे इसलिए उन्हें दलितों का मसीहा कहकर सीमित नहीं किया जाना चाहिए।
बाबा साहेब ने अमानवीय घटना के खिलाफ आवाज उठाई। वह हर पीड़ित की आवाज थे और मानवीय मूल्यों के रखवाले थे। हमें बाबा साहेब के सपनों को आगे बढ़ाना है।
उन्होंने लोगों से अपील की कि उनके सपनों को पूरा करने में ढिलाई नहीं बरतें। उन्हें सिर्फ भारत की सीमाओं तक नहीं बांधा जा सकता। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें अंबेडकर मेमोरियल के लिए साठ साल इंतजार करना पड़ा।
उन्होंने कहा कि बाबा साहेब हमें 1956 में छोड़ गए, अाज 60 साल बाद स्मारक की शुरुअात हो रही है। उन्होंने कहा कि वाजपेयी जी ने इस मेमोरियल के लिए पहल की, लेकिन उनके बाद जिनकी सरकार आई, उनके दिल में अंबेडकर नहीं रहे।
मुझे उम्मीद है कि अप्रेल 2018 तक स्मारक का काम पूरा हो जाएगा। अंबेडकर का स्मारक हमारे लिए प्रेरणा स्थल है। उन्होंने कहा कि मैं 14 अप्रैल 2018 को इस स्मारक का उद्घाटन करने आऊंगा। हो सकता है कि ये मेरे ही भाग्य में लिखा होगा।
पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया जिस तरह से मार्टिन लूथर को देखती है, हम बाबा साहब अम्बेडकर को उससे ज़रा भी कम नहीं देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि देश के लेबर लॉ की आधारशिला अंबेडकर ने रखी थी।
अंबेडकर को किसी ने नहीं कहा कि हमसे ज्यादा काम कराया जाता है, यह उनके दिल की आवाज थी जिसके बाद काम के घंटे 8 तय किए गए। डॉ.अंबेडकर ने महिलाओं के हक के लिए तत्कालीन सरकार से इस्तीफा दे दिया था।
हमारे लिए जरूरी है कि हम उन्हें उनकी पूर्णता में स्वीकार करें। उन्होंने कहा कि डॉ. अंबेडकर ने जितना सोचा था, वो सारा आने वाली सरकारों को मानना पड़ा, लेकिन उसके लिए कई सरकारों को आना पड़ा।