वाराणसी। काशीहिन्दू विश्वविद्यालय के शताब्दी वर्ष में आयोजित 98वें दीक्षान्त समारोह में अपने बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पाकर छात्रों का उत्साह सातवें आसमान पर दिखा।
युवा मन के चितेरे प्रधानमंत्री ने भी अपने खास अन्दाज और शालीनता के साथ छात्रों को अगले सौ साल का विजन देकर अपने अंदर के जिज्ञासु और विद्यार्थी भाव को मरने न देने का आह्वान कर दिल जीत लिया। पीएम ने कहा कि ये दीक्षांत समारोह है, हम ये कभी भी मन में न लाएं कि ये शिक्षांत समारोह है।
उन्होंने आगे कहा कि जिज्ञासा बहुत जरूरी है। अगर जिज्ञासा नहीं है तो इसका मतलब गतिहीनता है। हमारे अंदर का विद्यार्थी हमेशा जीवित रहना चाहिए। हमे अगर ज़िन्दगी में सफलता पानी है तो उसकी पहली शर्त होती है की हमारे भीतर का विद्यार्थी कभी मुरझाना नहीं चाहिए।
मेडल देने के दौरान मंच पर बीएससी मैथ की टापर दिव्यांग छात्रा पंखुड़ी जैन को खुद प्रमाण पत्र देने के बाद झुक कर प्रणाम कर पीएम उनके लिए नजीर बन गए। बीएचयू के सौ साल के इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले पीढ़िया खपाने वाले गुरूजनों, कर्मचारियों, अफसरों की मेहनत और पसीने को सलाम कर पीएम ने पंडाल में जमकर तालिया बटोरी।
इसके अलावा सर्वोच्च अंक पाने वाले मेधावी छात्र श्रीकान्त मिश्र संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय, धीरज पाण्डेय स्नातकोत्तर परीक्षा 2015 में सर्वोच्च अंक, प्रशस्ति सिंह विज्ञान संकाय की स्नातक परीक्षा में सर्वोच्च अंक को भी हाथ मिलाकर शाबाशी दी।
बीएचयू की गरिमा देश में जन जन तक पहुंचाने का संकल्प भी दिलाया
प्रधानमंत्री ने दीक्षान्त समारोह में कहा कि महामना ने आज से सौ साल पूर्व बीएचयू के जिस बीज को रोपा था आज वह विशाल ज्ञान विज्ञान का प्रेरणा का वटवृक्ष् बन चुका है। महामना ने भारत की महान परम्परा और शिक्षा संस्कारो की थाती दी। उसको देश के जन जन तक पहुंचाने की जरूरत है। जिससे पूरी दुनिया में जिस तरह प्राचीन विश्वविद्यालय नालनन्दा और तक्षशिला की छवि भी वह बीएचयू की बने।
बीएचयू के आगामी सौ साल का विजन भी दिया
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने दीक्षान्त भाषण में बातों बातों में ही सहजता से बीएचयू के सौ साल के विजन को भी रख दिया। प्रभावशाली ढ़ंग से ग्लोबल वार्मिग, पर्यावरण बदलाव (क्लाइमेट चेंज) सोलर एनर्जी आदिवासियों के बीच रोगों को समाप्त करने, मानवता के कल्याण के लिए विद्यार्थियों के मन को झकझोर इनोवेशन और अनुसंधान के लिए प्रेरणा दी।
इसके अलावा प्रधानमंत्री ने दीक्षान्त समारोह में प्रकृति प्रेम का उदाहरण चन्दा मामा नदियों को मां का दर्जा दे स्कूल स्तर के विद्यार्थियों को भी इसमें शामिल करने पर बल दिया। कहा इससे उनके अन्दर भी मेधावी बनने की प्रेरणा मिलेगी। और वे दीक्षान्त समारोह का मतलब समझ जिम्मेदार नागरिक बन सकेंगे।
जब पंडाल में ही छात्रसंघ की मांग उठी
दीक्षान्त समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मौजूदगी में बीएचयू छात्रसंघ बहाली का मुद्दा उठ गया। समारोह के दौरान अर्थशास्त्र के छात्र आशुतोष सिंह ने छात्रसंघ के समर्थन में नारे लगाए और बार-बार प्रधानमंत्री से छात्रसंघ बहाली की घोषण की अपील की। यह देख पुलिस ने पहले छात्र को धक्का देकर गिरा दिया और फिर उसकी पिटाई कर दी। और उसे गिरफ्तार कर लिया।
दरअसल, दीक्षांत समारोह के दौरान इकोनॉमिक्स ऑनर्स द्वितीय वर्ष के छात्र अाशुतोष सिंह बार-बार प्रधानमंत्री से छात्रसंघ बहाली की मांग कर रहा था। उसकी तेज आवाज को खुद पीएम मोदी और केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने संज्ञान में लिया। बार-बार छात्रसंघ के समर्थन में नारे लगाने से पुलिस हैरान रह गई और उसने छात्र को पहले धक्का देकर गिरा दिया।
पीएम की सुरक्षा में जगह जगह पोल, इस बार भी जिला प्रशासन फेल
वाराणसी। अपने संसदीय निर्वाचन क्षेत्र में छठवी बार आए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सुरक्षा में जिला प्रशासन फिर फेल हो गया। देर रात बाबतपुर से आने और सोमवार को डीरेका गेस्ट हाउस से बीएचयू हेलीपैड वहां से संत रविदास की जन्मस्थली सीर गोवर्धन आने जाने के दौरान पीएम के सुरक्षा की अभेद्य किलेबन्दी में पोल ही पोल दिखी।
जहां पीएम के देर रात आने के पूर्व उनके काफिले में अचानक सांड घुस आया। वही हद तब हो गई जब संत रविदास मंदिर से निकलने के दौरान भी उनके खिलाफ तमाम सुरक्षा व्यवस्था को धता बता नारेबाजी की गई।
इसके अलावा महंत निरंजन दास को संत रविदास के मंदिर में प्रवेश से रोकने पर हंगामा खड़ा हो गया। इसके विरोध में कुछ लोग धरने पर बैठ गए। उधर सिंह द्वार पर कुछ संगठनों से जुड़े युवाओ ने हंगामा किया।
इसके पूर्व प्रधानमंत्री जब पहली बार यहां आए थे तो सुरक्षा का प्रशासनिक चूक उजागर हुई थी। बीते वर्ष के दिसम्बर माह में जापान के प्रधानमंत्री के साथ आए थे तो फिर सुरक्षा में चूक के मामले ने तूल पकड़ लिया था।