नई दिल्ली। देश भर में पिछले कुछ समय से देरी से चल रही रेलगाडिय़ों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नाराज बताये जाते हैं। इस मुद्दे पर उन्होंने रेल मंत्री सुरेश प्रभु से जवाब देने को कहा है। प्रधानमंत्री ने पूछा है कि आखिर आपातकाल( 1975) के समय रेल समय पर कैसे चलती थीं।
रेलवे अधिकारियों के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय को लगातार सांसदों, मंत्रियों और जनता से रेलों के समय पर न चलने की शिकायतें मिल रही हैं। इन शिकायतों को मंत्रालय में भेज दिया गया है। इन शिकायतों में ही पूथा गया कि आपातकाल में रेलगाडिय़ा कैसे समय पर चलती थीं।
प्रदानमंत्री की इस नाराजगी के बाद से ही रेल मंत्री सुरेश प्रभु खुद रेलों के देरी से चलने की शिकायतों पर ध्यान दे रहे हैं । उन्होंने इस चुनौती से निपटने की तैयारी के लिये अधिकारयों को निर्देश भी दिये हैं।
रेल मंत्री और रेलवे विभाग आपातकाल के दैरान इस्तेमाल किए जाने वाले सिस्टम का अध्ययन करने के लिये पुरानी फाइलों को खंगाला जा रहा है। आपातकाल में 90 फीसदी तक रेल सही समय पर चलती थीं।
रेलवे अधिकारी के मुताबिक उत्तर रेलवे जोन में हालात सबसे ज्यादा खराब हैं। पिछले साल मार्च में ट्रेनों के सही समय पर चलने का आंकड़ा 82 प्रतिशत था जो अब गिरकर 60 प्रतिशत पर आ गया है। रेलवे का यातायात विभाग इसके लिये सिग्नल्स की खराबी, चलती ट्रेनों को बार-बार रोका जाना और बिजली के तारों में खराबी आदि जैसे कारणों की दुहाई दी है।
सूत्रों के अनुसार पहले ट्रेनों में ऑटोमैटिक डाटा लॉगर का इस्तेमाल किया जाता था जिससे गाडिय़ों के देरी से चलने पर संबंधित अधिकारी को सस्पेंड या फिर उसका तबादला हो सकता है।
अब इस प्रद्यती की लागत ज्यादा होने की वजह से ऑटोमैटिक डाटा लॉगर का इस्तेमाल बन्द कर दिया गया है। रेलवे बोर्ड सदस्य यातायात ने अब जोनल रेलवे प्रबंधकों को पत्र लिखकर चेतावनी दी है कि अगर रेलगाडिय़ों का देरी से चलना जारी रहा तो उनके खिलाफ कार्यवाई होगी।