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क्राइम पैट्रोल से आया सांचौर के भावेश की हत्या व अपहरण का प्लॉट - Sabguru News
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क्राइम पैट्रोल से आया सांचौर के भावेश की हत्या व अपहरण का प्लॉट

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क्राइम पैट्रोल से आया सांचौर के भावेश की हत्या व अपहरण का प्लॉट
13 year old boy murdered after kidnapped in jalore
13 year old boy murdered after kidnapped in jalore
13 year old boy murdered after kidnapped in jalore

सबगुरु न्यूज-जालोर। टीवी सीरियल क्राइम पेट्रोल ने भावेश हत्याकांड का प्लॉट दिया हत्यारे को। भावेश के घर के पास ही अपने घर में उसी का दोस्त नरेन्द्रसिंह ने पैसा कमाने के लिए भावेश की हत्या और अपहरण का प्लान बना डाला।
पुलिस अधीक्षक कल्याणमल मीणा ने सोमवार को भावेश हत्याकांड का खुलासा करते हुए उक्त जानकारी दी। मीणा ने बताया कि भावेश को अपहृत करते ही उसकी हत्या कर दी थी और हत्या करने के बाद हाड़ेचा निवासी नरेन्द्रसिंह राजपूत पुत्र भंवरसिंह राजपूत व उसके साथी मुकेश पुत्र चंद्रराराम जीनगर ने भावेश के पिता को पांच लाख रुपये की फिरौती के लिए फोन किया था। मीणा ने बताया कि नरेन्द्रसिंह आर्थिक तंगी से जूझ रहा था। उसका पांव टूट गया था। इस दौरान चार महीने तक वह बिस्तर पर पड़ा है।

बैड रेस्ट के दौरान वह क्राइम पेट्रोल देखता रहता था। इसी सीरियल के किसी एपीसोड में उसे अपहरण करके फिरौती मांगने और हत्या करने का केस नजर आया होगा। उसी की तर्ज पर उसने भी फिरौती करके पैसा कमाने का मन बना दिया। उन्होंने बातया कि पांच मई को नरेन्द्र ने फोन करके भावेश उर्फ आदित्य को घर के बाहर बुलवाया। उसने इस योजना में अपने साथी मुकेश को पहले ही शामिल कर लिया था। भावेश के बाहर आने पर यह दोनों उसे घूमने के बहाने गांव के बाहर स्थित माताजी के मंदिर के पास ले गए।

वहां पर इन दोनों भावेश की हत्या कर दी और शव को नरेन्द्र सिंह के खेत में स्थित खाई में गाड़ दिया। इसके बाद इन्होंने फर्जी सिम से भावेश के पिता को मुंबई में फिरौती के लिए फोन किया। भावेश के पिता ने उसके चाचा को हाड़ेचा में सूचना दी, तो वह लोग सांचौर थाने में मामला दर्ज करवाने पहुंचे। पुलिस ने हाथों हाथ दल बनाकर अपहरणकर्ता के मोबाइल नम्बरों के आधार पर भावेश को तलाशने की कोशिश की, लेकिन नाकाम रही। इस बीच दस मई को भावेश का शव हाड़ेचा में ही एक खेत में बनी खाई में गड़ा हुआ मिला।
-फर्जी सिम से पुलिस भी हुई परेशान
भावेश के अपहर्ताओं ने भावेश के अपहरण की फिरौती मांगने के लिए फर्जी पहचान से हासिल की गई सिम का इस्तेमाल किया था। इस कारण भावेश के पिता को जिस नम्बर से फोन किया गया था, उस नम्बर को ट्रेस आउट करने में उन्हें दिक्कत आ रही थी। पुलिस को कोई क्लू हाथ नहीं लग रहा था।

ऐसे में एक उम्मीद की किरण नजर आई। इसी दौरान 1 जून की रात को राजकीय चिकित्सालय के कार्मिक बाबूसिंह चौहान के पास दस लाख रुपये की फिरौती देने तथा हाड़ेचा निवासी भंवरलाल सोनी के पास पांच लाख रुपये की फिरोती देने का फोन आया। पुलिस ने इन नम्बरों को भी ट्रेस करने का प्रयास किया, लेकिन यह सिम भी गलत आइडेटीटी के आधार पर खरीदी हुई निकली।

तकनीकी टीम ने गहराई से जांच की तो पता चला कि भावेश, बाबूसिंह और भंवरलाल के मामले में इस्तेमाल किए गए फोन का आईएमईआई नम्बर एक ही है। अब पुलिस को नरेन्द्रसिंह के गिरेबान तक पहुंचने में समय नहीं लगा। इस आईएमईआई नम्बर के हाथ लगते ही पुलिस ने इस मोबाइल से इस्तेमाल की जाने वाली सिमों का डिटेल खंगाला तो नरेन्द्रसिंह और मुकेश बाहर आ गए।
-परिवार की आटा चक्की से संतुष्ट नहीं
जांच अधिकारी अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वरलाल ने सबगुरु न्यूज को बताया कि पुलिस केअनुसार नरेन्द्रसिंह गांव में उद्दंड किस्म की है। दिलम्बर महीने में उसके पांव में फ्रैक्चर होने के कारण उसके पलास्टर बंधा था। इस कारण वह बैड रेस्ट करता था।

इस दौरान ही क्राइम पेट्रोल देखते हुए अपहरण की साजिश दिमाग में आई। लम्बे समय तक बिस्तरे पर पड़े रहना और महत्वाकांक्षा के कारण वह शीघ्र धन कमाना चाहता था। उसके परिवार की गांव में आटा चक्की थी, लेकिन वह मान चुका था कि उससे होने वाली आय से अपने सपने पूरे नहीं हो सकते। ऐसे में उसने अपहरण और हत्या की साजिश रच डाली।
-हत्या के तुरंत बाद भावेश के घर जा बैठा
एसपी ने बताया कि मामला बड़ा पेचीदा था। जिस ओर जांच कर रहे थे, उसमें कुछ विशेष हाथ नहीं लगा। ऐसे में जांच की दिशा बदली और गांव के दो अन्य आदमियों को फिरौती के लिए आया फोन टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। जांच अधिकारी रामेश्वरलाल ने बताया कि नरेन्द्रसिंह इतना शातिर था कि भावेश का अपहरण और हत्या करने के बाद जैसे ही गांव में हल्ला मचा तो वह उसके घर पर ही आकर उसके परिवार वालों के बीच में बैठ गया। उनके परिवार वालों के साथ भावेश को ढुंढवाने में भी पूरी तरह से लगा रहा।

उन्होंने बताया कि यह तो पता चल गया था कि भावेश उसके घर के डेढ़ सौ मीटर के दायरे से ही गायब हुआ है और आरोपी के घर के सामने वाली गली से ही निकला है। इस घटना में किसी शातिर गैंग के साथ किसी पहचान वाले की शामिल होने की दिशा में काम करना शुरू किया तो मामला खुलता गया।
बिस्तर से उठते ही टारगेट की तलाश
नरेन्द्रसिंह ने पांव का पलास्टर खुलते ही फिरौती और अपहरण के लिए अपना टारगेट ढूंढना शुरू कर दिया था। उसकी तलाश पूरी हुई 18 अप्रेल को जब भावेश अपने गांव में चाचा के पास आया। नरेन्द्र ने उसके पास एंड्रॉयड फोन और रहन सहन देखा तो उसे अपना पहला टारगेट मान लिया। इसके बाद उससे दोस्ती गांठ ली। जब भावेश पूरी तरह से उससे घनिष्ठ हो गया तो मौका मिलते ही पांच मई को उसे गांव के बाहर मंदिर के पास ले गया। वहां गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी और गाड़ दिया।
-मुकेश को हिस्सेदारी के लिए मनाया
नरेन्द्र ने अपने जल्दी पैसे कमाने के प्लान से मुकेश जीनगर को भी अवगत करवाया। उसने उसे साझीदारी देने का लालच देकर अपने साथ मिला लिया। उसके साथ मिलकर उसने भावेश की फिरौेती का प्लान बनाया और फिरौती में मिलने वाले पांच लाख रुपये में से दो लाख रुपये उसे देने का लालच देकर इस अपहरण, फिरौती और हत्या को अंजाम दिया।
-इस टीम ने किया पर्दाफाश
तीन दिन में दो अपहरण की घटनाओं ने जालोर पुलिस की नींद उड़ा दी थी। दोनों अपहरणो को खोलने के लिए भारी दबाव था। ऐसे में पुलिस अधीक्षक कल्याणमल मीणा के नेतृत्व में पुलिस दल गठित करके इन दोनों अपहरण कांडों को खोला। इसमें संाचौर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक रामेश्वरलाल, सांचौर पुलिस उपअधीक्षक सुनील के पंवार, सांचौर थानाधिकारी व आरपीएस मांगीलाल, झाब थानाधिकारी अचलदान, चितलवाना थानाधिकारी वगतङ्क्षसह, भीनमाल थानाधिकारी अशोक आंजणा, जसवन्तपुरा थानाधिकारी अरविन्द पुरोहित, सरवाना थानाधिकारी बाबूलाल, भीमाराम उप निरीक्षक, हजूर खां उप निरीक्षक ने कड़ी पड़ताल के बाद मामले का खुलासा कर बड़ी सफलता प्राप्त की।