कोलकाता। आरएसएस के ब्रिगेड में सभा करने पर लगा ग्रहण अंततः हट गया। कलकत्ता हाईकोर्ट के न्यायाधीश जयमाल्य बागची ने आरएसएस को सभा करने की सशर्त अनुमति दे दी इसलिए शनिवार को आयोजित होनेवाली सभा में फिलहाल कोई बाधा नहीं है।
इससे पहले कोलकाता पुलिस ने पर्याप्त पुलिस वाहिनी के उपलब्ध नहीं होने का हवाला देते हुए उन्हें सभा की इजाजत नहीं दी थी। उन्होंने बताया था कि गंगासागर में अतिरिक्त पुलिस के जवानों के भेजे जाने के कारण सभा में पर्याप्त सुरक्षा बलों को तैनात करने में वे सक्षम नहीं हैं।
साथ ही उन्होंने आरएसएस को किसी अन्य दिन सभा करने की सलाह दी थी। हालांकि सेना की ओर से पहले ही सभा के लिए अनुमति दे दी गई थी लेकिन पुलिस की ओर से सभा की अनुमति नहीं देने के कारण पुलिस और आरएसएस आमने-सामने थे।
इसके बाद आरएसएस ने अदालत दरवाजा खटखटाया और शुक्रवार को मामले की सुनवाई करते हुए न्यायाधीश जयमाल्य बागची ने सभा की सशर्त अनुमति दे दी। केवल आमंत्रित लोग ही सभा में हिस्सा ले पाएंगे, जो लोग सभा में शामिल होंगे, उनके पास आमंत्रण पत्र होना जरूरी है।
आमंत्रितों की एक सूची कोलकाता पुलिस को पहले ही देनी होगी, ब्रिगेड मैदान को साफ रखना होगा, माइक बजाने को नियंत्रित करना होगा, खुली सभा नहीं करनी होगी।
अदालत के निर्देशों का पालन होगा : आरएसएस
मकर संक्रांति के उपलक्ष में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सभा के लिये कलकत्ता हाईकोर्ट से अनुमति मिलने के बाद संघ कार्यकर्ताओं में उत्साह है। इस बीच सभा को संबोधित करने के लिए मोहन भागवत कोलकाता पहुंच चुके हैं।
उधर आरएसएस ने अदालत के फैसले का स्वागत किया है। संघ के दक्षिण बंग प्रांत कार्यवाह जिष्णु बसु ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि आरएसएस एक अनुशासित संगठन है। अदालत ने जो भी निर्देश दिए हैं उनका पालन किया जाएगा।
कोलकाता पुलिस की ओर से सभी की अनुमति दिए जाने की वजह पूछे जाने के सवालों को टालते हुए जिष्णु बसु ने कहा कि संघ एक गैर राजनीतिक संगठन है और हमारा ध्यान राजनीतिक खींचतान के बजाये समाज की भलाई पर केंद्रित है।
उन्होंने कहा कि हमारे लिए खुशी की बात यह है कि अदालत ने हमारे लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा की और हमे वार्षिकोत्सव मनाने की अनुमति दी।