सबगुरु न्यूज-सिरोही। पुलिस के लिए राजनीतिक और सामाजिक समस्या बन गए मनोरा का गीतादेवी हत्याकांड के आरोपी पुलिस के हत्थे चढ गए हैं।
सिरोही पुलिस ने इस ब्लाइंड मर्डर को खोलने के लिए हाईटैक इंवेस्टिगेशन की जिसमें इंफोर्मेशन टेक्नोलाॅजी का महत्वपूर्ण रोल रहा। पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह चैहान ने शनिवार को कोतवाली में पत्रकार वार्ता आयोजित करके इस हत्याकांड के खुलासे की जानकारी दी। इस दौरान अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक प्रेरणा शेखावत व डीएसपी देवाराम चैधरी भी मौजूद थे।
यूं खुला प्रकरण
हत्या ने राजनीतिक रंग भी ले लिया था। एक अकेली रहने वाली वृद्धा की नृशंस हत्या ने पुलिस और प्रशासन के खिलाफ लोगों का गुस्सा भडका दिया था। इधर, 21 दिसम्बर को महिला शव का अंतिम संस्कार नहीं करने को लेकर ग्रामीण अडे हुए थे, तो मौके पर जिला कलक्टर और पुलिस अधीक्षक के नहीं पहुंचने पर वहां मौजूद पूर्व विधायक संयम लोढा भाजपा जिलाध्यक्ष लुम्बाराम चैधरी समेत अन्य भाजपाइयों को आडे हाथों ले रहे थे।
इस मामले ने भाजपाइयों की इतनी फजीहत करवाई की मजबूर होकर स्थानीय विधायक व प्रभारी मंत्री ओटाराम देवासी को गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया से भी मुलाकात करनी पडी। इन सब दबावों के बीच पुलिस ने हत्या की सूचना मिलने के साथ ही हत्यारों की तलाश शुरू कर दी थी। एक सूत्र मिला तो पुलिस अधीक्षक कार्यालय के एक कक्ष में एएसपी प्रेरणा शेखावत, डीएसपी देवाराम चैधरी, सीआई हंसाराम सीरवी और इस हत्याकांड में आरोपी तक पुलिस को पहुंचाने का मूल माध्यम बना आईटी डिपार्टमेंट का भवानीसिंह हत्यारों तक पहुंचने का रास्ता ढूंढने लगे। इस पर भवानी ने आला अफसरों को आरोपी तक पहुंचने के लिए आवश्यक न्यूनतम तकनीकी हथियार की आवश्यकता जताई तो पुलिस ने उसे यह मुहैया करवा दिया।
इसके बाद तो क्या था, हत्या करने के आरोपी युवक मध्यप्रदेश के मुरैना जिले के डिगवाड गांव निवासी अनारसिंह 19 पुत्र गंगाधर रावत की हर गतिविधि पुलिस की पकड में आ गई। इस पर सीआई हंसाराम सीरवी के नेतृत्व में बरलूट थानाधिकारी नरसीराम, बरलूट थाने के कांस्टेबल गंगाराम और रतनलाल के साथ पुलिस दल सिरोही से निकला और अनारसिंह की हर मूवमेंट पर जानकारी रखी।
मौका मिलते ही 8 जनवरी को सबलगढ बस स्टैण्ड पर एक व्यक्ति के साथ लेनदेन करते हुए आरोपी अनारसिंह को धर दबोचा और गाडी में डालकर स्थानीय थाने ले गए। जहां पूछताछ के दौरान अनारसिंह सीआई हंसाराम सीरवी को भ्रमित करता रहा, लेकिन सीरवी ने सूझबूझ से उससे यह उगलवाने में सफलता हासिल कर ली कि गीतादेवी पुरोहित हत्याकांड में उसकी संलिप्तता थी। इसके बाद सीधे गाडी में बैठाकर उसे सिरोही ले आए। शनिवार को सिरोही कोतवाली में पत्रकार वार्ता के दौरान बापर्दा उसे पेश किया।
एक आरोपी पकड से बाहर
पुलिस अधीक्षक चैहान ने बताया कि इस हत्याकांड में दो युवक शामिल थे। दोनों एक ही गांव के थे, लेकिन एक आरोपी अभी पुलिस गिरफत से दूर है। चैहान ने बताया कि पकडा गया युवक काफी शातिर है और अपने बयान काफी बदल रहा है। ऐसे में पुलिस रिमाण्ड पर लेने के बाद इससे दूसरे युवक की स्पष्ट पहचान मिल पाएगी।
जानकारी के अनुसार इस हत्याकांड का मूल सूत्रधार वही फरार युवक है। उसने हत्या के बाद अनारसिंह को सांडेराव से गांव के लिए रवाना कर दिया था और वहीं से सीधे कहीं निकल गया। इसके बाद कभी उसने अनारसिंह से संपर्क नहीं किया।
मृतका का मोबाइल बरामद
चैहान ने बताया कि अनारसिंह के पास से मृतका का मोबाइल बरामद कर लिया गया है। हत्या के बाद इन लोगों ने यह मोबाइल भी चुरा लिया था, इसकी सिम निकालकर फेंक दी थी। उन्होंने बताया कि पुलिस रिमाड पर लेने के बाद दौरान और बरामदगी की जाएगी। कुछ सामान बरामद हुआ है उसकी पहचान मृतका के परिजनों से करवाई जाएगी।
17 को ही हो गई थी हत्या
महिला के हत्या के दिन को लेकर पुलिस को असमंजस में थी, लेकिन जिस तरह से दूध वाले ने बयान दिए थे कि उसने 17 दिसम्बर को गीतादेवी को अंतिम बार दूध दिया था, उसके अगले दिन से दरवाजे पर ताला लगा मिला। पुलिस को इससे यह आशंका थी कि इसकी हत्या 17 को ही की गई थी। इस मामले में पकडे गए आरोपी ने बताया कि उसकी हत्या दूध लेने के बाद 17 दिसम्बर को ही की गई थी।
दूध लेने के दौरान ही घुस गए थे घर में
अभी इस मामले की पूरी पुख्ता जानकारी जुटाने के लिए आरोपी का रिमांड लिया जाना बाकी है। आरोपी भी हर बार पुलिस को भटकाने की कोशिश में है, लेकिन पुलिस इस बात का कयास लगा रही है कि महिला के दूध लेने बाहर आने के दौरान ही यह आरोपी घर में घुसे थे और जैसे ही महिला अंदर आई इन लोगों ने उसे मार दिया हो।
मौके पर बिना गरम किया हुआ दूध मिलने से पुलिस इस बात की संभावना ज्यादा जता रही है। उन्होंने बताया कि अनारसिंह के अनुसार उसका दूसरा साथी घर में घुसा था और हत्या भी उसी ने की, वह सिर्फ बाहर खडा होकर घर के दरवाजे पर ताला लगाकर आवाजाही पर नजर रख रहा था। फिर भी पुलिस का कहना है कि इस सबका खुलासा दूसरे साथी के पकड में आने के बाद और पकडे गए आरोपी को रिमांड पर लेने के बाद ही हो पाएगा।
पकडने तक मिली कंट्रोल रूम की सहायता
इस ब्लाइंड मर्डर को खोलने में पुलिस अधीक्षक कार्यालय का एक कक्ष काफी महत्वपूर्ण रहा, जिसमें तकनीशियन भवानीसिंह मुरैना पहुंचे जांच दल को आरोपी की पूरी जानकारी उन्हें देता रहा। यही मूवमेंट रिपोर्ट सही समय पर बिना विवाद के अनारसिंह को पकडवाने में महत्वपूर्ण साबित हुई।
स्थानीय संबंध की कोई सूचना नहीं
पुलिस अधीक्षक चैहान ने पत्रकार वार्ता के दौरान बताया कि फिलहाल उन्हें इन लोगों के किसी स्थानीय लिंक की जानकारी नहीं मिली है। वह इस बात से इनकार नहीं करते दिखे कि हत्या और लूट से पहले इन लोगों ने रैकी की होगी। वही सूत्रों के अनुसार फरार आरोपी पहले मनोरा के पास मणादर गांव में काम कर चुका है।
उसी दौरान उसने इस गांव को और इसके आसपास के गांवों को टारगेट किया था। सूत्रों के अनुसार यह लोग मनोरा जाने से पहले संभवतः सिरोही किसी धर्मशाला में ठहरे थे। पकडे गए आरोपी के पास जो सिम मिली वह भी गांव के किसी अन्य व्यक्ति के नाम से ली गई थी।
गांव के दुश्मन यहां साथ अपराध
सू़त्रों के अनुसार पकडा गया आरोपी अनारसिंह और उसके सहयोगी के परिवारों के बीच में जमीन के लिए जबरदस्त रंजिश चल रही है। यहां पर इस अपराध को अंजाम देने के लिए दोनों सहयोगी थे।
पहले खुलासा करने को मजबूर थी पुलिस
गीतादेवी हत्याकांड के कई पहलूओं की जांच अभी बाकी है। आमतौर पुलिस इतनी जल्दी किसी मामले को सार्वजनिक नहीं करती क्योंकि इससे जांच प्रभावित होने और एवीडेंस जुटाने में समस्या आने की आशंका रहती है, लेकिन पुलिस को इसके लिए इसलिए भी मजबूर होना पडा कि 11 जनवरी को इस मामले को लेकर एक बडे जन आंदोलन की रूपरेखा बन गई थी।
इसके लिए संघर्ष समिति भी बनी थी और सबसे बडी बात यह थी कि यह आंदोलन जिले के 36 कौम के लोग बिना किसी राजनीतिक हस्तक्षेप के कर रहे थे। पत्रकार वार्ता के बाद पुलिस अधीक्षक इस प्रकरण के लिए बनाई गई संघर्ष समिति के सदस्यों से भी मिले। इस समिति की सबसे बडी खासियत यह थी कि इसमें सभी सदस्य भाजपा के वर्तमान व पूर्व पदाधिकारी ही थी।
इसलिए सरकार पर भी यह दबाव था कि उसके ही पदाधिकारियों के जन आंदोलन में उतारू होने से पहले इस मामले का खुलासा करे और अपनी ही पार्टी के लोगों के विरोध के राजनीतिक संदेश को जाने से रोके।
यह दबाव पत्रकार वार्ता के दौरान पुलिस अधीक्षक के उस बयान से भी झलक रहा था जिसमें पत्रकारों के सवालों के दौरान उन्हें यह कहना पडा कि हम इस मामले को काफी पहले खुलासा कर रहे हैं। जबकि इस मामले में आरोपी का रिमाण्ड लेना अभी बाकी है।
पहली बार दिखा यह नजारा
निस्संदेह इस ब्लाइंड मर्डर की उपलब्धि लेने के दौरान जो नजारा दिखा, वह पुलिस विभाग में विरला ही देखने को मिलता है। इस पूरे प्रकरण को खोलने की जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक संदीपसिंह ने खुद ओढने की बजाय इस हत्याकांड को खोलने में तकनीकी मदद करने वाले टीम के सबसे कनिष्ठतम पुलिसकर्मी भवानीसिंह और लगातार 48 घंटे बिना पलक झपकाए वाहन चलाते रहने वाले चालक बन्नेसिंह को दिया।
आमतौर पर पुलिस कप्तान और अन्य पुलिस अधिकारियों में यह सब नजर नहीं आता। पुलिस अधीक्षक ने इस प्रकरण को सुलझाने में भवानीसिंह की भूमिका को देखते हुए उन्हें पीएचक्यू या राज्य स्तर पर सम्मानित करने की सिफारिश करने की भी बात कही। उन्होंने दल में शामिल सीआई हंसाराम सीरवी, बरलूट एसएसओ नरसीराम, कांस्टेबल गंगाराम व रतनलाल, चालक बन्नेसिंह तथा तकनीकी सपोर्ट करने वाले भवानीसिंह को इनाम देने की भी घोषणा की है।
यह था मामला!
बरलूट थाने के मनोरा गांव में गीतादेवी 62 पत्नी उकराम पुरोहित से कई दिनों से उसके विजयवाडा में रहने वाले परिजनों का संपर्क नहीं हो पा रहा था। इस पर उन्होंने जावाल के अपने रिश्तेदार को वहां उनकी जानकारी लेने भेजा। जब यह व्यक्ति 19 दिसम्बर की शाम को मनोरा पहुंचा तो गीतादेवी के घर पर ताला लगा हुआ था, लेकिन घर के अंदर से बदबू आ रही थी।
इस पर उन्होंने बरलूट पुलिस को संपर्क किया। बरलूट पुलिस महिला के घर का ताला खोलकर अंदर घुसी तो अंदर गीतादेवी मृत पडी हुई थी। उनके पांव कान आदि काटे हुए थे।
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