जबलपुर। दुनिया की सारी संस्कृतियों में प्राचीन मानी जाने वाली भारतीय सनातनी संस्कृति एक विदेशी बाला को इस कदर भाई, कि उसने उसी रीति से ब्याह रचाने की ठान ली।
यद्यपि दस्तावेज के लिए उसने हाल ही में रजिस्टर्ड मैरेज कराई थी। बावजूद इसके उसने क्रिश्चियन होने के बाद भी हिन्दू वेद मंत्रोच्चार के बीच स्वयं का पाणिग्रहण संस्कार संपन्न कराया।
बात हो रही है पोलेंड निवासी डेगमारा ऐना की, जिसने जबलपुर निवासी मोहित बहोरिया से आज एक निजी होटल में ब्याह रचाया।विदेश से आई ऐना की ख्वाहिश थी कि शादी के लिए उसे भारतीय परिधान का लाल जोड़ा पहनाया जाए।
पाणिग्रहण संस्कार संपन्न कराने वाले विद्वान पुरोहित सचिन देव महाराज ने बताया कि ये जानने के बाद कि, दुनिया का पहला विवाह भारत भूमि में संपन्न हुआ था, वधू ने उसी भूमि पर और उसी विधि-विधान के अनुरूप शादी रचानी चाही।
विवाह के पूर्व वधू ने कई धार्मिक अनुष्ठान भी संपन्न कराए। वधू का पूरा परिवार पोलेंड से उसके विवाह के लिए जबलपुर आया है। राइट टाउन स्थित प्रतिष्ठित होटल में रुके युवती के परिजनों ने भी भारतीय परंपराओं और रीति रिवाजों के प्रति गहरी आस्था जताई।
विवाह समारोह में शहर के पंडित-पुरोहित भी उपस्थित हुए। वधू का कहना था कि विवाह का दस्तावेजी रस्म तो पहले ही हो गई थी, लेकिन परिणय में भारतीय और सनातनी बनने उसने ऐसा किया।
पुरोहित सचिन महाराज ने वर-वधू के विवाह समारोह में द्वारचार-भांवर, लौटपटा से लेकर पैर परखई तक की रस्म वैदिक मंत्रोच्चार के बीच संपन्न कराई। रविवार दोपहर संपन्न हुए इस विवाह में बारात सहित सारी रस्में पौलेंड से आए परिवार ने पहले कभी नहीं देखीं थीं।
ऐना और मोहित की मुलाकात मलेशिया में हुई और वहीं से चल पड़ा प्रेम का सिलसिला, जिसकी परिणति भारत में विवाह के रूप में सानंद संपन्न हुई।
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