![jammu kashmir : hari singh's grandson ajatshatru challenges abdullahs](https://www.sabguru.com/wp-content/uploads/2014/11/demok.jpg)
जम्मू। जम्मू कश्मीर में करीब 100 साल तक एकछत्र राज करने वाले डोगरा वंश के अंतिम महाराजा हरी सिंह का कुनबा पूरी तरह बिखरा हुआ है और विधानसभा चुनाव में उसके तीन सदस्य तीन विपरीत विचाराधारा वाली पार्टियों के मंच से डोगरा मतदाताओं को रिझाने की कोशिश कर रहे है।
महाराजा के इकलौते बेटे डा. कर्ण सिंह और पोते अजातशत्रु सिंह के समय समय पर पाला बदलने से उनकी छवि आया राम गया राम की हो गई है। कर्ण çंसंह के बड़े बेटे विक्रमादित्य ने चुनाव से ठीक पहले पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के जरिये राजनीति में पदार्पण किया है।
अजातशत्रु ने कांग्रेस से अपना राजनीतिक कैरियर कांग्रेस से शुरू किया था लेकिन बाद में वह नेशनल कांफ्रेंस में चले गए। वह पिछले तीन बार से नेकां के टिकट से विधानसभा का चुनाव लड़ रहे थे। वर्ष 1996 का चुनाव तो उन्होेने जीत लिया था और फारूक अब्दुल्ला मंत्रिमंडल में उन्हें कैबिनेट मंत्री बनाया गया, लेकिन 2002और 2008 में वह भाजपा के प्रांतीय अध्यक्ष जुगल किशोर शर्मा से हार गए।
नेकां के समर्थन से विधान परिषद के सदस्य अजातशत्रु पार्टी छोड़कर भाजपा की गोद में बैठक गए हैं और मिशन 44प्लस के लिए काम करेंगे। उनके नेकां छोड़ने पर मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपनी प्रतिक्रिया में उन्हें फुस्स कारतूस बताया है।
जम्मू कश्मीर के पहले और अंतिम सदरे रियासत कर्ण सिंह 1977में ऊधमपुर संसदीय सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी के तौर तथा 1980 में कांग्रेस यू के टिकट पर चुनाव जीता था। वर्ष 1984 का लोकसभा चुनाव उन्होने निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर लड़ा लेकिन उन्हें पराजय का मुंह देखना पड़ा था।
उसके बाद 1996 से 1999 तक वह नेकां के समर्थन से राज्यसभा सांसद रहे। नेकां ने उन्हें स्वायत्ता समिति का अध्यक्ष भी बनाया था। फिलहाल वह कांग्रेस के समर्थन से राज्यसभा सांसद हैं। वह चुनावी रैलियों से दूर रहते हैं।
विक्रमादित्य पीडीपी संरक्षक मुुफ्ती मोहम्मद सईद के साथ चुनावी रैलियों में मंच साझा कर रहे हैं। वे अपने बाबा हरी सिंह के साथ नाइंसाफी की याद दिलाकर कांग्रेस पर निशाना साध रहे हैं। साथ ही महाराजा के क्रांतिकारी कदमों का श्रेय लेने की भी कोशिश कर रहे हैं।