नई दिल्ली। देश के सिविल सेवा अधिकारियों को सिविल सेवा दिवस के अवसर पर संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मसूरी में उनके प्रशिक्षण संस्थान के सिद्धांत को उजागर किया और जोर दिया कि उन्हें देश को चलाने के लिये एक ऊर्जावान नौकरशाहों की एक टीम चाहिए।
मोदी ने कहा कि शासन प्रणाली के तीन महत्वपूर्ण पहलुओं में इ-गर्वेंस, इजी गर्वेंस और मोबाइल गर्वेंस शामिल है और देश को इनकी जरूरत है। देश का प्रत्येक सिविल सेवा अधिकारी भारत का एक अटूट हिस्सा है।
उनका पूरा भाषण चुटकलों और लघुकथाओं से परिपूर्ण था और उन्होंने इस मौके पर अपने कुछ अनुभव भी सुनाएं। उन्होंने कहा कि अच्छा प्रशासन बिना आर्ट:एआरटीः के संभव नहीं है। ए का अर्थ जवाबदेही, आर का मतलब जिम्मेदारी और टी यानि पारदर्शिता है।
मोदी ने गोल्डमैन साच रिपोर्ट का हवाला देते हुये कहा कि भारत का प्रशासन स्तर अन्य एशियाई देशों के औसतन काफी निम्न है। उन्होंने कहा कि रिपोर्ट के अनुसार एशियाई देशों के औसतन प्रशासन के स्तर को हासिल करने के लिये भारत को और दस साल लगेंगे और यह एक अच्छी बात नहीं है। उन्होंने कहा, ‘‘सिविल सेवा सुधार में एक प्रतिशत प्रति व्यक्ति की दर को हासिल किया जा सकता है जो एक संतोषजनक है।
राज्यों में मानवशक्ति के अभाव पर क्षोभ व्यक्त करते हुये उन्होंने सिविल सेवाओं में क्षमता निर्माण के महत्व पर जोर दिया। नई प्रौद्योगिकी को सीखने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि मानवशक्ति के अभाव के कारण शहरी निकायों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है।
अगर हम अभावग्रस्ता से प्रचुरता की ओर बढ़े तो अभावग्रस्त मानवशक्ति राशि का उचित उपयोग नहीं करने देगी। इसी वजह से परामर्शदात्रियों और गैर-सरकारी संगठनों को प्रमुख शहरी कार्य सौंपा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री मोदी ने भावी पीढ़ी को प्रोत्साहित करने के लिये प्रत्येक अधिकारी से कहा है कि वे छात्रों के साथ बातचीत करें। उन्होंने कहा कि सिविल सेवा दिवस का विस्तार कर दो दिन किया जाना चाहिये और इसमें से एक दिन इस प्रकार की बातचीत के लिये निर्धारित किया जाना चाहिए।
युवाओं को जानना चाहिए कि सिविल सेवा अधिकारी किस प्रकार से प्रशंसनीय कार्य करते है। आप 12 महीने कार्य करते है, अगर आप दो दिन इस प्रकार के कार्यों के लिये रखेगें तो देश रोकेगा नहीं।
नौकरशाही स्वभाव और राजनीतिक दखलंदाजी के संवेदनशील विषय के बारे में उन्होंने कहा कि दोनों गहराई के साथ एक दूसरे से जुड़े हुये है और प्रणाली बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के नहीं चल सकती क्योंकि यह जनता की आवाज होती है।
लेकिन उन्होंने स्वीकार भी किया कि राजनीतिक हस्तक्षेप प्रणाली को नष्ट कर सकता है। ‘‘अरे ब्यूरोक्रेटिक डिले है, फाइल जल्दी नहीं पास होगी ’’ ऐसा कुछ हम सुनते आये है। नौकरशाही और राजनेता एक ही प्रणाली का एक हिस्सा है लेकिन हमें सौहार्दपूर्ण के साथ् काम करने के लिये कोई रास्ता निकालने की जरूरत है।
प्रधानमंत्री मोदी ने सेवानिवृत सिविल सेवा अधिकारियों को सम्मानित करते हुये कहा कि सभी सिविल सेवा कॉडरों को सेवानिवृत अधिकारियों का नियमित रूप से सम्मान करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्रत्येक पांच साल में एक बार सेवानिवृत अधिकारियों को एक साथ मिलकर आपस में बातचीत करनी चाहिये। हमेशा याद रखे, अकेला कोई सेवानिवृत नहीं होता है। जबकभी एक नौकरशाह सेवानिवृत होता है तो उसके साथ एक पूरा संस्थान होता है और हमें उनके अनुभवों से सीखते रहना चाहिये क्योंकि संस्थागत स्मृति बहुत महत्वपूर्ण है।
किस प्रकार से पहले नौकरशाह अपने उत्तराधिकारियों के लिये नोट छोडने का स्मरण करते हुये मोदी ने मजाकिया लहजे में कहा कि आजकल केवल उन्हें अपने पद की कुर्सी पर बैठने के लिये कहा जाता है। उन्होंने कहा, हम उन परंपराओं को भूलते जा रहे है जिसने नौकरशाही को बनाया जो इस वक्त मौजूद है जिसे याद किया जाना चाहिये। विभागों की आंतरिक मजबूती एक जरूरी आवश्यकता बन गई है।
प्रधानमंत्री ने इस मौके पर एक पुस्तक ‘बेस्ट प्रैक्टिसेस – टूमोरो इज हियर’ का विमोचन भी किया। आज से शुरू हुए इस दो दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग की ओर से किया गया है।