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Some political parties have lost the Dalit community : Indresh Kumar
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कुछ राजनीतिक दलों ने किया दलित समाज का नुकसान : इंद्रेश कुमार

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कुछ राजनीतिक दलों ने किया दलित समाज का नुकसान : इंद्रेश कुमार
Indresh Kumar, national executive member of the RSS
Indresh Kumar, national executive member of the RSS
Indresh Kumar, national executive member of the RSS

नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारिणी सदस्य इंद्रेश कुमार ने शनिवार को संविधान दिवस के मौके पर धर्म संस्कृति संगम द्वारा आयोजित विचार गोष्ठी में कहा कि अनुसूचित समाज को आरएसएस के खिलाफ भड़काकर कुछ राजनीतिक दलों ने दलित समाज का ही नुकसान किया।

आरएसएस के वरिष्ठ प्रचारक ने कहा कि वर्तमान सरकार ने संविधान दिवस मनाने की शुरुआत की है ताकि संविधान निर्माताओं को याद किया जा सके। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा कि सरकार ने बुद्ध और अनुसूचित समाज से जुड़े स्थानों को विकसित किया, क्या यह सही नहीं है।

उन्होंने कहा कि अगर महर्षि वाल्मीकि न होते तो रामायण न मिलती और महर्षि वेदव्यास न होते तो महाभारत। उन्होंने इन्हें संविधान की संज्ञा देते हुए कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने देश का संविधान लिखा। ऐसे में भी कोई भेदभाव करता है तो उससे बुरा व्यक्ति कोई नहीं हो सकता।

इंद्रेश ने कहा कि धर्मांतरण और धर्मांधता से दूर होकर ही हम सच्चे धार्मिक बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि विश्व का संविधान कहता है कि जिस घर में नारी की पूजा होती है वहां देवता निवास करते हैं। उन्होंने संकल्प दिलाया कि सभी बेटियों को समान अधिकार देंगे।

आरएसएस के दिल्ली प्रांत के सहसंघचालक अलोक कुमार ने कहा कि डॉ. भीमराव अंबेडकर ने कहा था कि अस्पृश्यता के खिलाफ जो लड़ाई है, वह केवल एक समाज की नहीं बल्कि पूरे हिन्दू समाज की है। उन्होंने कहा कि वह गौरव का दिन था जब इसे संविधान में गैरकानूनी ठहराया गया।

आलोक ने कहा कि जब तक हमारे जीवन में महापुरुषों के समानता वाले विचार नहीं उतर जाते, बाबा साहेब के सपनों का भारत नहीं बन सकता। भाजपा सांसद और दलित नेता उदित राज ने कहा कि बाबा साहेब बहुत कुछ करना चाहते थे लेकिन उस समय के हालात माकूल नहीं थे।

उन्होंने कहा कि अभी तक हम मौलिक अधिकार पूरे नहीं कर पाए जबकि हमें समान नागरिक संहिता, महिला अधिकार, सर्वशिक्षा को भी इनमें शामिल कर देना चाहिए था। इसमें गलती नेताओं की नहीं, बल्कि सिविल सोसाइटी और बुद्धिजीवियों की भी है।

उदित ने कहा कि भगवान बुद्ध कहते थे कि अपना दीपक खुद बनें लेकिन हमें इसपर विश्वास नहीं। मानव का विकास किसी बाहरी शक्ति से नहीं हो सकता हमें परिश्रम का मार्ग अपनाना चाहिए। हम संविधान को आत्मसात करें और उसपर चलने का प्रयास करें।

पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं सांसद सत्यनारायण जटिया ने कहा कि ज्ञान और मेधा हमारी संस्कृति की विधा रही है। संविधान के रचयिता डॉ. भीमराव अंबेडकर ने अपना सारा जीवन कर्मशील होकर गुजारा और पिछड़े समाज के लिए काम करते रहे।

उन्होंने कहा कि बाबा साहेब के पहले उनके जैसा दृष्टा नहीं हुआ। श्री जटिया ने कहा कि समानता का अधिकार सबसे बड़ा अधिकार है, उसके बिना कुछ नहीं। बाबा साहब भी ऐसे सपनों का भारत चाहते थे।

इस अवसर पर प्रवासी नेपाली मित्र मंच और गोरखा मंच की ओर से सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया। कार्यक्रम में वंदना राय ने गोरखा लोगों के साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया।