लखनऊ। यूं तो 1992 से हर छह दिसम्बर को अयोध्या में सरगर्मियां खुद ब खुद बढ़ जाती हैं लेकिन इस बार विवादित बाबरी मस्जिद के वयोवृद्ध मुद्दई मोहम्मद हाशिम अंसारी के हालिया बयानों ने राजनीतिक क्षेत्रों में भूचाल सा ला दिया है।आलम यहां तक पहुंच गया है कि सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने अंसारी से बात करने की इच्छा जता दी है जबकि अंसारी पीएम नरेन्द्र मोदी से मिलना चाहते हैं।
इस केस के वयोवृद्ध पैरोकार मान रहे हैं कि मोदी इस मसले का सर्वमान्य हल खोज सकते हैं। यादव ने कहा है कि अयोध्या विवाद का मामला बहुत गंभीर है। अंसारी ने किन परिस्थितियों में ऎसा बयान दे दिया। वह अंसारी से खुद बात करेंगे। पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाली अयोध्या के विवादित ढांचाध्वस्त होने की शनिवार को 23वीं बरसी है। सुरक्षा की दृष्टि से अयोध्या समेत पूरे राज्य में हाई एलर्ट है। इसी बीच आ रहे बयानों की वजह से राजनीतिक सरगर्मी भी बढ़ गई।
अंसारी से गुरूवार को अयोध्या क्षेत्र से सपा विधायक तेज नारायण उर्फ पवन पाण्डेय ने मुलाकात की थी। बीमार चल रहे अंसारी से इन लोगों ने एकान्त में गुफ्तगू की थी, बाद में पता चला कि विधायक ने अंसारी से कहा कि चच्चा मोदी कय नाम न लिया करौ। सूत्रों ने बताया कि दोनों सपा नेताओं ने अंसारी से ऎसे बयान नहीं देने की गुजारिश की जिससे बीजेपी को फायदा पहुंचे। इन दोनों ने इसे हालांकि अंसारी से औपचारिक मुलाकात बताई लेकिन राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि यह दोनों ही सपा नेतृत्व की सलाह पर अंसारी से मिलने गए थे।
भाजपा ने सपा नेताओं की अंसारी को मोदी का नाम नहीं लेने की सलाह पर कड़ी नाराजगी जताई है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने कहा कि अंसारी को सच्चाई कहने से रोकने का प्रयास किया जा रहा है और सपा नेताओं ने इसी मकसद से मुलाकात की थी। दो दिन पहले अंसारी ने बाबरी मस्जिद की पैरोकारी से खुद को अलग कर लेने की धमकी और सपा के वरिष्ठ नेता और उत्तर प्रदेश के नगर विकास मंत्री मोहम्मद आजम खां समेत कई लोगोंं पर इस मुद्दे से राजनीतिक लाभ लेने के गंभीर आरोप लगाये थे। अंसारी का दावा है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यदि यहां आकर उनसे और साधु संतोे से मिलते हैं तो विवादित श्रीराम जन्मभूूमि मसले का त्वरित समाधान हो सकता है।
वयोवृद्ध पैरोकार का मानना है कि अयोध्या मसले का हल अयोध्या में ही बैठकर निकाला जा सकता है। प्रधानमंत्री यहां आएं और धर्माचार्यो के साथ बैठ कर बात करें तो कई साल से लंबित विवादित मसले का समाधान निकल आएगा। करीब 95 वर्षीय पैरोकार ने कहा था कि तिरपाल के नीचे विराजमान रामलला की सुरक्षा पर हर रोज करीब लाखों रूपए खर्च होते हैं। सारे जहां के रखवाले की सुरक्षा पर होने वाला भारी भरकम खर्च पूरी तरह बेमानी है और इसके लिए राजनीतिक दलों के निजी स्वार्थ जिम्मेदार हैं।
अंसारी ने अपने बयान के बाद कु छ मुसलमानों से ही खतरा महसूस होने की आशंका जताई थी। बाबरी मस्जिद मुद्दई ने कहा कि उन्हाेंने अपने जीवन में कभी भी मस्जिद के नाम पर चंदा नहीं वसूला और न ही इस मुद्दे से अपने कोई निहित स्वार्थ की पूर्ति की। अंसारी के बयानों से तिलमिलाए राज्य के नगर विकास एवं अल्पसंख्यक कल्याण तथा मुस्लिम वक्फ मंत्री मोहम्मद आजम खां ने कहा कि किसी के पैरवी से अलग हो जाने से बाबरी मस्जिद के मुकदमें पर कोई फर्क नहीं पडेगा।
इस बाबत अंसारी का कहना है कि समझौते की कोशिशों के दौरान हिन्दू महासभा सुप्रीमकोर्ट चली गई थी। अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ज्ञान दास ने पूरी कोशिश की थी कि हिंदुओं और मुसलमानों को इकट्ठा करके मामले को सुलझाया जाए। उन्होंने कहा कि नेता मस्जिद का नाम लेकर अपनी रोटियां सेंक रहे हैं। अंसारी के बयानों से बढ़ी सरगर्मी के बीच विहिप ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या में किसी भी हालत में बाबरी मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं किया जाएगा।
विहिप के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा ने कहा कि संत धर्माचार्यो ने पहले से घोषणा कर रखी है कि अयोध्या में स्थित विवादित श्रीरामजन्मभूमि पर विराजमान रामलला के स्थान पर ही भव्य मंदिर का निर्माण होगा और अयोध्या के 14 कोसी परिक्रमा के अंदर बाबरी मस्जिद का निर्माण स्वीकार नहीं किया जाएगा। बाबरी मस्जिद के मुद्दई हाजी मोहम्मद हाशिम अंसारी के रामजन्मभूमि मुकदमें की पैरवी न करने के बयान का स्वागत करते हुए उन्होंने कहा कि हर मुस्लिम धर्मगुरू और नेता को इस बयान का सम्मान करना चाहिए।