लखनऊ। समाजवादी पार्टी के साथ कांग्रेस का संदेह और अविश्वास की घटनाओं का पुराना इतिहास रहा है। कांग्रेस के साथ गठबंधन की बात कर अंत समय में उससे किनारा करना सपा की पुरानी परम्परा रही है।
मुलायम सिंह यादव राजनीति के कुशल खिलाड़ी माने जाते हैं। उन्होंने कई मौकों पर कांग्रेस को गच्चा दिया है। सपा और कांग्रेस के बीच 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री स्व. राजीव गांधी भी सपा मुखिया मुलायम सिंह यादव के साथ गठबंधन की कोशिश में नाकाम साबित हुए थे।
एक बार, राजीव गांधी से मुलायम सिंह यादव ने गठबंधन की घोषणा करने का वादा किया और अगली सुबह दिल्ली से लखनऊ रवाना हो गए। मुलायम ने विधानसभा भंग कर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी जिससे कांग्रेस को काफी निराशा हुई। उस समय देशभर में कांग्रेस की थू-थू हुई थी।
आज पिता मुलायम सिंह यादव के पद चिन्हों पर चलते हुए सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने भी अंतिम दौर में गठबंधन से किनारा कर लिया। अब कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सामने असमंजस की स्थिति उत्पन्न हो गई है।
इतिहास गवाह है कि दोनों पार्टियों के बीच जब भी गठबंधन पर बात हुई वह केवल भाजपा को राज्य में सत्ता से दूर रखने के लिए हुई थी। इस बार भी यही प्रयास था लेकिन कांग्रेस की कोशिश रंग नहीं लाई। चाहे पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हों या फिर सोनिया गांधी हो जब बात सपा से गठबंधन की आई तो हमेशा फ्लाप शो साबित हुआ।
समाजवादी पार्टी पर कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को प्रधानमंत्री न बनने देने का भी आरोप लगा तो मुलायम ने भी कांग्रेस पर उनके खिलाफ सीबीआई के दुरुपयोग का आरोप लगाया। कांग्रेस के संदेह के चलते ही राहुल गांधी ने यह कहा था कि वह अखिलेश के साथ दोस्ती का रिश्ता निभा सकते हैं लेकिन मुलायम सिंह के साथ वो असहज महसूस करते हैं।
लेकिन वक्त के साथ मुलायम ने कांग्रेस को लेकर नरम तेवर भी दिखाए तो कांग्रेस ने भी राजनीति की रिश्तेदारी को निभाया। साल 2014 में कांग्रेस ने डिंपल यादव के खिलाफ कन्नौज सीट से उम्मीदवार नहीं खड़ा किया। बदले में समाजवादी पार्टी ने भी गांधी परिवार के खिलाफ 2014 के चुनाव में उम्मीदवार नहीं उतारा।
वहीं बिहार विधानसभा चुनाव से पूर्व जब वहां पर कांग्रेस के नेतृत्व में महागठबंधन बनाने की बात आई तो उसके अगुवा मुलायम सिंह यादव ही थे लेकिन अंत समय में मुलायम ने महागठबंधन से अपने को अलग कर कांग्रेस का झटका दिया था।
वहीं जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव निकट देख सपा कांग्रेस में तालमेल की संभावना दिखी तब राहुल ने अखिलेश का अच्छा लड़का बताया। अखिलेश ने भी राहुल को अच्छा इंसान कहा। कहा राहुल यूपी आते रहेंगे तो हमारी दोस्ती हो जाएगी।
यही कारण था कि ‘देवरिया से दिल्ली की यात्रा’ और खाट सभा में कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने अखिलेश सरकार के खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोला। वह लगातार केन्द्र की मोदी सरकार पर ही हमलावर रहे। जबकि चुनाव विधानसभा का होना था तो प्राथमिकता में सपा सरकार पर ही हमला करना चाहिए था।
कांग्रेस के साथ गठबंधन न होने पर सपा के राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल ने कहा कि हमने कांग्रेस के सामने अपनी स्थिति स्पष्ट की थी। हमें 300 से ज्यादा प्रत्याशियों को हर हाल में खड़ा करना है। इससे कम करना हमारे लिए सम्भव नहीं है।
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