अशोकनगर। पुलिस ने प्रभु हत्याकांड की गुत्थी सुलझा ली है। इस मामले में पकडे गए आरोपियों ने स्वीकार किया कि उन्होंने प्रभु की हत्या की। उन्होंने इसके पीछे राजीनामा नहीं करने को वजह बताई ।
बीती 10 दिसंबर को रेलवे फाटक के पास क्षत-विक्षत अवस्था शव मिला था, पुलिस ने इसकी पहचान प्रभुलाल के रूप में की थी। पिपरई पुलिस ने खुलासा किया है कि मृतक प्रभुलाल की मौत दुर्घटना से नहीं हुई थी, बल्कि उसकी हत्या की गई थी। हत्या के मामले में पकडे गए दो आरोपियों ने बताया कि उन्होंने प्रभु के सिर पर पत्थर पटककर उसकी जान ली थी।
इसी महीने 10 दिसंबर की सुबह पिपरई रेलवे फाटक के पास एक अज्ञात व्यक्ति का शव मिला था। पिपरई पुलिस ने यह मामला दर्ज कर जब मृतक की शिनाख्त का प्रयास किया तो उसकी पहचान खोकसी निवासी 55 वर्षीय प्रभुलाल अहिरवार के रूप में हुई। मृतक के कपड़े घटनास्थल से दूर तालाब के किनारे मिलने से पुलिस को शुरू से ही शक था कि प्रभु की मौत दुर्घटना में नहीं बल्कि सोची-समझी साजिश के तहत हत्या की गई है। पुलिस छानबीन में मृतक के परिजनों ने हत्या करने का संदेह जताते हुए पुलिस को कुछ संदिग्धों के नाम भी बताए थे। संदिग्धों से जब पूछताछ की गई तो पुलिस का कयास सही निकला और हत्या के आरोपी पुलिस की गिरफत में आ गए।
थाना प्रभारी राजवीर सिंह गुर्जर ने बताया कि इस प्रभुलाल का 2013 में गांव के ही जनवेद पुत्र हरतू यादव और कृष्णपाल पुत्र गजेन्द्र सिंह यादव से विवाद हो गया था। विवाद के बाद कृष्णपाल ने मृतक के नाम से प्रकरण दर्ज करवाया था। बाद में कृष्णपाल प्रभुलाल से राजीनामा करने की बात करने लगा, लेकिन प्रभु ने राजीनामा करने से मना कर दिया। इससे नाराज होकर आरोपियों ने प्रभुलाल को पहले तो शराब पिलाई और बाद में उसकी हत्या कर लाश को तालाब के पास फेंक दी। बाद में मौत को दुर्घटना का रूप देने के लिए शव को उठाकर रेलवे लाइन पर डाल दिया, लेकिन पीएम रिपोर्ट और परिजनों के संदेह ने पुलिस को आरोपियों तक पहुंचा दिया।