नई दिल्ली। आदमी आदमी पार्टी के संस्थापक और पूर्व वरिष्ठ नेता प्रशांत भूषण ने दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल को जनलोकपाल विधेयक 2015 पर बहस करने की चुनौती दी है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि केजरीवाल के जनलोकपाल में कई प्रावधान 2011 के लोकापाल की भावना के विरूद्ध हैं। ये प्रावधान भ्रष्टाचार के खात्मे के लिए नही बल्कि उसके पोषण के लिए जोड़े गये हैं।
उन्होंने कहा कि 2011 के आंदोलन के समय जिस लोकपाल का वादा केजरीवाल ने किया था । यह वह लोकपाल विधेयक नहीं है। यह महाजोकपाल विधेयक है, यह विधेयक दिल्ली के लोगों के साथ धोखा है।
प्रशांत भूषण ने कहा कि स्वराज अभियान सरकार के इस लोकपाल विधेयक के खिलाफ सोमवार को प्रदर्शन करेगा। उन्होंने बताया कि 2011 की लोकपाल चुनाव समिति में कुल 7 सदस्य थे। इनमें दो नेता थे,जिनमें एक नेता सरकार का था। जबकि 2015 के लोकपाल की चार सदस्यीय समिति में तीन नेता है। इनमें दो नेता सरकार के हैं।
उन्होंने कहा कि पहले वाले लोकपाल के दायरे अन्तर्गत केंद्र सरकार के भ्रष्टाचार के लिए केंद्रीय लोकपाल और राज्य सरकार के भ्रष्टाचार के लिए राज्य लोकायुक्त की नियुक्ति का प्रावधान था।
लेकिन 2015 के केजरीवाल के जनलोकपाल के अन्तर्गत दिल्ली की सीमा में स्थानीय निकाय,राज्य सरकार एवं केन्द्र सरकार से जुड़े भ्रष्टाचार के सभी मामलों की जांच की जा सकती है।
भूषण ने बताया कि इस लोकपाल में सबसे बड़ी गड़बड़ी यह है कि केन्द्र सरकार इसे मौजूदा स्वरूप में स्वीकृति नही देगी,इसीलिए यह लागू नही हो पाएगा। ऐसा होने से दिल्ली सरकार अपनी जिम्मेदारी से बच जाएगी।
इसीलिए अरविंद केजरीवाल का जनलोकपाल जनता के साथ धोखा है। जानकारी हो कि उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया सोमवार को दिल्ली विधानसभा में जन जनलोकपाल पेश करेंगे।