जयपुर। आतंकवाद के मु्द्दे पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कड़ा रूख अपनाते हुए कहा है जो देश अपनी राष्ट्रीय नीति के तहत आतंकवाद का समर्थन करते हैं या इसे प्रायोजित करते हैं, उन देशों की लगाम कसी जानी चाहिए। यह जरूरी है कि पूरी दुनिया एक स्वर में आतंकवाद के किसी भी तरीके को अस्वीकार करे।
जयपुर में मंगलवार को इंडिया फाउंडेशन और राजस्थान सरकार की ओर से काउंटर टेरेरिज्म पर आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन का उद्घाटन करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद के राजनीतिक प्रबंधन की जरूरत है। इसके लिए इस विचारधारा से जुड़े मुद्दों को देखना होगा और इसका समर्थन या इसे प्रायोजित करने वाले देशों से राजनीतिक ढंग से निपटना होगा।
राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए हमारे प्रयास ज्यादा केन्द्रित, परिणामदायक और पेशेवर होने चाहिए। हो सकता है कि इससे हम किसी के व्यक्तिगत और स्वतंत्रता या मानवाधिकारों का उल्लंघन करें, इसलिए हमें लोगों की स्वतंत्रता और प्रजातांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए सोच-समझ कर काम करना होगा। इस अभिशाप से हर स्तर पर निपटना होगा। इसके लिए लोगों को मानसिक रूप से तैयार कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आपसी सहयोग से एक केन्द्रित आतंकवाद निरोधी नीति बनानी होगी।
मुखर्जी ने कहा कि आतंकवाद पूरी मानवता के लिए इस समय सबसे बड़ा खतरा है और कोई भी देश इससे अछूता नहीं हैं। हम आतंकवाद के किसी भी स्वरूप का, किसी भी कारण और कभी भी समर्थन नहीं कर सकते। ऐसे में यह जरूरी है कि पूरी दुनिया इसके खिलाफ काम एकजुट होकर काम करे।
राष्ट्रपति ने कहा कि अमरीका के आतंकवादी हमले ने पूरी दुनिया में इससे एकजुट होकर लड़ने के विचार को मजबूत किया था। दक्षिण एशिया के देश इस समस्या से लम्बे समय से जूझ रहे हैं। ऐसे में अब और अधिक मजबूत कदम उठाने की जरूरत है।
उन्होंने कहा कि भारत इतनी विविधताओं वाला देश है, इसलिए बावजूद एक संविधान से यह देश चलता है और इसका एकमात्र कारण है कि हमने हर विचारधारा को हमारे यहां स्थान दिया है। यह बहुत महत्वपूर्ण है और हमेशा ऐसा रहना चाहिए। समाज को एकजुट रखने की जरूरत है। इसे बांटने से संघर्ष और बढ़ेगा।
इस मौके पर अफगानिस्तान सरकार के मुख्य कार्यकारी डा. अब्दुल्ला अब्दुल्ला ने अपने मुख्य सम्बोधन में कहा कि आज सभी मानते हैं आतंकवाद से लड़ाई जरूरी है। हर देश की अपनी आतंकवाद विरोधी नीति भी है और हर देश इससे परेशान भी है, लेकिन दुर्भाग्य है कि फिर भी हम इससे लड़ने के लिए एकजुट नहीं हो पाते।
उन्होंने कहा कि शीतयुद्ध के बाद दुनिया के देशों में क्षेत्रीय स्तर पर शीतयुद्ध शुरू हो गए। अपने देशों की सुरक्षा नाम पर प्रॉक्सीवार की स्थितियां बनने लगीं और इसी ने आतंकवाद को जड़ें जमाने का मौका दिया। अब हमें ऐसा मैकेनिज्म बनाने की जरूरत है जो आतंकवाद के खिलाफ पूरी दुनिया को एकजुट कर सके।
उन्होंने कहा कि हम तालिबान और आईएसआईएस के बीच कोई फर्क नहीं करते। हम अपना काम कर रहे हैं और पड़ोसी देशों को आमंत्रित करते हैं कि हमारी चुनौतियों का सामना करने में हमारी मदद करें। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने इस मौके पर कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक समस्या है और सभी को इससे मिलकर लड़ना होगा।
राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने कहा कि आतंकवाद से लड़ाई में जितना पैसा खर्च हो रहा है, उसे विकास के कई काम हो सकते हैं। इस मौके पर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिहं और पूर्व सेना प्रमुख जनरल बी.पी मलिक भी मौजूद थे।