नई दिल्ली। उत्तराखण्ड की राजनीतिक संकट और उठापटकों को रविवार को एक तरह से विराम लग गया। तमाम कयासों के बीच केबीनेट ने वहां पर राष्ट्रपति शासन लागू करने की संस्तुति कर दी, जिस पर राष्ट्रपति की सहमति के बाद वहां की विधानसभा को निलंबित कर दिया गया है।
राज्यपाल की ओर से की गई सिफारिश पर बीती रात केबीनेट ने मोहर लगाकर राष्ट्रपति के पास भेजा था। अभी विधानसभा को भंग नहीं किया गया है सिर्फ निलम्बित की गई है। कांग्रेस की वर्तमान हरीश रावत सरकार को सोमवार को सदन में अपना बहुमत साबित करना था, लेकिन इसके पहले ही यह फैसला ले लिया गया। त्वरित प्रतिक्रिया में कांग्रेस ने इस फैसले को असंवैधानिक और भाजपा ने राष्ट्रपति शासन लागू करने को सही ठहराया है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के असम में चुनाव प्रचार से लौटते ही शनिवार रात को केबीनेट की कांग्रेस शासित उत्तराखंड में उत्पन्न राजनीति स्थिति पर चर्चा के लिए बैठक हुई। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के विकल्प पर भी गंभीरता से विचार हुआ।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आवास पर हुई इस बैठक में केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह, वित्त मंत्री अरुण जेटली, विदेश मंत्री सुषमा स्वराज, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने हिस्सा लिया। इससे पहले राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ जारी एक स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो लिंक होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मुलाकात करके सरकार को बर्खास्त करने की मांग की थी।
उत्तारखण्ड में राष्ट्रपति शासन लागू होने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि उनकी पार्टी सरकार बनाने और चुनाव में जाने दोनों ही विकल्पों पर विचार कर रही है।
-कांग्रेस ने बताया लोकतंत्र का हनन
कांग्रेस ने उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन लगाने को लेकर भारतीय जनता पार्टी पर लोकतंत्र की हत्या करने का आरोप लगाया है। कांग्रेस का कहना है कि राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत सदन में होने वाले शक्ति परीक्षण में अपना बहुमत साबित कर देंगे।
कांग्रेस प्रवक्ता शकील अहमद ने मीडिया को रविवार को यहां बताया कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी यह जानते थे कि राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत सदन में अपना बहुमत साबित करने में सफल हो जाएंगे। इसी कारण भाजपा पूरी तरह से डरी हुई थी और बहुमत साबित करने की तिथि के पूर्व ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया गया। ऐसा कर केन्द्र सरकार ने एक बार फिर लोकतंत्र का दमन किया है।
अहमद ने कहा कि कांग्रेस केन्द्र की इस नीति से डरी हुई नहीं है। इस मुद्दे को पार्टी संसद सहित हर तरह की राजनीतिक मंच पर उठाएगी। राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत ने भी केन्द्र पर निशाना साधते हुए इसे लोकतंत्र का हनन बताया था। वहीं दूसरी तरफ कांग्रेस नेता मनु सिंघवी ने ट्वीट कर कहा, यह लोकतंत्र की हत्या है। न तो स्पीकर की सुनी गई न विधानसभा में बहुमत साबित करने दिया गया।
-भाजपा ने बताया सही निर्णय
उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को भाजपा ने सही ठहराते हुए कहा कि उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार कुशासन और भ्रष्टाचार में लिप्त थी। भाजपा नेता श्याम जाजू ने रविवार को उत्तराखंड में लगाए गए राष्ट्रपति शासन पर कहा कि वे शनिवार से ही इन्तजार कर रहे थे।
हरीश रावत के राज्य में कुशासन, भ्रष्टाचार एवं लोकतंत्र की हत्या जैसी कई घटनाएं देखी जा रही थी। स्टिंग वीडियो के सामने आने के बाद पूरे देश ने देखा कि हरीश रावत अपनी अल्पमत सरकार को बहुमत में लाने के लिए क्या-क्या कर सकते हैं। इन सबको को रोकने के लिए भाजपा ने राष्ट्रपति से मुलाकात की और उत्तराखंड को राजनीतिक संकट का समाधान निकालने का अनुरोध किया।
भाजपा ने कहा कि राज्य के लोग कांग्रेस की सरकार से बेहद निराश थे। अल्पमत सरकार को भंग करना ही इससे निकले का एकमात्र रास्ता था। राष्ट्रपति शासन लगाने के साथ ही उद्देश्य पूरा हो गया है। भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने कहा कि अगर इस तरह की खरीद-फरोख्त करके कोई बहुमत साबित करेगा तो ये प्रजातांत्रिक नहीं गिरोह की सरकार होगी। गिरोह की सरकार से बचाने और प्रजातंत्र का सम्मान करने के लिए राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
-उत्तराखंड में नए सिरे से चुनाव कराने की मांग
उत्तराखण्ड में कांग्रेस के बागी विधायक और उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा ने उत्तराखंड में लगे राष्ट्रपति शासन का स्वागत करते हुए राज्य में जल्द ही नए सिरे से चुनाव कराने की बात कही। बहुगुणा ने रविवार को अपनी प्रतिक्रिया में कहा कि उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाना बहुत जरूरी हो गया था।
उन्होने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री हरीश रावत अपनी अल्पमत सरकार को बचाने के लिए सभी अनुचित साधनों का प्रयोग कर रहे थे। उन्होंने कहा कि गत 18 मार्च को बहुमत खोने के बाद भी मुख्यमंत्री ने इस्तीफा नहीं दिया और विधायकों की खरीद-फरोख्त में जुट गए।मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ बागियों का नेतृत्व कर रहे बहुगुणा ने कहा कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले का स्वागत करते हैं। अगर भाजपा के साथ सरकार गठन की कोई संभावना हुई तो वह उसपर विचार करेंगे।