हजारीबाग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गौरिया करमा में आज भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) की आधारशिला रखी।
इस संस्थान में तीन प्रमुख स्कूल होंगे, जिनमें प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंध, फसल सुधार एवं संरक्षण, बागवानी व वानकी पर ध्यान दिया जायेगा। संस्थान में विभिन्न विधाओं में स्नात्कोत्तर और डॉक्टरेट की उपाधि के पाठ्यक्रम संचालित किए जाएंगे।
इस मौके पर प्रधानमंत्री ने कहा कि जब तक हम एक संतुलित एवं समग्र योजना तैयार नहीं करते, हम किसानों का जीवन बदलने की स्थिति में नहीं होंगे। उन्होंने कृषि उत्पादन बढाने के लिए वैज्ञानिक पद्धति से खेती किए जाने की जरुरत पर बल दिया और कहा कि यह समय देश में दूसरी हरित क्रांति लाने का है क्योंकि इस तरह की पहली क्रांति बहुत पहले आई थी।
उन्होंने कहा कि देश के उत्तरी हिस्से में दूसरी हरित क्रांति लाने की क्षमता है। यह पूर्वी उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, झारखंड, असम, ओडिशा में हो सकती है। कृषि के क्षेत्र में मृदा के स्वास्थ्य का निर्धारण करने के लिए और अनुसंधान की जरुरत है और बीजों, जल की गुणवत्ता, उर्वरक की मात्रा के लिहाज से मिट्टी के स्वास्थ्य की स्थिति जानना जरुरी है।
मोदी ने कहा कि सरकार मिट्टी की जांच करने के लिए युवाओं को प्रशिक्षित करने की दिशा में लगातार कदम उठा रही है, जिससे कि मिट्टी के लिए प्रयोगशालाएं स्थापित की जा सके। इससे रोजगार के अवसरों का भी सृजन होगा।
इस दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि मैं किसानों से अनुरोध करता हूं कि यदि उनके पास पांच एकड़ खेत है तो चार एकड़ का इस्तेमाल अन्य फसलों के लिए करें, लेकिन कम-से-कम एक एकड़ में दलहन की खेती जरुर करें।
गौरतलब है प्रधानमंत्री के साथ राज्यपाल द्रौपदी मुरमू, मुख्यमंत्री रघुवर दास, कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह, वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा, राज्य के कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक ए अय्यपन समेत कई शख्सियत उपस्थित हुए।