नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने मन की बात कार्यक्रम के माध्यम से कहा कि सरकारी कार्यक्रम को जब कोई व्यक्ति, समाज, गाँव अपना बना लेता है तो वह और ज्यादा सश्क्त हो जाता है।
उन्होंने कहा कि सरकार, लोग, सरकारी मुलाज़िम, सब कोई देश के लिए काम करना चाहते हैं। निस्वार्थ भाव से सर्वजन हिताय-सर्वजन सुखाय को सफल बनाना चाहते हैं। अगर हम संकल्प ले कर चलते हैं, तो सरकार भी दौड़ती है और लोग भी दौड़ते हैं और जनता-जनार्दन पलक-पावड़े बिछा करके उनका स्वागत भी करती है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना : बेटी के साथ फोटो खींच #‘selfiewithdaughter के साथ सोशल मीडिया में डाले
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि पिछले दिनों, हरियाणा के बीबीपुर गाँव के एक सरपंच सुनील जगलान जी, उन्हें एक बहुत बड़ा मज़ेदार शुरुआत की। उन्होंने ‘सेल्फी विद डॉटर’ ( बेटी के साथ स्वयं की तस्वीर ) इसकी स्पर्धा की अपने गाँव में, और एक माहौल बन गया कि हर पिता को अपनी बेटी के साथ सेल्फ़ी निकाल करके सोशल मीडिया में रखने का मन करने लगा। ये कल्पना उन्हें अच्छी लगी। हरियाणा के एक छोटे से गाँव का सरपंच बेटी बचाओ अभियान को इस प्रकार का मोड़ दे, तब मन को बहुत आनंद होता है। उन्होंने कहा कि एक नयी आशा प्रेरणा मिलती है।
उन्होंने कहा कि वह जनता से आग्रह करते हैं कि वह भी अपनी बेटी के साथ तस्वीर निकाल कर #‘selfiewithdaughter ज़रूर पोस्ट करें। प्रेरक टैगलाइन के साथ भेजी गई सेल्फ़ी को वह स्वयं रीट्वीट करेंगे। इससे आमजन बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ इस बात को जन आन्दोलन में परिवर्तित कर सकता है।
अतुल्य भारत अभियान : #IncredibleIndia में पोस्ट करें तस्वीरें
प्रधानमंत्री नेरन्द्र मोदी ने आज अतुल्य भारत अभियान को सोशिल मीडिया से जुड़ने की सराहना की। उन्होंने कहा कि जब उन्होंने ऐसा कहा था तो मैंने सोचा नहीं था कि ऐसा ज़बरदस्त परिणाम मिलेगा। लाखों लोगों ने फोटो पोस्ट किये, ट्विटर पे, फ़ेसबुक पे, इन्स्टाग्राम में। एक-एक दृश्य के माध्यम से पता चलता है कि देश में कितनी विविधता है चाहे वह स्थापत्य हो, कला हो, प्रकृति हो, झरने हों, पहाड़ हों, नदी हो, समुद्र हो।
शायद भारत सरकार ने कभी सोचा नहीं होगा कि पर्यटन की दृष्टि से लोग इतना बड़ा काम कर सकते हैं। एक उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि यदि आंध्रप्रदेश के बेलम की गुफा की फ़ोटो और मैनाल (राजस्थान) के झरने की फ़ोटो नहीं पोस्ट की गई होती तो देश के कई लोगों को शायद पता नहीं होता कि ऐसी कोई चीज़ हमारे देश में है। प्रधानमंत्री ने आग्रह किया कि देशवासी फ़ोटो भेजते रहें ताकि देश और दुनिया को पता चलेगा कि हमारे देश के पास कितनी विविधता है।
इस अभियान में एक कमी का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें लगता है कि हस्तनिर्मित वस्तुओं के संबंध में कम तस्वीरें सामने आई हैं। आप अपने यहां के ऐसे उत्पादों को अतुल्यभारत(#IncredibleIndia) के माध्य से पोस्ट कर सकते हो।
योग : योगाभ्यास का सूर्य कभी अस्त नहीं होता, भारत का दायित्व दुनिया को दे बेहतर योग प्रशिक्षक, प्रचार के लिये आगे आयें आईटी प्रोफेशनल
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि 21 जून के योग दिवस कार्यक्रम ने यह बता दिया कि जहाँ-जहाँ सूरज की किरणें गयीं, दुनिया का कोई भूभाग ऐसा नहीं था, जहां योग के द्वारा सूर्य का स्वागत न हुआ हो।
हम दावे से कह सकते हैं कि योग अभ्यासुओं की दुनिया में सूरज कभी ढलता नहीं है। उन्होंने फ्रांस के आइफिल टॉवर, सिडनी के ओपेरा हाउस, अमेरिका की सिलिकोन वेली और यूएन के मुख्यालय में हुए कार्यक्रमों का उदाहरण दिया।
साथ ही उन्होंने सियाचिन, समुद्र तट में नौसेना द्वारा किये गये कार्यक्रमों का भी उदाहरण दिया और कहा कि दिल्ली ने तो इसमें विश्व रिकॉर्ड बना दिया। इसके लिये उन्होंने विश्व का धन्यवाद दिया। एक निजी उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि कुछ दिन पहले मैंने जब ट्विटर पे, वियतनाम से एक परिवार ने छोटे बच्चे का योग करता हुआ फ़ोटो ट्वीट किया था, इतना प्यारा था वो फ़ोटो, दुनिया भर में वो इतना प्रचलित हुआ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि योग सच्चे अर्थों में दुनिया को जोड़ने का एक कारण बन गया है। उन्होंने कहा कि भारत के प्रति विश्व में एक जिज्ञासा बढ़ी है। यहाँ की परम्पराएं, यहाँ की विरासत, दुनिया जानना चाहती है।
हम सबका दायित्व है कि बिना लागलपेट के हमारी ये जो विरासत है, विश्व को हमें बांटना चाहिए, विश्व को परिचित कराना चाहिए। लेकिन ये परिचय हम तब करा पायेंगे जब हमें हमारी विरासत पर गर्व हो। हमें विश्व को अपनी पारिवारिक परंपराओं से भी परिचित कराना चाहिये ।
उन्होंने कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस की सफलता आनंद और संतोष के साथ एक नई ज़िम्मेवारी ले के आयी है। ये हमारा दायित्व बनता है कि विश्व को उत्तम योग शिक्षक हम दें।
उन्होंने कहा कि वह देश के आईटी प्रोफेशनल से आग्रह करते हैं कि वह ऑनलाइन योगा कार्यक्रमों की कुछ योजना बनायें। योग से संबंधित संस्थाओं का परिचय हो, योग गुरुओं की जानकारी हो, योग के संबंध में जानकारी हो। योग सीखना हो तो कहाँ सीख सकते हैं, योग टीचर चाहिये तो कहाँ से मिलेगा, एक संग्रह तैयार किया जाना चाहिये ।
जन सुरक्षा योजना : कम समय में मिले सकारात्मक परिणाम, रक्षा बंधन में उपहार स्वरूप अपनी बहनों को दें योजना का लाभ
पिछले महीने कलकत्ता में शुरु की गई तीन जन सुरक्षा योजनाओं का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि कम समय में बहुत ही सकारात्मक परिणाम मिला है। भारत में जन सुरक्षा की दृष्टि से बहुत कम काम हुआ है इतने कम समय में 10 करोड़ से भी ज्यादा लोग इन जन सुरक्षाओं की योजनाओं में कहीं न कहीं जुड़ गयें हैं और हमें इसे आगे बढ़ाना हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अगस्त माह में रक्षाबंधन त्योहार आता है इसमें उपहार स्वरुप हम माताओं-बहनों को इन जन सुरक्षा योजनाओं का लाभ दे सकते हैं। हमारे घर में खाना पकाने वाली कोई बहन हो या बर्तन साफ़ करने वाली बहन हो या हमारे खेत में मज़दूरी करने वाली कोई बहन हो या हमारे परिवार में अपनी बहने हों। क्या रक्षाबंधन के पवित्र त्योहार को ध्यान में रखते हुए हम 12 रूपए वाली या 330 रूपए वाली जन सुरक्षा योजनायें जीवन भर के लिए अपनी बहनों को उपहार स्वरुप दे सकते हैं।
मानसून : बूंद-बूंद पानी बचायें और जल संरक्षण को जनआंदोलन बनायें, बिमारियों से बचें और हरियाली बढ़ायें
मानसून के मौसम पर अपनी बात रखने के नागपुर के योगेश दांडेकर, मैसूर के हर्षवर्धन, प्रवीण नाडकर्णी, दिव्यांशु गुप्ता के आग्रह पर उन्होनें कहा कि जिस तरह सूरज की किरणें जीवन देती हैं, वैसे ही वर्षा हमारे जीवन को ताक़त देती है। बूँद बूँद पानी का बहुत मूल्य होता है। हमें एक नागरिक के नाते, समाज के नाते, बूँद बूँद पानी बचाने का स्वभाव बनाना चाहिये। गाँव का पानी गाँव में रहे, शहर का पानी शहर में रहे, ये हमारा संकल्प होना चाहिए, पानी रोकने के लिए प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि जलसंरक्षण कोई नई चीज़ नहीं है, सदियों से चली आ रही है हम भी तो कर सकते हैं। और ये जन आन्दोलन बनना चाहिए, गाँव-गाँव ये व्यवस्था होनी चाहिए। चेक डेम हो, छोटे तालाब हों, खेत-तालाब हों, हमें बूँद-बूँद पानी को बचाना चाहिए।
महात्मा गांधी का उदाहरण देते हुये उन्होंने कहा कि महात्मा गाँधी का जन्म स्थान.गुजरात में पोरबंदर में उनके घर में दो सौ साल पुराना भूगर्भ में टैंक है जिसमें वर्षा का पानी सीधा-सीधा जाने की व्यवस्था थी। दो सौ साल के बाद भी वो आज भी वैसा ही कार्यरत है और पानी साल भर ज़रा भी ख़राब नहीं होता है।
उन्होंने कहा कि यह हरियाली बढ़ाने का अवसर है हमें वर्षा के मौसम में वृक्षारोपण, पेड़ लगाने का अभियान सामाजिक संगठनों के द्वारा, युवकों के द्वारा बहुत बड़ी मात्रा में किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पौधा लगाते हो समय बग़ल में एक पुराना मिट्टी का घड़ा भी लगा देना चाहिये जिसमें पानी भरा जा सके इससे कम पानी देने पर भी पौधा बहुत तेज़ी से आगे बढ़ेगा, विकास होगा। उन्होंने कहा कि किसानों को चाहिये कि वह अपने खेत के किनारे पर बाड़ लगाने के बजाय पेड़ लगाइययें। यह आपकी सम्पति बन जाएंगे।
उन्होंने कहा कि बारिश के सीज़न में ही सबसे ज़्यादा बीमारी आती है। वातावरण में नमी बढ़ जाने के कारण बेक्ट्रिया पनपने लगते हैं। ऐसे में साफ़-सफ़ाई महत्वपूर्ण है, शुद्ध पीने का पानी होना चाहिये न हो तो उसे उबाल कर पीयें। ये बात सही है कि हम जितनी केयर करेंगे बीमारी हमसे दूर रहेगी।
योजनायें : वेस्ट बन सकता है वेल्थ, 2022 तक हर नागरिक को मिले आवास
अपनी हाल की योजनाओं का जिक्र करते हुये प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों के लिये तीन नई योजनायें लॉन्च की गई हैं विशेषकर शहरी जनों के लिए। उन्होंने कहा कि हमारे देश में क़रीब 500 छोटे-मोटे शहर हैं। कूड़े-कचरे में से भी सम्पति बन सकती है, उर्वरक बन सकते हैं, ईंटें बन सकती हैं, बिजली बन सकती है। गंदे पानी को भी शुद्ध करके खेतों में दुबारा उपयोग में लाया जा सकता है उस अभियान को हमने आगे बढ़ाना है।
अमृत(AMRUT) योजना के तहत हम अपने शहरों को जीवन जीने योग्य बनाने के लिए बड़ा अभियान उठाया है। देश दुनिया की बराबरी कर सके इसके लिये समार्ट सिटी योजना शुरु की गई है। दूसरी तरफ़ देश के ग़रीब से ग़रीब व्यक्ति को भी रहने के लिए अपना घर मिले जहां बिजली हो, पानी हो, शौचालय हो, नज़दीक में पढ़ने के लिए स्कूल हो। 2022 में जब भारत आज़ादी की 75 साल मनायेगा हम देशवासियों को घर देना चाहते हैं।
शौचालय योजना : हर स्कूल में हो शौचालय, आमजन भी इसमें करे भागीदारी
प्रधानमंत्री ने कहा कि 15 अगस्त को उन्होंने लाल किले पर से स्कूलों में शौचालय बनाये जाने की अपील की थी और पिछले 60 सालों में जो नहीं हुआ उसे एक साल में करने का आह्वान किया था। उन्होंने कहा कि क़रीब साढ़े चार लाख टॉयलेट बनाने थे, लेकिन आज वह संतोष के साथ कह सकते हैं कि पूरा तो नहीं हुआ, लेकिन क़रीब-क़रीब स्कूलों में टॉयलेट बनाने के काम को लोगों ने पूरा कर लिया है।
सरकारी योजनायें घोषित करने का नहीं छोटी-छोटी बातें करने का माध्यम है मन की बात
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि कुछ लोगों को लगता है कि मन की बात कार्यक्रम में वह सरकार की बड़ी-बड़ी योजनायें घोषित करेंगे। उन्होंने कहा कि ऐसा नहीं है उसके लिये वह दिन-रात काम करते रहते हैं। यह माध्यम जनता से हलकी-फुलकी, खट्टी-मीठी बातें करने का है।