गुवाहाटी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनआरएल के कमीशन किए गए मोम प्लांट को शुक्रवार को डिब्रूगढ़ में आयोजित एक सार्वजनिक समारोह में राष्ट्र को समर्पित करेंगे।
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम, इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड और नुमलीगढ़ शोधनागार द्वारा पूर्ण रूप से स्वदेशी तकनीक से तैयार नुमलीगढ़ शोधनागार (एनआरएल) का यह मोम प्लांट देश का सबसे बड़ा मोम प्रकल्प है।
50,000 मीट्रिक टन (एमटी) उत्पादन क्षमता व 676 करोड़ रुपए की लागत से निर्मित मोम प्लांट में बीते वर्ष मार्च माह से उत्पादन आरंभ हो गया है।
असम के तेल क्षेत्र समूह का मोम समृद्ध खनीज तेल से उच्च गुणवत्ता वाले पेराफिन और माइक्रोक्रिस्टलाइन मोम उत्पादन करने वाला यह प्लांट सही अर्थों में भारत सरकार के मेक इन इंडिया के सपने को पूरी तरह से साकार कर रहा है।
एनआरएल की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि देश के घरेलू बाजार में पेराफिन मोम की काफी मांग है। वहीं देश में माइक्रोक्रिस्टलाइन मोम की मांग को आयात के जरिए पूरा किया जाता है।
ऐसे में एनआरएल का यह मोम संयंत्र काफी हद तक घरेलू बाजार में आपूर्ति घाटा को कम करने में सहायक होगा। एनआरएल भी सरकार के एक्ट ईस्ट पॉलिसी के तहत पड़ोसी देशों के लिए मोम निर्यात करने के अवसर को पूरा करेगा।
मोम आधारित उद्योगों की जहां इसके जरिए मांग पूरा होगी वहीं इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर रोजगार के रास्ते भी खुलेंगे।
पैराफिन मोम की उपयोगिता मोमबत्ती, टार्पलिन, खाद्य सामग्रियों का कवर और पीबीसी पाइप के निर्माण में प्रयोग होता है, वहीं माइक्रोक्रिस्टलाइन मोम टायर, रबर उत्पादों, पेंट और पॉलिश, औषधि और प्रसाधन सामग्री के निर्माण में व्यवहृत होता है।