जयपुर। स्कूल शिक्षा परिवार के प्रदेश भर के निजी स्कूलों को अनिश्चित कालीन बंद करने के आह्वान का बुधवार को नाममात्र असर दिखाई दिया।
राजधानी सहित प्रदेश भर के कई निजी स्कूलों में बुधवार से छह सितंबर तक तो बच्चों को छुट्टियां दे दी गई, लेकिन आगामी कार्यक्रम के बारे में जानकारी नहीं दी है। ऐसे में अभिभावक व बच्चे परेशान होते रहे।
अभिभावकों ने स्कूलों को बंद करने का विरोध करते हुए कहा कि स्कूल संचालक बिना किसी कारण के स्कूलें बंद कर पढ़ाई को प्रभावित कर रहे हैं। सरकार को इन स्कूलों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
उधर सीबीएसई बोर्ड सहित राज्य के अधिकांश प्राइवेट स्कूलें निर्धारित समय पर खुली और पढ़ाई भी हुई। उन पर स्कूल शिक्षा परिवार के विरोध का कोई भी प्रभाव दिखाई नहीं दिया।
स्कूल शिक्षा परिवार के सदस्य शिक्षा विभाग के नियमों में सख्ती, आरटीई नि:शुल्क प्रवेशों के भौतिक सत्यापन, बिना वजय सोमवार को प्रदर्शन के दौरान पुलिस कार्रवाई सहित 18 मांगों को लेकर स्कूल संचालक विरोध कर रहे हैं।
स्कूल संचालकों का कहना है कि जब तक उनकी मांगे नहीं मानी जाएगी, तब तक स्कूलें भी बंद रहेगी और विरोध भी जारी रहेगा।
उधर, स्वयंसेवी शिक्षण संस्था संघ राजस्थान और सोसायटी फॉर अनएडेड प्राइवेट स्कूल ऑफ राजस्थान ने भी निजी स्कूलों के इस विरोध का विरोध किया है तथा इसमें शामिल नहीं हुए हैं।
उनका कहना है कि स्कूल शिक्षा परिवार बेबुनियादी मुद्दों को लेकर विरोध कर रहे हैं। इसमें नुकसान बच्चों की पढ़ाई का होगा। परिवार के सदस्यों को ऐसा नहीं करना चाहिए।
शिक्षा परिवार के समर्थन में बुधवार को जयपुर के ब्रह्मपुरी, आमेर,झोटवाड़ा, हरमाड़ा, मालवीय नगर, जयपुर ग्रामीण क्षेत्र, भरतपुर, सिरोही, जालौर, गंगानगर, सीकर सहित प्रदेश के कई जिलों में कई निजी स्कूलों के ताले बंद रहे और सरकार के विरोध में आगामी रणनीति तैयार की गई।
स्कूल शिक्षा परिवार के महासचिव अनिल शर्मा ने बताया कि प्रदेशभर के सभी जिलों में विरोध करते हुए जिला कलेक्टरों को ज्ञापन दिया जा रहा है और चार सितंबर को जयपुर में उग्र प्रदर्शन किया जाएगा।
पेरेंट्स वेलफेयर सोसायटी के संयोजक दिनेश कांवट ने स्कूल संचालकों की मांगों का विरोध किया है और स्कूल बंद नहीं रखने के लिए कहा है। कांवट ने कहा कि बुधवार को जो भी निजी स्कूल बंद रही उसकी सूची तैयार की जा रही है और उसको सरकार को भिजवाएंगे और उन पर कार्रवाई करने की मांग करेंगे।