जयपुर। प्रदेश में रेलवे स्टेशनों के पास चल रहे जीआरपी थानों को जल्द ही बंद किया जा सकता है। इनकी जगह पूरा काम आरपीएफ को सौंपा जा सकता है। फिलहाल ये दोनों सुरक्षा एजेंसियां रेलवे के लिए ही काम करती हैं।
इन दोनों को आपस में मिलाने की चर्चा लम्बे समय से चल रही है। फिलहाल प्रदेश में बीस से भी ज्यादा स्थानों पर जीआरपी थाने हैं। रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ) और जीआरपी (गर्वमेंट रेलवे पुलिस) दोनों ही सुरक्षा व्यवस्था और गार्ड का काम करते हैं।
आरपीएफ का काम रेल संपत्ति के मामले दर्ज कर उनकी जांच करना है। जबकि जीआरपी का काम ट्रेनों में होने वाले हादसे, अपराध और उनके मुकदमे दर्ज कर अनुसंधान करना है।
दोनों एजेंसियों एक-दूसरे पर काम टालने की प्रवृति रखती आई हैं। कई बार मामले दर्ज कराने के लिए पुलिस अधिकारियों तक को दखल करना पडता है।
दोनों का काम लगभग एक ही तरह का होने के कारण रेलवे ने गृह मंत्रालय को दोनों ही सुरक्षा एजेंसियों काम एक से ही कराने के बारे में एक प्रस्ताव तैयार कर भेजा है। इसे जल्द ही अमल में लाया जा सकता है। हो सकता है जीआरपी को आरपीएफ में पूरी तरह से मर्ज कर दिया जाए।